FILM REVIEW: विवाद न ढूंढें, फिल्म 'पद्मावत' का लें मजा
संजय लीला भंसाली की पद्मावत फिल्म आखिर गुरुवार (25 जनवरी) विरोध के शोरशराबे के बीच रिलीज हुई। फिल्म में मोटे तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिसे विवादित कहा जाए। यदि इसे फिल्म के प्रचार का हथकंडा कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। फिल्म पद्मावती के रूप में दीपिका पादुकोण, राणा रतन सिंह शाहिद कपूर और अलाउद्दीन खिलजी के रूप में रणवीर सिंह।;
रामकृष्ण वाजपेय
लखनऊ: संजय लीला भंसाली की पद्मावत फिल्म आखिर गुरुवार (25 जनवरी) विरोध के शोरशराबे के बीच रिलीज हुई। फिल्म में मोटे तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिसे विवादित कहा जाए। यदि इसे फिल्म के प्रचार का हथकंडा कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। फिल्म पद्मावती के रूप में दीपिका पादुकोण, राणा रतन सिंह शाहिद कपूर और अलाउद्दीन खिलजी के रूप में रणवीर सिंह।
फिल्म की इस बात को लेकर सर्वाधिक चर्चा थी कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी के साथ रानी पद्मावती का कोई अंतरंग दृश्य है तो ऐसा कुछ नहीं है। एक शर्त के तहत ऐसा उल्लेख आता है कि रानी दुर्गावती की छवि पानी में अलाउद्दीन खिलजी को दिखायी गई थी। लेकिन फिल्म में पानी की जगह खिड़की में रानी पद्मावती के हाथ में लिए कटोरे से लोबान के धुएं के बीच धुंधली सी एक झलक खिड़की से दिखायी गई है। वह भी 4-5 सेकंड के लिए और इसके बाद खिड़की पर पर्दा गिर जाता है।
दूसरा दृश्य जिस पर हल्ला मचा था वह है पद्मावती का घूमर नृत्य। राजघरानों की महिलाएं सार्वजनिक रूप से ऐसा नृत्य नहीं करतीं लेकिन अपने महल में महिलाओं के बीच जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है वह नृत्य का दृश्य है। जिसे बाद में राणा भी खिड़की में बैठकर देखते हैं। इसमें भी आपत्तिजनक कुछ नहीं है।
तीसरी बात अलाउद्दीन का महिमा मंडन। महिमा मंडन तो नहीं कहा जाएगा। लेकिन उसका करेक्टर कुछ ऐसा दिखाया गया है जिसमें राणा रतन सिंह के रूप में शाहिद कपूर का किरदार कुछ दबा सा प्रतीत होता है। रणवीर सिंह ने उस पात्र को पूरी मौज में जिया है ऐसा लगता है। फिल्म को देखने से यह साफ भी हो जाता है।
पूरी फिल्म में पद्मावती अलाउद्दीन खिलजी के प्रति कहीं भी नरम या आकर्षित नहीं दिखती हैं। बल्कि पूरी फिल्म में वह लड़ती ही नजर आती हैं।
चौथी बात पद्मावती के दिल्ली जाने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है यह बात गढ़ी हुई लगती है कि वह दिल्ली जाकर राणा को छुड़ा लाई थीं जबकि प्रचलित कथानक के अनुसार राणा को सेनापति गोरा ने छुड़ाया था और गोरा आठ सौ सैनिकों के साथ लड़ते हुए शहीद हुआ था। बाद में कुंभलनेर के शासक देवपाल को हराकर जख्मों के चलते राणा भी शहीद हो गए थे। इस बीच जब अलाउद्दीन खिलजी ने किले पर आक्रमण किया था तो बचे योद्धा लड़ने चले गए थे और पद्मावती ने अन्य रानियों और महिलाओं संग जौहर कर लिया था। इस फिल्म में राणा को अलाउद्दीन खिलजी से लड़ते हुए छल से शहीद दिखाया गया है।
कुल मिलाकर फिल्म को ऐतिहासिकता के नजरिये से न देखकर मनोरंजन के रूप में एक काल्पनिक कथानक के रूप में देखें तो फिल्म बढ़िया है। संगीत अच्छा है कुछ दृश्य बहुत ही रोचक हैं। कथानक कसा हुआ है। फिल्म देखने लायक है।