Kalki 2898 AD: कल्कि में दिखी कानपुर के इस मंदिर की झलक, जहाँ आज भी अश्वत्थामा करते हैं, पूजा
Kalki 2898 AD Ashwatthama: कल्कि 2898एडी में अमिताभ बच्चना अश्वत्थामा बन जिस मंदिर की पूजा कर रहे हैं, वो मंदिर यूपी के कानपुर में है स्थित
Kalki 2898 AD Ashwatthama Announcement: नाग अश्निन के निर्देशन में बनी फिल्म Kalki 2898 AD में कल Amitabh Bachchan के किरदार की पहली झलक दिखाई गई। जिसमें Amitabh Bachchan Ashwatthama के किरदार में नजर आ रहे हैं। फिल्म कल्कि 2898एडी को लेकर फैंस का उत्साहित हैं। क्योकि ये फिल्म विज्ञान महागाथा पर बनी है। फिल्म में अमिताभ बच्चन के किरदार को जिस तरह से कल मेकर्स ने दर्शाया हैं। उसे देखने के बाद हर किसी के मन में इस फिल्म को लेकर उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया है। फिल्म कल्कि 2898एडी में अमिताभ बच्चन के किरदार को देखकर लोग हैरान हो गए हैं। क्योकि फिल्म में Amitabh Bachchan के जवानी व बुढ़ापे दोनों के किरदारों को दिखाया गया है। तो वहीं फिल्म में जिस मंदिर में अमिताभ बच्चन पूजा करते हुए नजर आए हैं। वो मंदिर कानपुर में स्थित है। जिसके बारे में कहा जाता है, कि आज भी यहाँ पर अश्वत्थामा पूजा करने आते हैं।
कल्कि 2898एडी में अमिताभ अश्वत्थामा के रूप में कर रहे इस मंदिर में पूजा-
नाग अश्निन के निर्देशन में बनी फिल्म Kalki 2898 AD में अमिताभ बच्चन के किरदार पर से पर्दा उठ चुका है। फिल्म में अमिताभ बच्चन अश्वत्थामा के किरदार में नजर आएंगे। तो वहीं Kalki 2898 AD में अमिताभ बच्चन को अश्वत्थामा के रूप में जिस मंदिर में पूजा करते हुए दिखाया जा रहा हैं, वो मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवराजपुर जगह में स्थित खेरेश्वर धाम मंदिर की भी झलक देखने को मिली है। मान्यता हैं, कि इस मंदिर में आज भी अश्वत्थामा आते हैं। चलिए जानते हैं इस मंदिर से अश्वत्थामा का क्या रिश्ता है।
खेरेश्वर मंदिर शिवराजपुर का इतिहास (Story Of Ashwathama And Khereshwar Mandir)-
भगवान शिव का प्रसिद्ध खेरेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के ग्रामीण क्षेत्र बांका छतरपुर, शिवराजपुर में बाबा खेरेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। मान्याताओं के अनुसार कानपुर के शिवराजपुर में स्थित खेरेश्वर मंदिर में अश्वत्थामा रात के अंधेरे में खेरेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव की अराधना करने पहुंचते हैं। सुबह शिवलिंग के ऊपर फूल चढ़ा मिलता है। यहाँ के पुजारी पीढ़ी दर पीढ़ी बाबा खेरेश्वर की सेवा करते चले आ रहे हैं।
पुजारियों के पूर्वजों के अनुसार यहाँ शिवलिंग के ऊपर प्रातः जंगली पुष्प व जल मिलता है। जबकि नित्य रात्रि में शिवलिंग को स्नान कराकर साफ करके मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है। जब मंदिर का पट खुलता है, तो यहाँ पर फूल चढ़ा मिलता हैं। जिसके बाद कहाँ जाता हैं कि अश्वत्थामा यहाँ पूजा करने आते हैं।
बता दे कि महाभारत काल में अश्वत्थामा ने पांडव के पाँच पुत्रों की छल से हत्या कर दी थी। इसके बाद भीम ने अश्वत्थामा के माथे की मणि निकालकर उन्हें शक्तिहीन बना दिया। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्तामा को श्राप दिया था कि वह धरती पर तब तक पीड़ा में जीवित रहेंगे, जबतक स्वंय महादेव उन्हें उनके पापों स मुक्ति न दिला दें।
लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में मंदिर परिसर के अंदर अजीब घटनाएं होती हैं। धूप की सुगंध आना और अचानक से घंटियों का बजना, जब इसके पीछे की सच्चाई जानने की लोगों ने कोशिश की तब उन लोगों की आँखो की दृष्टि गंवानी पड़ी।
द्रोणाचार्य ने की थी खेरेश्वर महादेव की तपस्या-
शिवराजपुर के छतरपुर गांव में स्थित खेरेश्व महादेव मंदिर का इतिहास द्वापरयुग से है। महाभारत काल में कौरव-पांडव के गुरू द्रोणाचार्य ने स्वंय खेरेश्वर महादेव की तपस्या की थी।
अश्वत्थामा ने पृथ्वीराज चौहान को दिया था शब्दभेदी बाण-
बिठूर के राजा नानाराव पेशवा भी यहां शिवोपासना किया करते थे। पृथ्वीराज चौहान ने इसी जगह स्थान पर वर्षों शिवजी की घोर तपस्या की थी। बाबा खेरेश्वर की असीम कृपा से एक दिन शिवोपासना के समय पृथ्वीराज चौहान को अश्वत्थामा के दर्शन हो गए। पृथ्वीराज चौहान ने अश्वत्थामा (Ashwatthama) के विशाल स्वरूप व तेजर को देखकर लिया कि यह कोई साधारण मानव नहीं हैं। पृथ्वीराज चौहान से प्रसन्न होकर उनको शब्दभेदी बाण दिया था।