जब नहीं होता था उधार चुकाना, तब किशोर दा गाते थे 5 रुपैया 12 आना

Update:2016-08-04 11:13 IST

लखनऊ: लोग कहते हैं कि उन्हें गुजरे जमाने हो गए..जो कल तक नए थे, वो पुराने हो गए.. जरा दिल से पूछ कर आप ही बताइए, जिन्हें आप आज भी हैं गुनगुनाते, क्या वो वाकई बेगाने हो गए.. उनका वो जिंदादिल नजरिया आज भी जिंदा है..किसी की पेन ड्राइव में सेव है, तो किसी के मोबाइल फोन के मेमोरी कार्ड में। ज्‍यादा नहीं बस 40 से 50 साल की उम्र के आदमी से पूछिए उस शख्सियत के बारे में, जिन्होंने हमारे इंडियन सिनेमा को ना सिर्फ नए आयाम दिए बल्कि अपनी आवाज के तरानों से सबके दिलों की धड़कनों तक को धड़काने का काम किया था।

आज भी गली-मोहल्ले या नुक्कड़ की चाय की दुकानों पर वह अक्सर सुनाई दे ही जाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं अपने जमाने के लीजेंड और सुपरस्टार रह चुके द ग्रेट सिंगर, एक्टर और डायरेक्टर किशोर दा की। जिनके द्वारा निभाए गए कॉमेडी एक्ट आज भी दिल को गुदगुदा जाते हैं। तो वहीं उनके तराने आज भी लोग गुनगुनाते दिख जाते हैं।

किसी का दिल टूटा हो या किसी से अपने प्यार का इजहार करना हो, किशोर दा के गानों से बेहतर कोई आप्शन नहीं है। तभी तो आज भी लड़के ट्रेन से जाती हुई लड़की को देखकर गाने लगते हैं “मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू” और बेचारी लड़कियां शर्म से झेंप कर रह जाती हैं।

बॉलीवुड में आकर बदला नाम

बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि किशोर दा का असली नाम आभास कुमार गांगुली था। लेकिन ये नाम उनको शायद जंचा नहीं। तभी तो उन्होंने अपना नाम बदलकर किशोर कुमार रख लिया। उनके फैंस उन्हें प्यार से दा बुलाते थे फिर क्या ‘किशोर’ से उनकी हरकतों में शरारत झलकती थी और ‘दा’ से काम के लिए उनकी दीवानगी। बस इसके बाद तो उन्होंने मुड़ने का नाम ही नहीं लिया था। किशोर दा अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

किशोर दा के गाने हैं बॉलीवुड की अनमोल धरोहर

‘मेरे महबूब कयामत होगी’, ‘मेरे सामने वाली खिड़की में’, ‘अच्छा तो हम चलते हैं’, 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय', 'मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू', 'मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने', 'कही दूर जब दिन ढल जाए', 'जिंदगी प्यार का गीत है', 'अच्छा तो हम चलते हैं', 'अगर तुम न होते', 'चला जाता हूं', 'चिंगारी कोई भड़के', 'दीवाना लेके आया है', 'दिल सच्चा और चेहरा झूठा', 'दीये जलते हैं', 'गोरे रंग पे ना इतना', 'हमें तुमसे प्यार कितना', 'जय जय शिव शंकर', 'करवटे बदलते रहे सारी रात हम', 'कोरा कागज था ये मन मेरा', 'कुछ तो लोग कहेंगे', 'मेरे नैना सावन भादों', 'ओ मेरे दिल के चैन', 'प्यार दीवाना होता है', 'रूप तेरा मस्ताना', 'शायद मेरी शादी का ख्याल', 'ये जो मोहब्बत है', 'ये क्या हुआ', 'ये शाम मस्तानी', 'जिंदगी का सफर' जैसे गाने आज भी दिलों में बसे हुए हैं। किशोर दा तो उस समय मानो सुपरस्टार राजेश खन्ना की आवाज बन चुके थे। कहा जाता है कि उनके गाए नगमे न सिर्फ लोगों के दिलों को चुराते थे बल्कि रूह में बस जाते।

नहीं चुकाते थे उधारी

बचपन से ही किशोर दा चुलबुले और दिलचस्प इंसान थे बताया जाता है कि कॉलेज के दिनों में वह काफी मस्ती किया करते थे। उनकी आदत थी कि कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खुद भी खाना और दोस्तों को भी खिलाना। किशोर कुमार पर जब कैंटीन वाले के ‘पांच रुपए, बारह आना’ उधार हो गए और कैंटीन मालिक उन्हें उधारी चुकाने को कहता। तो वह कैंटीन में बैठकर टेबल पर गिलास और चम्मच बजा-बजा कर पांच रुपया बारह आना गा-गा कर कई धुन निकालते थे और कैंटीन वाले की बात अनसुनी कर देते थे।

बाद में उन्होंने अपने इस गीत का खूबसूरती से इस्तेमाल किया, जो काफी हिट हुआ। इतना ही नहीं किशोर दा कंजूस डायरेक्टर्स की बैंड भी बजा दिया करते थे। सबसे ज्यादा फनी वाकया तब हुआ, जब वह एक मौके पर फीस पूरी न चुकाई जाने पर आधा मेकअप लगाए हुए ये कहते हुए बाहर आ गए थे कि ‘आधा पैसा, आधा मेकअप’ उस दिन तो पूरी टीम हंसते-हंसते परेशान हो गई थी।

4 तारीख को जन्मे किशोर ने की थी 4 शादियां

उस समय लड़कियों के दिलों की धड़कन बने किशोर कुमार ने चार शादियां की। उनकी पहली शादी रुमा देवी से हुई थी, लेकिन आपसी अनबन के कारण जल्द ही उनका तलाक हो गया। इसके बाद, उन्होंने मधुबाला के साथ शादी रचाई। मधुबाला संग शादी करने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर इस्लामिक नाम 'करीम अब्दुल' रखा। फिल्म 'महलों के ख्वाब' से दोनों एक-दूसरे के करीब हुए थे, लेकिन नौ साल बाद मधुबाला ने दुनिया के साथ उन्हें भी अलविदा कह दिया।

किशोर ने 1976 में अभिनेत्री योगिता बाली के साथ शादी की। लेकिन यह शादी भी ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी। योगिता ने 1978 में उनसे तलाक लेकर मिथुन चकवर्ती के साथ सात फेरे लिए। वर्ष 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी लीना चंद्रावरकर से की। उनके दो बेटे हैं।

नहीं रही राजेश खन्ना की आवाज

खइके पान बनारस वाला, रूप तेरा मस्ताना, पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी और सागर किनारे दिल ये पुकारे जैसे गानों के लिए किशोर दा को फिल्मफेयर से नवाजा गया था। यह भी कहा जाता है कि उनके भाई अशोक कुमार नहीं चाहते थे कि वह एक सिंगर बनें। लेकिन उन्होंने तो गायकी को एक नई पहचान दे दी। बताया जाता है कि जब किशोर दा ने इस दुनिया से रुखसत ले थी, तो राजेश खन्ना खुद ही कह उठे “मेरी आवाज चली गई।”

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