TRAILER: मुस्लिम लड़कियों पर लगी बंदिशों को तोड़ देगी फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का'
मुंबई: एक तरफ पूरे देश भर में जहां मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक चार पति और यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर बड़ी बहस चल रही है, वहीं इन महिलाओं की आवाज को और भी बुलंद करने के लिए प्रकाश झा की फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' आ चुकी है। इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और इसे जमकर देखा भी जा रहा है। इस फिल्म में मुस्लिम महिलाएं वो सभी काम करने की चाहत रखती हैं, जिनके लिए उनपर बंदिशें लगाई जाती हैं।
मुस्लिम महिलाओं को उनके हक़ की याद दिलाती है। इस फिल्म में बखूबी दिखाया गया है कि किस तरह मुस्लिम महिलाएं अपने ऊपर लगी बंदिशों से आजाद होने की चाह रखती हैं। यही कहानी है 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' की। इस फिल्म को अलंकृता श्रीवास्तव ने डायरेक्ट किया है।
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बता दें कि 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' फिल्म में बुर्के को एक सिंबल के रूप में पेश किया गया है, जिसे ये चारों महिलाएं उतार फेंकना चाहती हैं। वहीं इस फिल्म में एक्ट्रेस रत्ना पाठक की ओर उनकी उम्र के काफी छोटे लड़के को अट्रैक्शन हो जाता है। 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' के ट्रेलर को देखकर लगता है कि आजकल की महिलाएं अपनी ऊपर थोपी गई पितृसत्तात्मक सोच और उनकी समस्याओं को उखाड़कर फेंक देना चाहती हैं। वह खुली हवा में सांस लेना चाहती हैं। फिल्म के ट्रेलर में एक लाइन है कि "पर्दे बड़े मोटे थे, अंधेरे में रोजी को कोई देख नहीं पाता", जिसका मतलब ट्रेलर देखकर आप समझ जाएंगे।
फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' में 4 महिलाओं को दिखाया गया है। जिनमें रत्ना पाठक शाह (50 पार), कोंकणा सेन शर्मा (30 पार), आहना कुमरा (20 पार) और प्लाबिता बोरठाकुर (20 से कम) उम्र की दिखाई गई हैं। जो अपनी लाइफ अपनी मर्जी से जीना चाहती हैं। वो अपने दोस्तों के साथ बिना रोक-टोक घूमना चाहती हैं। उनसे कंडोम पर खुलेआम बात करना चाहती हैं। इतना ही नहीं अपने ऊपर लगी बंदिशों को हवा में उड़ाते हुए लिपस्टिक से अपने होठों को रंगना चाहती हैं।
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ट्रेलर की शुरुआत में एक लड़की कहती सुनाई देती है कि 'वो पल तो हर लड़की की जिंदगी में आता है, जब उसमें औरत बनने की चाह जाग उठती है। फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' में एक मुस्लिम लड़की जहां अपने बेटे की उम्र के लड़के से प्यार कर बैठती है। वहीं दूसरी स्ट्रीप करते हुए अपनी हॉट सेल्फियां खींचती है। इस फिल्म में एक मुस्लिम औरत खुद से यह भी पूछती है कि क्या जिंदगी में सिर्फ बच्चे ही पैदा करने हैं, या फिर कुछ और भी करना है? फिल्म में किसिंग सींस की तो भरमार है। मुस्लिम महिलाओं की चाह को दर्शाती इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह बंदिशों में बांधी महिलाएं अपने साथी से कंडोम जैसी चीजों पर खुलेआम बात करना चाहती हैं।