Mithun Chakraborty अस्पताल से हुए डिस्चार्ज, बाहर आते ही दिया बड़ा बयान
Mithun Chakraborty: बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती की तबीयत में अब सुधार है। एक्टर को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
Mithun Chakraborty: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की हाल ही में अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालांकि, अब उनकी तबीयत में काफी सुधार है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। मिथुन ने अस्पताल से बाहर आने के साथ ही अपनी खराब हालत पर बात की है, उन्होंने बताया है कि उन्हें अस्पताल जाने की नौबत आखिर क्यों आई थी? इसी के साथ एक्टर ने प्रधानमंत्री मोदी को लेकर भी एक बयान दिया है।
इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर से परेशान हैं मिथुन चक्रवर्ती
अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती को इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर के लक्षण दिखने के बाद शनिवार की सुबह कोलकाता के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एक्टर को सोमवार दोपहर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल से बाहर आने के बाद एक्टर ने कहा कि ज्यादा खाने की आदत को छोड़कर उन्हें कोई और परेशानी नहीं है। एक्टर ने कहा- 'मैं राक्षस की तरह खाता हूं। इसलिए मुझे सजा मिली। सभी के लिए मेरी सलाह है कि अपने आहार पर नियंत्रण रखें। जो लोग मधुमेह के रोगी हैं, उन्हें यह गलतफहमी नहीं रखनी चाहिए कि मीठा खाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अपने आहार पर नियंत्रण रखें।'
पीएम मोदी को लेकर क्या बोले मिथुन?
मीडिया से बातचीत के दौरान एक्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका अस्पताल में भर्ती होना उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए प्रचार करने से नहीं रोकेगा। एक्टर ने कहा- 'पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा क्षेत्रों की देखभाल कौन करेगा? मैं करूंगा। मैं भाजपा के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा रहूंगा। अगर कहा गया तो मैं चुनाव प्रचार के लिए दूसरे राज्यों में भी जाऊंगा। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत सम्मान करता हूं। भाजपा के लिए अपने चरम पर पहुंचने का समय आ गया है।'
क्या होता है इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर?
जैसा कि हमने आपको बताया कि मिथुन चक्रवर्ती इस्केमिक सेरेब्रोवास्कुलर के कारण परेशान हैं, तो आइए आपको इसके बारे में थोड़ा बताते हैं। दरअसल, आसान भाषा में समझें तो इस्केमिक स्ट्रोक तब आता है, जब हमारे ब्रेन में ब्लड का सर्कुलेशन कम होने लगता है। इसके चलते दिमाग को जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और दिमाग की नसें डैमेज होने लगती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, अगर इस बीमारी का इलाज समय रहते न किया जाए तो मरीज को लकवा हो सकता है और उसकी जान भी जा सकती है।