मुंबई : इस वर्ष पद्मश्री के लिए नामित दिग्गज अभिनेता मनोज जोशी का कहना है कि कला के किसी भी रूप, विशेष तौर पर रंगमंच और सिनेमा में समाज की सोच को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है।
देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए नामित होने के बारे में मनोज ने कहा, "मेरा दिल कृतज्ञता से भर गया है।"
मनोज ने अपने करियर की शानदार शुरुआत रंगमंच से की थी और वह हिंदी, गुजराती और मराठी नाटकों में काम कर चुके हैं। उन्होंने धारावाहिक 'चाणक्य' के साथ टेलीविजन का रुख किया और 'एक महल हो सपनों का', 'कहता है दिल' और 'चक्रवर्ती अशोक सम्राट' जैसे कई टेलीविजन धारावाहिकों में काम किया।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 'सरफरोश' से की थी। इसके बाद उन्होंने 'चांदनी बार', 'देवदास', 'धूम', 'गुरु', 'भूल भुलैया' और 'प्रेम रत्न धन पायो' जैसी फिल्मों में अभिनय किया।
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उनकी प्रेरणा के बारे में पूछे जाने पर मनोज ने कहा, "सिनेमा में, मैंने अबतक जो भी भूमिकाएं निभाई, मैं हमेशा समाज पर इसके प्रभाव के बारे में सोचता हूं, क्योंकि मैं इसकी शक्ति जानता हूं। कला में हमारे समाज को प्रभावित करने, लोगों के मन और सोच को प्रभावित करने की शक्ति है।"
उन्होंने कहा, "इसलिए अभिनेता के रूप में, मैं कहानी के चयन को लेकर बहुत सचेत रहता हूं, क्योंकि यह एक ऐसा माध्यम है, जिसमें दृश्य, श्रव्य, रंग और कई तत्व मिले हुए होते हैं। इसलिए, एक कलाकार के रूप में, मुझे इस कला के प्रारूप की शक्ति और जिम्मेदारी के बारे में पता है।"
उद्योग में हमेशा सम्मान प्राप्त करने वाले मनोज का कहना है कि सरकार की तरफ से सराहना मिलना हमेशा खास होता है।
उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए बहुत विशेष सम्मान है, क्योंकि जब देश की सरकार द्वारा आपकी कड़ी मेहनत की प्रशंसा की जाती है तो यह किसी भी क्षेत्र के व्यक्ति के लिए खास बन जाता है।"
उन्होंने कहा, "यह एक बड़ा सम्मान है, जिसे देश पद्म पुरस्कार के जरिए आपके प्रति जाहिर करता है। यह एक कलाकार को उपलब्धि की महान भावना प्रदान करता है।"
मनोज को 'दशाक्रिया' के लिए 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार और रंगमंच के लिए 2016 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।