Sanchari Vijay: नहीं रहे संचारी विजय, रोड एक्सीडेंट ने ले ली जान, परिवार करेगा उनके अंगदान

Sanchari Vijay: कन्नड़ सिनेमा के फेमस एक्टर संचारी विजय अब इस दुनिया में नहीं रहे। एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होने की वजह से उनका निधन हो गया है।

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Newstrack :  Vidushi Mishra
Update:2021-06-15 14:09 IST

संचारी विजय (फोटो-सोशल मीडिया)

Sanchari Vijay: कन्नड़ सिनेमा से दुखभरी खबर आ रही है। फेमस एक्टर संचारी विजय का निधन हो गया है। संचारी एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जिसकी वजह से उनका निधन हो गया है। आज यानी मंगलवार को उन्होंने बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में आखिरी सांस ली है।

मशहूर एक्टर संचारी विजय के परिवार वालों ने उनका अंग दान करने का फैसला किया है। इस बारे में उनके परिवार ने घोषणा की है कि वह उनका अंग दान करेंगे। संचारी विजय के भाई सिद्धेश ने कहा है कि उनका ब्रेन स्टेम ने काम करना बंद कर दिया है, इसलिए हमने उनका अंग दान करने का फैसला किया है। विजय हमेशा समाज की सेवा करने में विश्वास रखते हैं, जिसे हम उनके अंगदान कर पूरा कर रहे हैं।

मिल चुका 62वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

बीते दिन सोमवार को संचारी विजय की मौत की अफवाह उड़ी थी, लेकिन उनकी मौत आज मंगलवार की सुबह लगभग 3.34 पर हुई है। इस बारे में बेंगलुरु के उस अस्पताल ने बयान जारी किया है जिसमें वह भर्ती थे। 

संचारी विजय (Vijay Kumar B.) एक चर्चित थिएटर कलाकार और फिल्म अभिनेता थे। यह मुख्य रूप से कन्नड़ सिनेमा में काम करते थे। इसके अलावा वह तमिल, तेलुगु और हिंदी सिनेमा में भी बेहतरीन अभिनय का प्रदर्शन किया था। 62वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के बाद विजय तो काफी शोहरत मिली।

संचारी विजय का पूरा नाम विजय कुमार था, लेकिन उनका लोकप्रिय नाम 'संचारी' विजय था क्योंकि वो 'संचारी' नामक नाटक समूह से जुड़े हुए थे, और इसके कारण लोग प्यार से उन्हें 'संचारी' विजय कहते थे।

कहते हैं कि "संचारी", एक संस्कृति केंद्र और अद्वितीय रंगमंच है, जिसने एक थिएटर कलाकार के रूप में विजय को पहचान दी। यह एक सुरुचिपूर्ण नाटक मंडली के रूप में भी लोकप्रिय है।

'संचारी' विजय का जन्म 18 जुलाई 1983 में कर्नाटक के चिकमंगलूर (Chikmagalur)जिले के कादुर (Kadur)इलाके के पंचनाहल्ली (Panchanahalli) में हुआ था। इन्होंने 2011 में कन्नड़ फिल्म रंगप्पा हॉगबित्ना (Rangappa Hogbitna) के साथ फिल्मों में अपनी शुरुआत की।

दासवाला (Dasavala) में एक विकलांग की भूमिका कर अपने दमदार प्रदर्शन के लिए मान्यता प्राप्त कराने से पहले, राम राम रघु राम में भी छोटी भूमिका निभाई थी। बाद में उन्हें 2014 में ओगरगने (Oggarane) में राम की भूमिका और मुख्य अभिनेता के रूप में 2014 में हारिवु (Harivu) में किसान की भूमिका निभायी थी।

इस फिल्म ने दिलायी शोहरतः

2015 में आयी फिल्म नानू अवानल्ला अवलु (Naanu Avanalla...Avalu)में एक ट्रांसजेंडर के किरदार के लिए, उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद तो इनकी लोकप्रियता का ग्राफ ही बढ़ गया।

ट्रांसजेंडर का रोलः

इस फिल्म में एक ट्रांसजेंडर के उनके किरदार को काफी सराहा गया और उन्हें 62 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया। इस पुरस्कार को जीतने के साथ विजय एमवी. वासुदेव राव और चारुहासन के बाद ऐसे तीसरे अभिनेता बन गए, जिन्होंने कन्नड़ फिल्म में अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। इसी समय उनकी फिल्म हरिवू ने कन्नड़ में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार भी जीता था।

ट्रांसजेंडरों के मुद्दे को उठाने वाली फ़िल्म 'नानु अवनालु अवालु', 'लिविंग स्माइल' विद्या की आत्मकथा 'आई एम विद्या' पर आधारित थी। हालांकि फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छा कारोबार नहीं कर पाई।

जानकारी के अनुसार, विजय इससे पहले प्रकाश राज की फ़िल्म 'ओग्गाराने' में एक 'समलैंगिक' का किरदार निभा चुके हैं, जिसे देखकर फ़िल्म के निर्देशक लिंगादेवारु ने उन्हें इस फ़िल्म के लिए चुना था। कहा जाता है कि अपने किरदार को समझने के लिए विजय कई दिनों तक ट्रांसजेंडरों की कॉलोनी में रहे। उनमें से कइयों ने फ़िल्मों में काम किया था। उनके साथ क़रीब 60 दिन रहने के बाद अपने आप को भूमिका के लिए बखूबी तरीके से तैयार कर पाये।

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