मुंबई: हिंदुस्तान के लोग किसी भी काम में भले कितने ही व्यस्त क्यों न हो,पर दो चीजों (फिल्म और क्रिकेट) के लिए समय निकाल ही लेते है। आज हम उन एक्टर्स की बात करेंगे जिनके पर्दे पर आते ही लोग अपने गम भुलाकर खिलखिलानें लग जाते है। ये है वो कॉमेडियन..
महमूद
अपने हाव भाव और आवाज से महमूद ने लगभग पांच दशक तक दर्शकों को हंसाने और गुदगुदाने का काम किया। महमूद ने काफी संघर्ष के बाद फिल्म इंडस्ट्री में 'किंग ऑफ कॉमेडी' का दर्जा हासिल किया। महमूद ने कभी ट्रेनों में टाफियां बेचा तो कभी ड्राइवर की नौकरी की। पिता की सिफारिश की वजह से उन्हें किस्मत फिल्म में किस्मत चमकाने का मौका मिल गया। इसमें उन्होंनें अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाईं।
महमूद के किस्मत का सितारा तब चमका जब फिल्म 'नादान' की शूटिंग के दौरान अभिनेत्री मधुबाला के सामने फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने महमूद को डायलॉग बोलने के लिए दिया और सीन बिना रिटेक एक बार में ही ओके हो गया। इस फिल्म के लिए महमूद को 300 रूपये मिले। महमूद को अपने सिने करियर में तीन बार फिल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पांच दशक में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया। 23 जुलाई 2004 को महमूद इस दुनिया से हमेशा के लिए रूख़सत हो गए।
जॉनी वॉकर
मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में 11 नवम्बर 1923 को जन्मे जॉनी वॉकर का असली नाम बदरुद्दीन काजी था। लेकिन उन्हें फ़िल्मी नाम जॉनी वॉकर गुरुदत्त ने दिया था |जॉनी वॉकर ने इंदौर में छठी जमात तक पढ़ाई की और 1942 में अपने पिता जमालुदीन काजी के साथ मुम्बई आ गये। जीवनयापन के लिए उन्होंने आर्मी कैंटीन में नौकरी भी की। उनकी ख़्वाहिश फिल्मो में अभिनय करने की थी। फिल्म स्टूडियों के बारे में जानने के लिए उन्होंनें बस कंडक्टर की नौकरी कर ली |बचपन से ही जॉनी वॉकर को हास्य अभिनय का शौक था | उनकी पहली फिल्म आखिरी पैगाम थी जिसमें उन्होंने बदरुद्दीन के नाम से ही अभिनय किया था|
सही मायनें में उन्हें पहला मौका देव आनन्द की गुरुदत्त निर्देशित फिल्म बाजी में मिला | 1951 में बनी इस फिल्म में गुरुदत्त को एक शराबी की भूमिका के लिए कलाकार चाहिए था| बलराज साहनी ने बदरुद्दीन काजी को गुरुदत्त से मिलवाया और इस तरह गुरुदत्त को बाजी के लिए एक सड़क छाप शराबी के किरदार के लिेए एक कलाकार मिल गया| एक विस्की के नाम पर बदरुद्दीन काजी को नया नाम जॉनी वॉकर और फिल्मो में हास्य अभिनेता के रूप में पहचान मिल गयी। साम्प्रदायिक एकता के पक्षधर जॉनी वॉकर का देहांत 29 जुलाई 2004 को हो गया और एक महान हास्य कलाकार इस दुनिया से विदा हो गया |
जॉनी लीवर
जॉनी लीवर बॉलीवुड के एक बेहतरीन कॉमेडियन एक्टर हैं। उनका असली नाम जॉन प्रकाश राव है। वह भारत के पहले स्टैंड-अप कॉमेडियन भी हैं। जॉनी लीवर का जन्म आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिलें मे सन 14 अगस्त 1956 में हुआ था। उनके पिता प्रकाश राव जनमूला हिंदुस्तान लीवर फैक्ट्री में काम करते थे। जॉनी लीवर का बचपन मुंबई के धारवी इलाके बिता। वह अपने घर में तीन बहनों और दो भाईयोँ में सबसे बड़े हैं। बड़े होने के कारण घर की स्थिति को समझते हुए जॉनी भी अपने पिता के साथ हिन्दुस्तान लीवर फैक्ट्री में काम करने लगे। इसी दौरान उन्हें अपनी कॉमेडी प्रतिभा को निखारने का मौका मिला।
जिस कारण से उनका नाम जॉनी लीवर पड़ गया। एक स्टेज शो के दौरान सुनील दत्त की नज़र उन पर पड़ी। उन्होने जॉनी लीवर को फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में पहला ब्रेक मिला और आज यह सिलसिला 350 से अधिक फिल्मों तक पहुंच गया है। उनकी पहली बडी सफलता ‘बाजीगर’ के साथ शुरू हुई। उनकी पहली तमिल फिल्म ‘अनब्रिक्कु अल्लाविल्लाई’ है। उन्हें अब तक 13 बार फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
अब बात करते है उन दो कलाकारों की जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के तो ऩही है पर इनकी कॉमेडी के दिवाने पूरे हिंदुस्तान में है। पर्दे पर एंट्री करते ही हॉल सीटियों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है।
ब्रम्हानंदम
साउथ में वैसे तो एक से बढ़कर एक कॉमेडियन हैं। लेकिन एक कॉमेडियन ऐसा भी है जो वहां के लीड स्टार्स को भी मात देता है। उनका नाम है ब्रम्हानंदम। ब्रम्हानंदम का जन्म आंध्र प्रदेश के गुन्टूर जिले में हुआ था।उनकी फैन फॉलोइंग इतनी है कि दर्शक हर फिल्म में उन्हें देखना चाहते हैं। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बाद भी उन्होंने एम ए पूरा किया। बतौर टीचर अपने करियर की शुरूआत करने वाले कॉमेडी सुपर स्टार ब्रह्मानंदम का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। ब्रह्मानंदम अपने दो दशकों से भी ज्यादा लंबे कॅरियर में 1000 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके है। उन्होंने तमिल,तेलगु के साथ हिंदी फिल्म में भी अभिनय किया है। साल 2009 में उन्हें पद्म श्री के सम्मान से नवाजा गया।ख़बरों के मुताबिक उनके पास 320 करोड़ से भी अधिक की सम्पत्ति हैं।
'अली'
दरअसल साउथ के ही एक और पॉपुलर कॉमेडियन है अली, जिन्होंने अपनी बेजोड़ एक्टिंग और जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग के जरिए अपनी एक अलग पहचान बनाई है। अली ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी। वो तमिल, तेलुगु और हिंदी में 1000 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके हैं।लगभग हर निर्माता-निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में लेने का ख्वाब जरूर देखता है।पुरी जगन्नाथ और पवन कल्याण जैसे सुपरस्टारों की फिल्मों में अली आपको जरूर देखने को मिल जाएंगे। अली एक दिन के ही 3 से 4 लाख बतौर फीस वसूल लेते हैं। एक्टिंग के अलावा अली टीवी पर शो भी होस्ट करते है।
उसके लिए भी वो काफी मोटी रकम वसूलते है। आज अली जिस मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा। अली के पिता एक टेलर थे जबकि मां घर संभालतीं थीं। ऐसे में घर का गुजारा करना मुश्किल था। लेकिन उनकी किस्मत में शायद शोबिज इंडस्ट्री का हिस्सा बनना लिखा था। अली ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'सीताकोका चिलूका' से की थी। इस फिल्म में उनके रोल को काफी सराहा गया। इसके लिए उन्हें बेस्ट चाइल्ड एक्टर का नंदी अवॉर्ड मिला जोंकि साउथ का काफी प्रतिष्ठित अवॉर्ड है। अली को 2013 में डॉक्ट्रेट की उपाधि से भी नवाजा गया। इस साल उनकी 3 से चार फिल्में आने वाली हैं।