कुछ ऐसी है सुर साम्राज्ञी लता जी की जिंदगानी, जानें अनसुने पहलुओं की कहानी
लखनऊ: जिस तरह बहते दरिया का कोई देश, गांव वतन नहीं होता या जिस तरह खिलते फूलों का कोई मजहब नहीं होता, उसी तरह लता मंगेशकार की आवाज कुदरत का एक ऐसा करिश्मा जिसकी मिसाल दुनियां में नहीं मिलती।
ये उदगार थे, हिंदी फिल्मों के, ट्रेजडी किंग, कहे जाने वाले दिलीप कुमार के, जब लता मंगेशकर लंदन के अल्बर्ट मेमोरियल हाल में अपनी आवाज का जादू बिखेर रही थीं। चूंकि अल्बर्ट मेमोरियल में किसी भी भारतीय गायक का यह पहला कार्यक्रम था, इसलिए उन्हें हौसला देने दिलीप कुमार के साथ राज कपूर भी मौजूद थे।
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भारत की स्वर सम्राज्ञी 'लता मंगेशकर' आज 28 सितंबर को 88 साल की हो गई हैं। अपनी आवाज के जादू से लाखों दिलों पर राज करने वाली लता को सभी स्वर कोकिला के नाम से भी जानते हैं। लता मंगेशकर एक जादुई आवाज का नाम है, जो सात दशकों से हिंदी गीतों की दुनिया में छाई हुई है। साल 1929 को इंदौर में जन्मीं लता ने लगभग 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।
लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे। लता अपनी तीन बहनों मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ में सबसे बड़ी थीं। लता मंगेशकर का जन्म के वक्त नाम 'हेमा' रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र 'लतिका' के नाम पर, दीनानाथ जी ने उनका नाम 'लता' रखा।
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पांच साल की उम्र में ही लता मंगेशकर ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और थिएटर में एक्टिंग किया करती थी। साल 1942 में जब लता जी मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया, फिर पूरे परिवार की देखभाल करने के लिए लता निकल पड़ी। उन्होंने मराठी फिल्म 'पहली मंगला गौर' में एक्टिंग की।
साल 1945 में लता अपने भाई-बहनों के साथ मुंबई आ गयी और उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली। फिर साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म 'आपकी सेवा में' में 'पा लागूं कर जोरी' गीत गाया। प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को 'पतली आवाज' कहकर अपनी फिल्म 'शहीद' में गाने से मना कर दिया था। फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म 'मजबूर' में 'दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा' गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया। लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना 'गॉडफादर' कहा था।
लता की जिंदगी का किस्सा शायद आपका दिल दहला सकता है। साल 1962 में जब लता 32 साल की थी तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था। लता की बेहद करीबी पद्मा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में किया है। हालांकि, उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया।
लता मंगेशकर ने 1942 से अब तक, लगभग 7 दशकों में , 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं। उन्हें 2001 में 'भारत रत्न' से भी नवाजा जा चुका है। लता मंगेशकर को 1969 में पद्म भूषण , 1989 में दादा साहब फाल्के अवार्ड और 1999 में पद्म विभूषण पुरस्कार मिल चुके हैं।