बॉलीवुड पर विवेक ओबेरॉय का आया विवादित बयान, कहा- बॉलीवुड में प्रतिभा से ज्यादा सरनेम मायने रखता है

Vivek Oberoi Controversial Statement: अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने फिल्म उद्योग के काम करने के तरीके पर अपना विचार साथा किया है। उन्होंने कहा है कि बॉलीवुड में प्रतिभा से ज्यादा सरनेम को तवज्जो दी जाती है।

Written By :  Priya Singh
Update:2021-12-05 19:17 IST

बॉलीवुड पर विवेक ओबेरॉय का आया विवादित बयान (Photo - Social Media)

Vivek Oberoi Controversial Statement: बॉलीवुड अभिनेता विवेक ओबेरॉय (Vivek Oberoi) ने हाल ही में दिए एक इंयरव्यू में अपने फिल्मी सफर के बारे में बात की। इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कैसे बॉलीवुड आज एक एक्सक्लूसिव क्लब में तब्दील हो गया है, जहां प्रतिभा से ज्यादा सरनेम मायने रखता है। विवेक ओबेरॉय ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ इस विषय पर बात की है। चर्चा के दौरान उन्होंने अपने गलतियों और पछतावे के बारे में बताया है। विवेक ने बताया कि उन्होंने अतीत में कई सारी गलतियां की हैं। लेकिन उन्हें अपनी गलतियों का कोई पछतावा नहीं। क्योंकि आज वो अपनी उन्हीं गलतियों की वजह से एक अच्छे स्थिति में पहुंच पाए हैं।

विवेक ओबेरॉय ने कहा पछतावा होता है जब आप खुश नहीं होते

अतीत में अपनी किसी भी गलती पर पछतावा के विषय पर बात करते हुए विवेक ने कहा, "अफसोस वह शब्द नहीं है जिसे मैं चुनूंगा। मेरा मानना ​​​​है कि आपको पछतावा होता है जब आप खुश नहीं होते हैं, अपने आपको वहां देखकर। यदि आप गलत मोड़ लेते हैं, और यह एक ऊबड़-खाबड़ सड़क है और आप एक ऐसी जगह पर उतरते हैं, जहां आपके आस-पास प्राकृतिक सुंदरता के अलावा और कुछ नहीं है। तब आप उस ऊबड़-खाबड़ रास्ते का शुक्रिया अदा करते हैं। मैं उस जगह पर हूं जहां मेरी यात्रा का हर एक हिस्सा, मैं संजोता हूं और मैं इसके बारे में मुस्कुराता हूं और इसके बारे में हंसता हूं। "

विवेक ओबेरॉय ने कहा फिल्म इंडस्ट्री में नर्सरी क्लास बनाने की आवश्यकता है

उन्होंने आगे कहा, "जहां तक ​​इसके व्यावहारिक पहलुओं की बात है, एक वरिष्ठ अभिनेता होने के नाते, जो लगभग 20 वर्षों से इस इंडस्ट्री में है, मुझे लगता है कि हम एक या दो चाल चूक गए हैं। मेरी इंडस्ट्री के खिलाफ एक बड़ी शिकायत यह है कि हमने इस इंडस्ट्री के लिए नर्सरी विकसित नहीं की। जो युवा प्रतिभाओं को पोषित करने का काम करती है। हमने इस विशेष क्लब में जगह बनाई है, जहां या तो उपनाम है या आप किसे जानते हैं या किस लॉबी या किस दरबार में आप सलाम करते हैं... यह मायने रखता है, आपकी प्रतिभा नहीं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"

विवेक ओबेरॉय ने प्रतीक गांधी की तारीफ की

बॉलीवुड को एक 'एक्सक्लूसिव क्लब' कहते हुए विवेक ने आगे कहा, "किसी भी उद्योग को फलने-फूलने के लिए, किसी भी उद्योग को विकसित होने के लिए, नए विचारों की आवश्यकता होती है। आपको लोगों के आने की आवश्यकता होती है और आपको एक स्वागत योग्य स्थान बनाने की आवश्यकता होती है। न कि एक ऐसी जगह जो सिर्फ कहने के लिए चलती रहती है। जो दिखावे के लिए कहती है, 'सुनो यह एक विशेष क्लब है, और जब तक आपके पास सही उपनाम या सही संपर्क नहीं है, आप इसमें नहीं हैं।" विवेक ओबेरॉय ने आगे कहा कि मुझे अच्छा लगता है कि ओटीटी (OTT) उस नर्सरी की भूमिका निभा रहा है। जहां हम ऑनलाइन सामग्री देखते हुए सितारों की खोज और पोषण कर रहे हैं। हम द स्कैम 1992 (Scam 1992 : The Harshad Mehta Story) देखते हैं और प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) स्टार बन जाते हैं। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।

विवेक ओबेरॉय अपने पिता को अपना आदर्श मानते हैं

विवेक ओबेरॉय ने अपने पिता सुरेश ओबेरॉय के बारे में बात करते हुए कहा, "उनके बारे में सोचने पर मेरी चेतना शून्य पर चली जाती है। मैं उनको आपना आदर्श मानता हूं। विक्रांत धवन मेरे पिताजी के प्रदर्शन से बेहद प्रेरित हैं। उन्होंने 1980 के दशक में श्रद्धांजलि नाम से एक फिल्म की। इस फिल्म में उन्होंने लक्ष्मी नारायण की भूमिका निभाई थी, एक ऐसा खलनायक जो मुस्कान के साथ, विलेन की रोल करता है। 1980 के दशक के समय में यह कुछ अनसुना जैसा था। रामलीला में लगभग रावण की भूमिका निभाने वाले लोग हमेशा चिल्लाते और फुफकार मारते रहते थें। लेकिन उन्होंने कुछ अलग किया। इसलिए, मैं हमेशा उनकी प्रशंसा करता हूं।"

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