तम्बाकू- सुपारी से सावधान! ओरल कैंसर के मामले भारत में सबसे ज्यादा, लैंसेट की रिपोर्ट

Oral Cancer : "लैंसेट ऑन्कोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सभी ओरल कैंसर के मामलों में धुंआ रहित तम्बाकू का योगदान 30 प्रतिशत से अधिक है।

Newstrack :  Network
Update:2024-10-09 15:36 IST

सांकेतिक तस्वीर (Pic - Social Media)

Oral Cancer : दक्षिण एशिया में तम्बाकू और सुपारी के इस्तेमाल से होने वाले ओरल कैंसर के मामलों की सबसे अधिक संख्या भारत में है। 2022 में वैश्विक स्तर पर 1,20,200 मामलों में से 83,400 मामले सिर्फ भारत से थे। ये जान लीजिए कि विश्वभर में 30 करोड़ लोग धुंआ रहित तम्बाकू का उपयोग करते हैं और 60 करोड़ लोग सुपारी का उपयोग करते हैं। दक्षिण-मध्य एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया और मेलानेशिया में इनके उपयोग की दर सबसे अधिक है।

"लैंसेट ऑन्कोलॉजी" में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर सभी ओरल कैंसर के मामलों में धुंआ रहित तम्बाकू का योगदान 30 प्रतिशत से अधिक है। धूम्ररहित तम्बाकू और सुपारी के उपयोग से होने वाले ओरल कैंसर के मामलों में सबसे अधिक योगदान देने वाले क्षेत्र दक्षिण-मध्य एशिया में कुल 1,05,500 मामले थे जिनमें भारत में 83,400, बांग्लादेश में 9,700, पाकिस्तान में 8,900 और श्रीलंका में 1,300 मामले थे। इसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया का स्थान रहा जहां कुल 3,900 मामले थे जिनमें म्यांमार में 1,600, इंडोनेशिया में 990 और थाईलैंड में 785 मामले थे। पूर्वी एशिया में कुल 3,300 मामले थे जिनमें चीन में 3,200 मामले थे।

भारत ही क्यों?

एक्सपर्ट्स चिकित्सकों के अनुसार, धुंआ रहित तम्बाकू (चबाने, सूंघने तथा चूसने योग्य तम्बाकू आइटम) और सुपारी वाले आइटम्स की व्यापक मार्केटिंग और सर्वसुलभता का नतीजा है कि भारत दुनिया में ओरल कैंसर के सबसे अधिक केस वाले देशों में से एक है। जबकि सरकार को इन आइटमों से मिलने वाला राजस्व न्यूनतम है, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव और संबंधित स्वास्थ्य सेवा नुकसान बहुत ही बड़ा है। गुटखा पर प्रतिबंध एक बोल्ड कदम था जिसकी तंबाकू उद्योग ने पूरी काट निकाल ली है।

भयानक प्रभाव

लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के सह लेखकों में से एक डॉ. पंकज चतुर्वेदी (सिर और गर्दन के कैंसर के सर्जन और एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर, टाटा मेमोरियल सेंटर, नवी मुंबई के निदेशक) ने सुपारी उद्योग के बारे में एक चेतावनी दी है। उनके अनुसार, सुपारी मुंह के कैंसर के अलावा सबम्यूकस फाइब्रोसिस नामक एक दर्दनाक बीमारी का कारण बनती है, जो लाइलाज है। दुर्भाग्य से यह हमारी युवा आबादी को प्रभावित कर रही है और परिवारों को भावनात्मक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर रही है। हमें धुएँ रहित तम्बाकू और सुपारी पर नियंत्रण के लिए मौजूदा कानूनों और विनियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। बता दें कि तमाम बॉलीवुड हस्तियां माउथ फ्रेशनर के रूप में पान मसाला का विज्ञापन करती हैं।

क्या है धुआँ रहित यानी स्मोकलेस तम्बाकू

धुआँ रहित तम्बाकू और सुपारी उत्पाद दुनिया भर में उपभोक्ताओं के लिए कई अलग-अलग रूपों में उपलब्ध हैं। इसे पान मसाला, गुटखा,खैनी, नसवार, मीठी सुपारी इत्यादि के रूप में बेचा जाता है।

- धुआँ रहित तम्बाकू उत्पादों को बिना सुलगाये - जलाए इस्तेमाल किया जाता है।

- इन्हें चबाया, चूसा, सूंघा, स्थानीय रूप से लगाया या निगला जा सकता है।

- इसका सबसे लोकप्रिय उदाहरण गुटखा है, जो तम्बाकू, कुचले हुए सुपारी और मसालों का मिश्रण होता है। इसे मुंह में, आमतौर पर मसूढ़े और गाल के बीच में रखा जाता है और चबाया जाता है।

- वहीं, खैनी धूप में सुखाए गए या फेरमेंटेड मोटे कटे हुए तम्बाकू के पत्तों से बनाई जाती है।

- पान मसाला सुपारी, तम्बाकू, चूना, कत्था और मसालों का मिश्रण होता है।

पुरुषों में ज्यादा प्रभाव

अनुमान है कि ग्लोबल लेवल पर धूम्रपान रहित तम्बाकू और सुपारी के इस्तेमाल से होने वाले ओरल कैंसर के 77 प्रतिशत मामले पुरुषों (92,600 मामले) में थे और 23 प्रतिशत मामले महिलाओं (27,600 मामले) में थे। आम तौर पर, धूम्रपान रहित तम्बाकू और सुपारी के उपयोग से होने वाले ओरल कैंसर के मामलों का अनुपात महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया गया, सिवाय दक्षिणी अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के। हालाँकि दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में पुरुष धूम्रपान रहित तम्बाकू या सुपारी के मुख्य उपभोक्ता हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में महिलाओं में धूम्रपान रहित तम्बाकू या सुपारी के उपयोग का प्रचलन पुरुषों की तुलना में अधिक है।

भारत में, सुपारी (30 प्रतिशत) और तंबाकू के साथ पान (28 प्रतिशत) का सेवन महिलाओं में ओरल कैंसर के सबसे ज़्यादा मामलों के लिए ज़िम्मेदार था, उसके बाद गुटखा (21 प्रतिशत) और खैनी (21 प्रतिशत) का स्थान था।

पुरुषों में, ओरल कैंसर के सबसे ज़्यादा मामलों का कारण बनने वाले उत्पाद खैनी (47 प्रतिशत), गुटखा (43 प्रतिशत), तंबाकू के साथ पान (33 प्रतिशत) और सुपारी (32 प्रतिशत) थे।

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