Corona Vaccine: तैयारी कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज की, मिक्सचर वैक्सीन पर भी जोर
Corona Vaccine: कोरोना से बचने के लिए अब वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज़ के अलावा मिक्सचर वैक्सीन पर जोर दिया जा रहा है।
Corona Vaccine, लखनऊ: कोरोना से बचने के लिए अब वैक्सीन (Vaccine) की तीसरी बूस्टर डोज़ के अलावा मिक्सचर वैक्सीन (Mixtures vaccine) पर जोर दिया जा रहा है. दरअसल, किसी भी वैक्सीन की दोनों डोज़ के बाद भी कितने दिन तक वायरस के प्रति इम्यूनिटी (Immunity) बनी रहेगी, पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता. चूंकि दुनिया में मात्र 6 महीने पहले ही वैक्सीनेशन (Vaccination) का काम शुरू हुआ है, वो अभी इतना पर्याप्त डेटा नहीं है कि कोई निष्कर्ष निकाला जा सके. लेकिन वैज्ञानिकों की राय है कि लोगों को वैक्सीन की तीसरी बूस्टर डोज़ देने से लम्बे समय तक इम्यूनिटी बने रहने का फायदा मिलेगा. वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि जिनको किसी भी वैक्सीन की एक डोज़ लगी है उनको दूसरी डोज़ किसी अन्य वैक्सीन की देने से बहुत तगड़ा इम्यून रेस्पांस पैदा होगा, ऐसे में मिक्सचर वैक्सीन देना भी बेहतर है.
मिक्स वैक्सीन
वैज्ञानिकों ने अलग अलग स्टडी में पाया है कि लोगों को अलग-अलग वैक्सीन की डोज़ लगाने से ज्यादा मजबूत इम्यूनिटी उत्पन्न होती है. यूरोप के कई देशों में सिफारिश की गयी है कि जिन लोगों को आस्ट्रा ज़ेनेका वैक्सीन की पहली डोज़ लगी है, उनको दूसरी डोज़ किसी और वैक्सीन की दी जानी चाहिए. शोधकर्ताओं का कहना है कि दो अलग-अलग तरह की वैक्सीन लगाने से शरीर में ज्यादा मजबूत इम्यून रेस्पांस उत्पन्न होगा. इसके अलावा, किसी एक वैक्सीन की सप्लाई के संकट से जूझ रहे देशों को भी इससे सहूलियत मिलेगी.
स्पेन में हुई एक स्टडी में पता चला है कि लोगों में आस्ट्रा ज़ेनेका (Astra Zeneca) और फाइजर (Pfizer), दोनों की अलग-अलग डोज़ लगाने से कोरोना वायरस के खिलाफ तगड़ा इम्यून रेस्पांस पैदा होता है. मिक्सचर वैक्सीन के बारे में 600 लोगों पर हुई इस स्टडी के उत्साहजनक नतीजे सामने आये हैं. इसके पहले ब्रिटेन में एक स्टडी हुई है जिसका सेफ्टी डेटा जारी कर दिया गया है और इम्यून रेस्पांस के बारे में जानकारी भी शीघ्र सार्वजानिक की जायेगी. कनाडा के एक वैज्ञानिक के अनुसार, आस्ट्रा ज़ेनेका की डोज़ के बाद फाइजर की दूसरी डोज़ देने के बहुत उत्साहजनक परिणाम मिले हैं.
भारत में कोवैक्सिन को मिली है इजाजत
भारत में औषधि नियामक ने भारत बायोटेक की कोवैक्सिन (Covaxin) की तीसरी डोज़ के ट्रायल की अनुमति पिछले महीने दी है. भारत बायोटेक के ट्रायल से पता चल सकेगा कि क्या कोवैक्सिन ऐसी इम्यूनिटी डेवलप कर पायेगी जो कुछ बरसों तक कायम रहे. इस ट्रायल में वालंटियर्स को दूसरी डोज़ के 6 महीने बाद तीसरी डोज़ लगाई जायेगी. करीब 190 वालंटियर्स को सितम्बर-अक्टूबर 2020 में हुए दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन की दूसरी डोज़ लगी थी. भारत बायोटेक तीसरी डोज़ लेने वाले प्रतिभागियों की कम से कम छह महीने तक निगरानी करेगा. ये देखा जाएगा कि प्रतिभागियों के शरीर में मजबूत 'मेमोरी टी सेल्स' बने कि नहीं. इसके बाद तीसरी डोज़ के बारे में कोई निष्कर्ष निकल सकेगा.
ब्रिटेन में तीसरी डोज़ का ट्रायल
ब्रिटेन में वैक्सीन की तीसरी डोज़ का ट्रायल शुरू हुआ है जिसमें 2886 वालंटियर्स भाग ले रहे हैं. इन वालंटियर्स को फाइजर या आस्ट्रा ज़ेनेका की दो डोज़ लग चुकी हैं और अब इनको 7 अलग अलग वैक्सीनों में से किसी एक की डोज़ लगाई जायेगी. इस ट्रायल से ये पता किया जाएगा कि तीसरी डोज़ से कितना फायदा हुआ और कौन सी वैक्सीन सबसे ठीक रही. ट्रायल के रिजल्ट अगस्त के अंत तक आ जायेंगे और सितम्बर में जॉइंट एक्शन कमेटी अंतिम निर्णय लेगी.
रूस की स्पुतनिक लाइट वैक्सीन को आस्ट्रा ज़ेनेका की पहली डोज़ के बाद लगाये जाने का भी ट्रायल कुछ देशों में किया जा रहा है. रूसी कंपनी का दावा है कि स्पुतनिक (Sputnik) लाइट वैक्सीन बूस्टर के रूप में अच्छे रिजल्ट देती है.