Coronavirus: कोरोना ठीक होने के बाद की तकलीफें बरसों तक बनी रहेंगी

Coronavirus: ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस में कोविड टास्कफोर्स के प्रमुख डॉ डेविड स्ट्रेन का कहना है कि आज मेडिसिन के सम्पूर्ण क्षेत्र में रिसर्च का सबसे बड़ा विषय पोस्ट कोविड समस्याएं है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update:2021-07-01 13:54 IST

Coronavirus : कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके बहुत से लोगों में हो रहीं कई तरह की तकलीफें फिलहाल खत्म होती नजर नहीं आ रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्ट कोविड लक्षणों और समस्याओं का फिलहाल कोई इलाज नहीं है और मुमकिन है कि कई साल तक इनका इलाज ढूंढा न जा सके।

कोरोना संक्रमण ठीक हो जाने के बाद भी थकान, सांस फूलना, मांसपेशियों में दर्द, उलझन, भुलक्कड़पन और एकाग्रता में कमी सबसे कॉमन पोस्ट कोविड प्रभाव हैं।
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस में कोविड टास्कफोर्स के प्रमुख डॉ डेविड स्ट्रेन का कहना है कि आज मेडिसिन के सम्पूर्ण क्षेत्र में रिसर्च का सबसे बड़ा विषय पोस्ट कोविड समस्याएं है।

रिसर्च का सबसे बड़ा विषय पोस्ट कोविड

उन्होंने कहा कि अभी तक चार प्रकार की पोस्ट कोविड समस्याएं पता चली हैं। इनका इलाज कैसे किया जाए इसका पता किया जा रहा है लेकिन सही ट्रीटमेंट ढूंढ़ने में अभी लम्बा समय लगने की संभावना है।
डॉ स्ट्रेन के अनुसार संक्रमण ठीक हो जाने के बाद लम्बे समय तक तकलीफ का बना रहना संभवतः कोरोना के प्रति शरीर के अपने इम्यून रिएक्शन के कारण होता है। यही वजह है कि पोस्ट कोविड समस्याएं युवाओं तथा फिट व स्वस्थ लोगों में ज्यादा होती हैं।

कोरोना वायरस पर सर्वदलीय ग्रुप के सदस्य सांसदों को संबोधित करते हुए डॉ स्ट्रेन ने कहा कि पोस्ट कोविड समस्याओं पर सबसे ज्यादा रिसर्च यूनाइटेड किंगडम में की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की मौजूदा लहर 20 से 40 वर्ष के उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है जिनको वैक्सीन नहीं लगी है। इनमें से 20 फीसदी लोगों को लंबे समय तक पोस्ट कोविड समस्याएं बनी रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमें ये समझना चाहिए पोस्ट कोविड समस्याओं से लोगों की सेहत के साथ साथ अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
शोधकर्ता रुथ होव का कहना है कि ये ऐसी बीमारी है जिसके बारे में हम अभी सीख ही रहे हैं। ये बहुआयामी प्रभावों वाली बीमारी है सो ये बहुत जरूरी है कि हम लोगों से उनके लक्षणों के बारे में ध्यान से सुनें। और हर व्यक्ति की विशिष्ट समस्या से उसी के अनुरूप निपटें।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के उपरांत लम्बे समय तक चलने वाली समस्याओं पर रिसर्च करने के लिए 50 मिलियन पौंड (एक पौंड करीब 103 रुपये का है) देने का फैसला किया है। इसके अलावा कोरोना से ठीक होने के बाद समस्याओं से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए डाक्टरों को 30 मिलियन पौंड दिए गए हैं।
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