विंटर सीजन में ऐसे करेंगे घर के बुजुर्गों की केयर, तो नहीं होगा कोई इंफेक्शंस

Update: 2018-12-15 02:40 GMT

जयपुर: जाड़े का मौसम, जहां गर्मी से निजात और खुशनुमा अहसास कराता है, वहीं अपने साथ लाता है कई तरह के इंफेक्शंस और बीमारियां। खासकर बुजुर्गों के लिए तो यह मौसम परेशानी का सबब बन जाता है। तापमान में गिरावट, खुश्क और बर्फीली हवा और बढ़ते प्रदूषण के स्तर के कारण गले में खराश, बलगम, आंखों में जलन, सर्दी, जुकाम, वायरल फ्लू ही नहीं हृदय और श्वांस संबंधी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। सर्दियों में उम्रदराज लोगों के लिए अपने शरीर को गर्म रखना या तापमान नॉर्मल बनाए रखना जरूरी है। सर्दियों में ध्यान न रखा जाए या ठीक तरह से कपड़े न पहने जाएं तो बॉडी टेंपरेचर काफी डाउन हो सकता है और हाइपोथर्मिया का शिकार हो सकते हैं।

*जाड़े में तला-भुना या मीठा भोजन खाना लोग पसंद करते हैं। यह शरीर में गर्मी और एनर्जी तो प्रदान करता है साथ ही कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ाता है, जो हृदय रोगों में अहम भूमिका निभाता है। अपने खान-पान पर बुजुर्गों को खास ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं कर पाने की वजह से कोलेस्ट्रॉल, शुगर लेवल और वजन बढ़ता है, जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

*इस दौरान बुजुर्गों में हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा 53 प्रतिशत बढ़ जाता है। अमेरिका में हार्ट अटैक से हर 7 मिनट में एक 1 बुजुर्ग की मृत्यु हो जाती है। सर्दी के मौसम में कई बुजुर्ग हाइपोथर्मिया के शिकार भी हो जाते हैं यानी उनके शरीर का तापमान 95 डिग्री फॉरेनहाइट से नीचे चला जाता है। इसका सबसे ज्यादा असर हृदय की कोरोनरी धमनियों या मांसपेशियों पर पड़ता है। धमनियां सिकुड़ कर ब्लॉक हो जाती हैं और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी आती है। ब्लड प्लेटलेट्स ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं हो पाता और ऑक्सीजन की सप्लाई में रुकावट आती है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए हार्ट पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है। बुजुर्गों में हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, जिससे उन्हें ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।

*बुजुर्गों को नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल चेक कराना चाहिए। उनका सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 मिमी से और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 मिमी से कम होना चाहिए।कोलेस्ट्रॉल 200 मिग्रा से अधिक नहीं होना चाहिए। जांच की रिपोर्ट के हिसाब से डॉक्टर की सलाह से मेडिसिन की डोज घटानी-बढ़ानी चाहिए।

29 सप्ताह से पहले जन्मे बच्चे के लिए कैफीन है फायदेमंद,रिसर्च में प्रमाणित

*नमी रहित खुश्क वातावरण से उनमें ड्राई आइज, ड्राई स्किन, इचिंग की समस्या भी देखने को मिलती है। नमी कम होने से ज्वाइंट्स के ऊपर प्रेशर ज्यादा पड़ता है। ज्वाइंट्स अकड़-से जाते हैं और शरीर की मांस-पेशियों में पेन बढ़ जाता है। कभी-कभी उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है।

सावधानियां लाइफस्टाइल में बदलाव करके हार्ट अटैक के 80 प्रतिशत मामलों से बचा जा सकता है। बुजुर्गों को सर्दियों में हृदय संबंधी परेशानियों से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।सर्दी के मौसम में बुजुर्गों के शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिसकी वजह से वे वातावरण में मौजूद विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया का आसानी से शिकार हो जाते हैं। खुश्क वातावरण में स्मॉग, डस्ट पार्टिकल्स काफी मात्रा में होते हैं, जिनसे सांस की नली सिकुड़ जाती है।

इससे उन्हें श्वसन संबंधी इंफेक्शन या एलर्जी की संभावना रहती है। उनमें खांसी-जुकाम, बदन दर्द, बुखार जैसी परेशानियां होने की आशंका बढ़ जाती है। अस्थमा पीड़ित बुजुर्गों को इस मौसम में सांस लेने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ध्यान न दिए जाने पर अस्थमा का अटैक भी आ सकता है। उनका बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है।

बुजुर्ग लोग इस मौसम में निमोनिया की चपेट में भी आ जाते हैं, जो वातावरण में मौजूद विभिन्न प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है। सांस के जरिए निमोनिया के कीटाणु शरीर में पहुंचते हैं, जिनसे फेफड़ों में सूजन आ जाती है। तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम, कफ, सिर दर्द, बदन दर्द रहता है। बुखार समझ कर समुचित उपचार न कराने पर निमोनिया गंभीर रूप ले सकता है।

Tags:    

Similar News