देश में 50 हजार वेंटिलेटर हैं उपलब्ध, जरूरत है इतने लाखों की

देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी बीच डॉक्टर्स के लिए बुरी खबर आ रही है कि भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को वेंटिलेटर बनाने में बहुत सी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है।

Update: 2020-04-23 07:55 GMT

नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसी बीच डॉक्टर्स के लिए बुरी खबर आ रही है कि भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माताओं को वेंटिलेटर बनाने में बहुत सी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। लॉकडाउन कि वजह से मजदूरों की कमी और लागत में वृद्धि से कम उपकरण के उत्पादन में देरी हो रही है। जिन मरीजों को कोरोना के हैं उन्हें सांस लेने में वेंटिलेटर से काफी मदद मिलती है।

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वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत में वेंटिलेटर की कमी हो सकती है। अभी देश में 50 हजार वेंटिलेटर हैं, जबकि कोरोना संक्रमण से बदतर हालात होंगे तब हमें दस लाख वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। बंगलूरू की कंपनी डायनामैटिक, स्टार्टअप नोक्का रोबोटिक्स और नई दिल्ली की कंपनी अगवा हेल्थकेयर अपेक्षित मांग के अंतर को पाटने की कोशिश कर रही हैं। तो वहीं इसकी कीमत 33 डॉलर से 7,000 डॉलर के बीच है। देश में सबसे अच्छे स्तर के वेंटिलेटर की कीमत 16,000 डॉलर तक हो सकती है।

14 दिन तक की हो सकती है

देरी विशेषज्ञों ने इसपर कहा है कि जहां कई देशों ने इस जीवन रक्षक उपकरण की आमद पूरी कर ली है, वहीं भारत में लॉकडाउन के कारण इसके पुरजे और श्रमिकों की आपूर्ति कम होने के कारण इसके उत्पादन में दो हफ्तों तक की देरी हो सकती है। तो वहीँ आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर नोक्का से जुड़े अमिताभ बंदोपाध्याय ने कहा कि हमें इसके पुरजों की बहुत जरूरत है, जिसे हम नहीं बना सकते।

20,000 हुई कोरोना के मरीजों कि संख्या

मोदी सरकार ने पूरे देश को 3 मई तक घरों में लॉकडाउन रहने को कहा है, ताकि कोरोना पर कुछ तरीके से काबू पाया जा सकता है। अब देश में कोरोना मरीजों की संख्या 20,000 हो गई है और 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

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कोरोना कि स्थिती को देखते हुए कोलकाता के पीअरलेस अस्पताल के शोध विभाग के क्लिनिकल डायरेक्टर सुभ्रोज्योति भौमिक ने कहा है कि यदि हमारी आबादी का 10 फीसदी हिस्सा संक्रमित हो जाए और उसमें से केवल 1 फीसदी को भी वेंटिलेटर की जरूरत हुई, तो उस मांग को भी पूरा नहीं कर सकते।

इस महामारी से पहले अस्पतालों ने महंगा होने के कारण वेंटिलेटर में काफी कम निवेश किया। वेंटिलेटर केवल कुछ बड़े शहरों के अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं। लेकिन कंपनियां अब इसे कम दरों पर बनाने के लिए तैयार हुई हैं।

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