Allahabad University: इलाहाबाद विवि को केन्द्रीय दर्जा मिलेगा
Allahabad University :भारत सरकार ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रूप में घोषित किया है। इससे पहले इस विश्वविद्यालय को राज्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिला हुआ था। इस फैसले से इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केंद्रीय सरकार के द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों में शामिल किया जाएगा।
Central University Of Allahabad : 22 अगस्त, 2002 केन्द्र ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को नायाब तोहफा देने की मुहिम शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार तकरीबन 115 साल पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा प्रदान करने के प्रस्ताव पर गम्भीरता से विचार कर रही है। सरकार के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में स्थित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की संख्या तीन से बढ़कर चार हो जाएगी। इलाहाबाद विवि राज्य का न केवल पहला विवि है । बल्कि इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग तकरीबन 15 साल पहले उस समय हुई थी , जब 1987 में इसका शताब्दी समारोह मनाया जा रहा था। प्रशासनिक सेवा के अधिकारी तैयार करने के कारखाने के रूप में ख्यात इस विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को राज्य सरकार ने काफी धूमधाम से व्यापक तौर पर मनाया था। शताब्दी समारोह के लिए केन्द्र सरकार ने हाथ खोलकर मदद की थी। लेकिन उस समय उसने इसे केन्द्रीय दर्जा देने की मांग को स्वीकार नहीं किया। केन्द्रीय दर्जा की मांग कर रहे लोगों का तर्क था कि यह विश्वविद्यालय न केवल देश के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक है ।
बल्कि इसका गौरवशाली अतीत भी रहा है। यहीं से हिंदी साहित्य के रहस्यवाद, छायावाद, प्रयोगवाद व प्रगतिवाद की शुरूआत हुई। कल्याणकारी अर्थशास्त्र के जनक और भारत में अर्थशास्त्र के पितामह प्रो. जे.के.मेहता की यह कर्मस्थली रही है। उर्दू शायरी व भाषा के क्षेत्र में दुनिया भर में खासे चर्चित रहे फिराक गोरखपुरी ता-उम्र इसी विश्वविद्यालय की सरहद में रहे। देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री यहां के छात्र रहे हैं। इसके अलावा अनेकानेक लोगों ने यहां से निकल कर समाज व शिक्षा के क्षेत्र में इतिहास रचा। लेकिन तत्कालीन सरकार ने इन तर्कों पर कान नहीं दिया। लेकिन अब केन्द्र को राजग सरकार को पुराने तर्क रास आ रहे हैं। सरकार की निद्रा भंग हुई है। सरकार के इस बदले रवैये के पीछे मानव संसाधन विकास मंत्री डा• मुरली मनोहर जोशी का इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से होने को भी एक बड़े कारण के रूप में देखा जा रहा है।
(दैनिक जागरण, नई दिल्ली संस्करण में दिनांक- 23 अगस्त, 2002 को प्रकाशित )