कोटा से ज्यादा जोधपुर बीमार, एक महीने में 146 बच्चों ने तोड़ा दम

राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 मासूम बच्चों की मौत हो गई है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार को कोटा अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कोटा में कई मृत बच्चों के परिवार वालों से मुलाकात की।

Update: 2020-01-05 03:44 GMT

जयपुर: राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 मासूम बच्चों की मौत हो गई है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शनिवार को कोटा अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कोटा में कई मृत बच्चों के परिवार वालों से मुलाकात की।

कोटा में बच्चों की मौत को लेकर सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोलते हुए कहा था कि, कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी। सचिन पायलट ने कहा कि पहले क्या हुआ इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? वसुंधरा को जनता ने हरा दिया, लेकिन अब जिम्मेदारी हमारी है।

पुरानी सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा- पायलट

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुरानी सरकार की तुलना में कम बच्चों की मौत के तर्क को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें सरकार में आए 13 महीने हो चुके हैं। पुरानी सरकारों को दोष देने से काम नहीं चलेगा। सरकार का रुख संतोषजनक नहीं है। बता दें कि सचिन पायलट का ये बयान बयान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस दावे के बाद आया है, जिसमें गहलोत ने कहा था कि, बीजेपी की सरकार के दौरान भी बच्चों की मौत होती थी, बल्कि अब उस आंकड़े में कमी आई है।

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सांसद ओम बिरला ने भी परिवारों से की मुलाकात

वहीं शनिवार को केंद्र सरकार की तरफ भेजी गई विशेषज्ञों की टीम ने अस्पताल का दौरा किया। लोकसभा स्पीकर और कोटा से सांसद ओम बिरला भी कोटा पहुंचे और मृत बच्चों के परिवारों से मुलाकात की। कोटा में बच्चों की मौत की जांच जारी है, वहीं इसी बीच कोटा से ही सटे बूंदी के सरकारी अस्पताल में एक महीने के अंदर 10 बच्चों की मौत की खबर आई है। साथ ही इस मामले में सरकार पर मौत का आंकड़ा छुपाने का आरोप लग रहा है। बता दें कि ये सभी मौतें SNICU वार्ड में हुई है।

वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्चों की मौतें प्रशासन की लापरवाही की वजह से नहीं हुई है। उनका कहना है कि मुंह में गंदा पानी जाने, बच्चे का वजन कम होने, और मुंह में संक्रमण होने की वजह से मौतें हुई। हालांकि अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। और अस्पताल को साफ-सफाई रखने और बच्चों के इलाज में किसी भी तरह की कोई लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए हैं।

बाड़मेर के अस्पताल में 202 बच्चों की मौत

वहीं 2019 में बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाए गए 2,966 बच्चों में से 202 बच्चों की मौत हो चुकी है। ये कोटा में हुए बच्चों की मौत की दर से कहीं ज्यादा अधिक है।

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जोधपुर में 146 बच्चों की मौत

वहीं राजस्थान के जोधपुर में तो इससे भी बुरे हालात की खबर है। बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां दिसंबर के महीने में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ के अनुसार, जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में हर दिन औसतन करीब 5 बच्चों की मौतें रिकॉर्ड की जा रही है। दिसंबर 2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 146 बच्चों ने दम तोड़ा है। इनमें 98 नवजात है। इसी माह में 4689 बच्चे हुए थे जिनमें से 146 बच्चों की मौत हुई।

उनका कहना है कि साल 2019 में (NICU PICU ) में कुल 754 बच्चों की मौत हुई, यानी हर माह 62 की मौत हुई, लेकिन दिसंबर में अचानक यह आंकड़ा 146 तक जा पहुंचा। सभी मौतें एस एन मेडिकल कॉलेज से जुड़े बच्चों के अस्पताल उम्मेद अस्पताल में हुई है।

आंकड़ें में करीब ढ़ाई गुना बढ़ोत्तरी

दिसंबर 2019 के आंकड़ों के अनुसार, यहां पर 146 बच्चों ने दम तोड़ा है। ये आंकड़ इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि 2019 में NICU, PICU में कुल 754 बच्चों की मौत हुई यानि कि हर महीने 62 बच्चों की मौत, लेकिन दिसंबर महीने में ये आंकड़ा अचानक 146 पहुंच गया। यानि की करीब ढाई गुना ज्यादा। ऐसे में यहां की व्यवस्थाओं को लेकर काफी सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बात का खुलासा कोटा में हुई त्रासदी के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से तैयार की रिपोर्ट में हुआ।

राजस्थान में हर एक हजार नवजातों में से 38 की मौत होती हैं जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक बहुत ही बुरी हालत है।

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