1 फरवरी को पेश होगा बजट, आज ही जान लें, सरकार किन चीजों में देगी रियायत

वर्ष 2020 का आम बजट, जिसे केंद्रीय बजट के नाम से भी जाना जाता है, 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को इस बात की घोषणा की।

Update: 2020-01-08 13:19 GMT

नई दिल्‍ली: वर्ष 2020 का आम बजट, जिसे केंद्रीय बजट के नाम से भी जाना जाता है, 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को इस बात की घोषणा की।

एक फरवरी, 2020 को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में बजट पेश किया जाएगा। यह उनका दूसरा आम बजट होगा। ऐसी उम्‍मीद है कि आर्थिक मंदी का सामना कर रही अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के लिए बजट में कुछ बड़े उपायों की घोषणा की जा सकती है।

2019 में वित्‍त मंत्री ने जीएसटी परिषद की चार बैठकों की अध्‍यक्षता की है। जीएसटी परिषद की आखिरी बैठक दिसंबर में हुई थी। पिछले साल आर्थिक मंदी की वजह से जीएसटी राजस्‍व में कमी आई है, जिससे सरकार चिंतित है।

चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर छह साल के निचले स्‍तर 4.5 प्रतिशत पर रही, जिसने सरकार पर अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्‍साहन देने के लिए विभिन्‍न कदम उठाने को मजबूर किया। सरकार ने वित्‍त वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्‍पाद की वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

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क्या हो सकता है

एक चर्चा यह है कि टैक्स रियायतों का पूरा प्रबंधन इस तरह से किया जाए कि मध्यम वर्ग के लिए टैक्स का बोझ प्रभावी रूप से सिर्फ 10 फीसदी हो। एक प्रस्ताव यह है कि मिडल क्लास पर लगने वाले सभी तरह के सरचार्ज खत्म कर दिए जाएं और कर ढांचे को बेहद सरल बना दिया जाए।

एक प्रस्ताव यह भी है कि मकान खरीदने वाले लोगों को अतिरिक्त कर प्रोत्साहन दिया जाए। रियल एस्टेट एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसका अर्थव्यवस्था पर कई तरह से असर होता है। इसमें टैक्स छूट देने बढ़ाने का फायदा यह है कि एक तो मध्यम वर्ग को टैक्स से राहत मिलेगी, दूसरे नए मकान खरीदने के लिए प्रोत्साहन भी मिल जाएगा।

अभी कितनी है होम लोन पर छूट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2019-20 का बजट पेश करते हुए जब होम लोन लेने के ब्याज पर इनकम टैक्स के मामले में 1।5 लाख रुपये की अतिरिक्त राहत देने की बात की तो बहुत से लोगों के चेहरे खिल गये थे। असल में होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट दोनों के रीपेमेंट पर टैक्स बचाने की सुविधा मिलती है।

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर सालाना 1।5 लाख रुपये तक डिडक्शन की सुविधा मिलती है, यानी इतनी रकम को आप अपनी टैक्सेबल इनकम से घटा सकते हैं। इसी तरह इनकम टैक्स की धारा 24 बी के तहत होम लोन के ब्याज पर सालाना 2 लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स छूट मिलती है।

पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने कहा कि एक अलग धारा 80EEA तहत 45 लाख रुपये तक के मकान पर 1।5 लाख रुपये की अतिरिक्त छूट होम लोन के ब्याज अदायगी पर मिलेगी। इस तरह साल में आप 3।5 लाख रुपये तक के चुकाए हुए होम लोन ब्याज के बदले टैक्स छूट मिल रही है, लेकिन यह सिर्फ इसी वित्त वर्ष के लिए है। इसलिए इस बार के बजट पर सबकी नजर होगी कि इस मामले में वित्त मंत्री आगे क्या करती हैं।

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क्या है रियल एस्टेट सेक्टर की मांग

पिछले कई साल से सुस्ती का सामना कर रहे रियल एस्टेट सेक्टर ने मुश्किल में चल रहे प्रोजेक्ट के लिए वैकल्पिक निवेश फंड (AIF) को तत्काल लागू करने की मांग की है। इस फंड की घोषणा सरकार ने पिछले साल की है। देखना यह होगा कि निर्मला सीतारमण इस सेक्टर के लिए क्या ऐलान करती हैं।

रियल एस्टेट सेक्टर को उम्मीद है कि ग्राहकों के लिए टैक्स में कटौती और होम लोन में सहूलियत के द्वारा इस सेक्टर को बजट में राहत दी जा सकती है। एनबीएफसी संकट की वजह से इस सेक्टर को कर्ज मिलने में दिक्कत होने लगी है।

इसलिए सेक्टर को बूस्टर देने के लिए यह जरूरी है कि इसमें कर्ज उपलब्धता बढ़ाने की कोशिश की जाए। एक मांग यह है कि हाउसिंग लोन ब्याज दर पर मिलने वाले रिबेट यानी छूट सीमा को 2 लाख से आगे बढ़ाया जाए।

क्या है चुनौती

गौरतलब है कि इस वित्त वर्ष में टैक्स कलेक्शन लक्ष्य से कम रहा है, इस वजह से सरकार के सामने चुनौती यह है कि राजकोषीय संतुलन बनाए रखते हुए किस तरह से टैक्स छूट दी जाए। सरकार ने पिछले साल कॉरपोरेट टैक्स में बड़ी कटौती करते हुए इस सेक्टर को बड़ी राहत दे दी है, इसलिए अब मध्यम वर्ग भी उम्मीद की किरण लगाए हुए है।

कॉरपोरेट टैक्स रेट में कटौती का निवेश बढ़ाने के मामले में बहुत फायदा नहीं मिला है, क्योंकि मांग न होने से इंडस्ट्री के लोगों ने अपना पैसा बचा लिया और फिलहाल निवेश करने से हिचक रहे हैं। खपत जब बढ़ेगी तब ही कंपनियां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करेंगी और नया निवेश करेंगी। इसलिए इस बात की उम्मीद बढ़ गई है कि सरकार इस बार के बजट में आम आदमी को टैक्स से राहत देने के लिए कुछ उपाय करे।

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