Navratri 2022: जानें कैसे हुई नवरात्रि की शुरुआत, नवरात्रि में सबसे पहले किसने रखा था 9 दिनों का व्रत

Navratri 2022 History and Importance: 26 सितंबर यानी कल से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है।

Written By :  Anupma Raj
Update:2022-09-26 07:45 IST

Goddess Maa Durga Navratri 2022 (Image: Social Media)

Navratri 2022 History and Imprtance: 26 सितंबर यानी कल से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान माता रानी धरती पर आती है और नव दिन यहां पर वास करती है और इन नव दिनों में अपने भक्तों को उनकी हर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं नवरात्रि से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, जैसे कैसे हुई थी नवरात्रि की शुरुआत और जानें नवरात्रि में सबसे पहले किसने रखा था 9 दिनों का व्रत:

नवरात्रि व्रत सबसे पहले किसने और कब रखा ?

दरअसल नवरात्रि में माता रानी दुर्गा जी की कृपा भक्तों पर खूब बरसती है। नवरात्रि में मां दुर्गा जी के आशीर्वाद से भक्तों की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं। भक्तों के सारे कष्ट और पाप मिट जाते हैं। साथ ही भक्तों का घर-परिवार सुख-शांति और समृद्धि से भर जाता है। ऐसे में आपके मन में यह बात जरूर आती होगी कि नवरात्रि का व्रत कब और किसने शुरू किया? इस बारे में वाल्मिकी पुराण में बताया गया है। आइए जानते हैं इस बारे में वाल्मिकी पुराण में क्या लिखा है: 

दरअसल वाल्मिकि पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक परमशक्ति मां देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा- अर्चना की थी। बता दे इसके बाद दशमी तिथि के दिन उन्होंने किष्किंधा पर्वत से लंका जा कर राक्षस रावण का वध किया था। फिर इस पूजा के दौरान भगवान श्रीराम ने माता देवी से अध्यात्मिक बल की प्राप्ति, शत्रु पराजय और कामना पूर्ति के का आर्शीवाद लिया था। दरअसल यह बात सतयुग की है। इस प्रकार नवरात्रि का व्रत सबसे पहले भगवान श्री राम ने शुरू किया था। तब से लेकर आज तक हर नवरात्रि में 9 दिनों का व्रत रखा जाता है। नवरात्रि में 9 दिनों का व्रत रखने या आराधना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। 

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