One House Two States: एक घर जिसका 4 बेडरूम महाराष्ट्र में, 4 बेडरूम तेलंगाना में, फैमिली को मिलता है ये फ़ायदा
One House Two States: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित महाराजगुड़ा गांव की, जहां एक घर के बीचो बीच से दो राज्यों की सीमा गुजरती है।
One House Two States: सीमा विवाद (border dispute) एक बेहद जटिल और संवेदनशील मसला रहा है, चाहे ये दो देशों के बीच का मुद्दा हो या दो राज्यों के बीच का। भारत –चीन सीमा विवाद और महाराष्ट्र – कर्नाटक सीमा विवाद (Maharashtra – Karnataka) इसके सबसे ताजा उदाहरण है। बॉर्डर पर रहने वाले लोग अक्सर कई तरह की समस्याओं की शिकायत करते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका घर देश के दो राज्यों में फैला है। दिलचस्प बात ये है कि उन्हें इसका नुकसान नहीं बल्कि फायदा हो रहा है।
हम बात कर रहे है महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित महाराजगुड़ा गांव की, जहां एक घर के बीचो बीच से दो राज्यों की सीमा गुजरती है। इस घर का एक हिस्सा महाराष्ट्र में तो दूसरा हिस्सा तेलंगाना में पड़ता है। घर के मालिक के मुताबिक, उनके घर के चार बेडरूम महाराष्ट्र में और चार तेलंगाना में हैं। इलाके में ये घर काफी मशहूर है। घर में 12 सदस्यों का परिवार रहता है।
घर के मालिक को होता है फायदा
दो राज्यों की सीमा के बीच बसे होने के बावजूद इस घर में रहने वाले लोगों को किसी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके विपरीत उन्हें यहां रहने से फायदा ही हो रहा है। घर के मालिक उत्तम पवार बताते हैं कि उन्हें दोनों राज्यों की योजनाओं का सर्वोतम लाभ मिल रहा है। वो हल्के अंदाज में कहते हैं, तेलंगाना में मेरी रसोई है और महाराष्ट्र में बैठक घर। मकान में कुल 8 कमरे हैं, जिनमें चार तेलंगाना में और बाकी महाराष्ट्र में हैं।
पवार बताते हैं कि 1969 में सीमा सर्वेक्षण के बाद हमें सरकारी अधिकारियों ने बताया था कि हमारा आधा घर महाराष्ट्र में और आधा तत्कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश में जो विभाजित होने के बाद अब तेलंगाना बन चुका है, में है। हमें इससे कोई परेशानी नहीं हुई। वो आगे बताते हैं – हम दोनों राज्यों की ग्राम पंचायतों को कर का भुगतान करते हैं। हमें तेलंगाना सरकार की योजनाओं का अधिक फायदा मिल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर भी बसे हैं ऐसे घर
महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा (Maharashtra-Telangana border) की तरह अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर भी घर, दुकान, रेस्तरां आदि बने हुए हैं। भारत के नागालैंड जिले में ही इसका एक उदाहरण है। यहां के मोन जिले में एक लोंगवा नामक गांव है। जो म्यांमार की सीमा से बिल्कुल सटा हुआ है। यहां के नागरिक दोनों देशों की नागरिकता रखते हैं और दोनों तरफ स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। गांव के मुखिया अंग का घर आधा भारत में और आधा अंतरराष्ट्रीय रेखा के पार यानी म्यांमार में है। इस तरह यूरोप में नीदरलैंड और बेल्जियम की सीमा पर घर, दुकानें, कैफे और रेस्तरां बने हुए हैं।