एधी के निधन से सदमे में गीता, पाक में पाली गई थी बेटी की तरह

Update: 2016-07-09 22:57 GMT

इंदौरः यहां के मूक-बधिर संस्थान में रह रही गीता के लिए शनिवार की सुबह आई एक खबर बड़ा सदमा दे गई। उसे पाकिस्तान में पनाह देने वाले सोशल एक्टिविस्ट अब्दुल सत्तार एधी के निधन की खबर मिलने के बाद गीता लगातार रोती रही। एधी का शुक्रवार को कराची में निधन हो गया था। एधी ने अपनी बेटी की तरह गीता को पाकिस्तान में रखा था और उसे अच्छी जिंदगी दी थी।

रास्ता भटककर पाक पहुंची थी गीता

मूक और बधिर गीता राह भटककर पाकिस्तान पहुंची थी। सीमा पर तैनात सैनिकों ने उसे इस्लामाबाद की एक संस्था में भेज दिया था। कुछ समय वहां रहने के बाद गीता को एधी फाउंडेशन भेजा गया। गीता ने एधी फाउंडेशन में अपनी जिंदगी के 12 साल काटे। अब्दुल सत्तार एधी की पत्नी बिलकीस बानो को गीता से खास लगाव था। उन्होंने ही बच्ची को गीता नाम दिया और संस्था में उसके लिए एक मंदिर भी बनवाया। अब्दुल और बिलकीस ने भारत की बच्ची को लौटाने की पहल की थी। जिसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद गीता भारत आई।

कौन थे अब्दुल सत्तार एधी?

अब्दुल सत्तार एधी पाकिस्तान के नामचीन सोशल एक्टिविस्ट और एधी फाउंडेशन के अध्यक्ष थे। ये फाउंडेशन पाकिस्तान और कई देशों में है। उनकी पत्नी बेगम बिलकीस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। दोनों को एक साथ 1986 में रैमन मैग्सेसे सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें लेनिन शांति पुरस्कार भी दिया गया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार एधी फाउंडेशन के पास दुनिया की सबसे बड़ी निजी एंबुलेंस सेवा है।

एधी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ जिले के बांटवा गांव में हुआ था। आजादी के बाद बंटवारे में वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। उन्हें पाकिस्तान में फरिश्ता, गॉडफादर और गांधी के उपनामों से नवाजा गया। शुक्रवार को उन्हें कराची के सिंध इंस्टीट्यूट ऑफ यूरोलॉजी में भर्ती किया गया था। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। देर शाम किडनी फैल्योर के कारण उनकी मौत हो गई।

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