Aditya-L1 Mission: चांद के बाद सूरज की ओर बढ़े ISRO के कदम, 7 पेलोड संग उड़ान भरने को तैयार, काउंटडाउन जारी

ISRO Solar Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आदित्य-एल1 मिशन सूरज का अध्ययन करने वाला देश का पहला मिशन है। ISRO चंद्रयान-3 की सफलता से उत्साहित है। अब देशवासियों की नजरें इस मिशन पर टिकी हैं।

Update: 2023-09-01 17:26 GMT
ISRO Solar Mission (Social media)

Aditya-L1 Mission Launch: चांद पर सफलता के झंडे गाड़ने के बाद अबभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के कदम सूर्य की ओर बढ़ चले हैं। भारत शनिवार (02 सितंबर) को अपना पहला सौर मिशन 'आदित्य-एल1' लॉन्च करने जा रहा है। लॉन्चिंग का काउंटडाउन जारी है। इसरो ने बताया कि, इस मिशन को 2 सितंबर की सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से PSLV से लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने अपने नए मिशन से जुड़ी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट की है। जिसमें बताया, कि 'आदित्य-एल1 पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर, सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है।'

प्रतिदिन भेजेगा 1,440 तस्वीरें

इसरो का ये नया मिशन सूर्य का अध्ययन करेगा। भारत के पहले मिशन 'आदित्य-एल 1' का प्राथमिक उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (VELC) इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को प्रतिदिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा। VELC उपकरण 'आदित्य-एल 1' का ‘सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड माना जा रहा है। इसे बेंगलुरु के पास होसकोटे में भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (Indian Institute of AstroPhysics) के 'क्रेस्ट' अर्थात विज्ञान प्रौद्योगिकी अनुसंधान और शिक्षा केंद्र परिसर में इसरो की मदद से एकीकृत किया गया था। इसका परीक्षण और क्रम निश्चित करने का कार्य भी इसी परिसर में हुआ।

Aditya-L1 के 7 पेलोड, करेंगे ये काम

आदित्य-एल 1 (Aditya-L1) PSLV- C 57 रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए अपने साथ 7 पेलोड ले जाएगा। इनमें से 4 सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण (Observation of Sunlight) करेंगे जबकि, शेष 3 उपकरण प्लाज्मा एवं चुंबकीय क्षेत्र (Plasma and Magnetic Field) के यथास्थान मापदंडों को मापेंगे। इसे 'लैग्रेंजियन' बिंदु-1 यानी L1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बता दें, यह सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह सूर्य के चारों ओर उसी सापेक्ष स्थिति में चक्कर लगाएगा। इसलिए लगातार सूर्य को देख सकता है।

क्या सूर्य पर उतरेगा आदित्य-एल1?

अब लोगों के जेहन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि, क्या आदित्य-एल1 सूर्य पर उतरेगा? इस बारे में भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया कि, 'सूर्य गैस का एक विशाल गोला है। आदित्य-एल 1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल 1 ना तो सूर्य पर उतरेगा और ना ही सूर्य के करीब जाएगा।' ISRO ने दो ग्राफ के जरिए इस मिशन को लेकर और अच्छी तरह जानकारी दी।

पृथ्वी की निचली कक्षा में होगा स्थापित, फिर...

Aditya-L1 की परियोजना वैज्ञानिक और VELC की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल (Dr. Muthu Priyal) ने बताया कि, 'तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक फोटो आएगी। अर्थात, 24 घंटे में करीब 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी। शुरुआत में, आदित्य-एल 1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बाद में धीरे-धीरे इसकी कक्षा का अपग्रेड किया जाएगा। आख़िरकार, एक वक़्त पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलकर सूर्य के करीब एल-1 प्‍वाइंट की ओर सफर शुरू करेगा।'

आदित्य-एल1 को यात्रा में लगेंगे 4 महीने

लॉन्चिंग से एल1 तक की यात्रा में आदित्य-एल1 को करीब 4 महीने का समय लगेगा। पृथ्वी से दूरी लगभग 15 लाख किलोमीटर होगी। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी करीब 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। ISRO ने कहा, 'एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा (Halo orbit) में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ मिलता है। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों (Solar Activities) और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन संभव हो सकेगा।'

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