Aishwarya Rituparna Pradhan: सिविल सर्वेंट बनने के लिए किन्नर को बदलना पड़ा अपना अस्तित्व, अब ये बड़ी पहचान

Aishwarya Rituparna Pradhan: ऐश्वर्या ने एक इंटरव्यू को दौरान बताया था कि उनको ट्रांसजेंडर होने का पता तब चला था जब वह कक्षा 6 में पढ़ रही थीं।

Report :  Jugul Kishor
Update:2022-12-26 17:12 IST

Aishwarya Rituparna Pradhan

Aishwarya Rituparna Pradhan: हमारा देश भले ही आगे निकल गया हो लेकिन आज भी देश में समलैंगिक समुदाय को अपने हक अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। आज भी देश में ट्रांसजेंडरों को आम आदमी अपने आप से अलग समझते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ में दुर्रव्यवहार की खबरें सामने आती रहती है। इन सब चुनौतियों के बाद भी ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग शासन से लेकर प्रशासन में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल हो रहे हैं। आज इस रिपोर्ट में ऐसी ही एक ट्रांसजेंडर की बात करेंगे जो देश की पहली सिविल सर्वेंट बनी हैं। दरअसल हम बात कर रहें की ओडिशा की सिविल सेवक ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान की। जो ओडिशा मे वित्तीय सेवा विभाग (ओएफएस) में एक वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।

ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान ओडिशा के कंधमाल जिले में स्थित कतिबागेरी गांव की रहने वाली हैं। ट्रांसजेंडर होने के नात उन्हे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, इसके बावजूद एक वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुई हैं।

स्कूल में छात्रों और शिक्षकों ने उड़ाया मजाक

ऐश्वर्या ने एक इंटरव्यू को दौरान बताया था कि उनको ट्रांसजेंडर होने का पता तब चला था जब वह कक्षा 6 में पढ़ रही थीं। ट्रांसजेंडर का पता लगने के बाद में उनके जीवन में परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा। स्कूल में उनके साथ गलत बर्ताव किया जाने लगा। बच्चों के साथ में स्कूल शिक्षक भी उनका मजाक उड़ाने लगे। उन्होने बताया कि छात्रों और शिक्षकों द्वारा उनका मजाक उड़ाए जाने के बाद भी उन्होने अपना हौसला कम नहीं किया।


तमाम परेशानी को झेलते हुए उन्होने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उसके बाद में उन्होने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से स्नातक और लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद में जब उन्होने राज्य सिविल सेवा की तैयारी शुरु की तब उनका मजाक उड़ाया गया। उन्होने बताया कि राज्य सिविल सर्विसेज में भर्ती होने के बावजूद भी लोग उन्हें शक की निगाहों से देखते थे क्योंकि उन्हें लगता था एक ट्रांसजेंडर द्वारा अपनी कर्तव्यों का निर्वहन अच्छे से नहीं हो पाएगा।

सिविल सेवक बनने के बाद में करवाया ट्रांसफॉरमेशन

ऐश्वर्या कहती हैं कि साल 2010 में राज्य सिविल सेवा में आने के बाद भी एक ट्रांसजेंडर होने के कारण उनको अपनी पहचान बनाने में पांच साल का समय लगा। उन्होने बताया कि उनकी पहली तैनाती उस समय पारादीप पोर्ट टाउनशिप में बतौर पुरुष अफसर के रुप में हुई थी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने जब समलैंगिक समुदाय को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी तो उन्होने कानूनी रुप से अपने जेंडर को मेल से फीमेल में बदलने का फैसला किया। उन्होंने लिंग परिवर्तन के लिए आवश्यक कागज़ी कार्रवाई पूरी की और अपने लिए एक नाम के रूप में 'ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान' (Aishwarya Rituparna Pradhan) को चुना।

ऐशवर्या बताती हैं कि सिविल सेवा में आने के बाद में शुरुआती दिनों में उन्हे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। उनके साथ काम करने वाले सहकर्मियों ने उन्हे स्वीकार किया। परिणामस्वरुप उनके सीनियर या उनके दोस्त अब सभी उन्हे उनके नाम से जानते हैं। पहले जो लोग उन्हे सर कहकर बुलाते थे अब वह सभी मैडम कहते हैं।  

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