CBI चीफ आलोक वर्मा के इस्तीफे के बाद जानिए क्यों की गई थी छुट्टी?
सीबीआई के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। आलोक वर्मा ने सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया है। इससे पहले आलोक वर्मा ने डीजी फायर सर्विसेज एंड होमगार्ड का पद संभालने से इंकार कर दिया था।
नई दिल्ली: सीबीआई के निदेशक पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। आलोक वर्मा ने सरकार को अपना इस्तीफा भेज दिया है। इससे पहले आलोक वर्मा ने डीजी फायर सर्विसेज एंड होमगार्ड का पद संभालने से इंकार कर दिया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाली के 48 घंटों के भीतर चयन समिति ने आलोक वर्मा को पद से हटा दिया।
यह भी पढ़ें.....ऑफर: यूपी के मंत्री किसानों को गाय पालने पर देंगे 6 हजार रुपये प्रतिदिन
पीएम मोदी की अगुआई वाली समिति ने आलोक वर्मा को हटाया था। इस समिति में कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे व सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ए. के.सीकरी भी शामिल हैं। हाई-पावर्ड ने सीवीसी जांच रिपोर्ट के आधार पर वर्मा की सीबीआई निदेशक पद से परमानेंट छुट्टी कर दी। आइए आपको बताते हैं वो कारण जो आलोक वर्मा की छुट्टी की वजह बनें.....
-प्रधानमंत्री की अगुआई वाली चयन समिति ने वर्मा के खिलाफ सीवीसी की बेहद गंभीर टिप्पणियों का संज्ञान लिया। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया था कि वर्मा ने मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच को प्रभावित करने के लिए सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये की घूस ली थी। सीवीसी ने अपनी जांच में वर्मा के आचरण को 'संदेहास्पद' और प्रथमदृष्टया ही उनके खिलाफ केस पाया।
-रेलवे के 2 होटलों का ठेका देने से जुड़े आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जांच के मामले में भी वर्मा पर गंभीर आरोप थे। आरोपों के मुताबिक, वर्मा ने इस मामले में पुख्ता सबूतों के बावजूद एक वरिष्ठ अधिकारी को बचाया और जांच में उनका नाम हटा दिया।
यह भी पढ़ें.....पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में क्लर्क के 352 पदों पर निकली वैकेंसी
-चयन समिति हरियाणा के एक जमीन घोटाले के मामले में भी वर्मा पर लगे आरोपों को काफी गंभीर प्रकृति का पाया। इस मामले में शुरुआती जांच को बंद करने को सुनिश्चित करने के लिए कथित तौर पर 36 करोड़ रुपये में सौदा हुआ। वर्मा पर आरोप है कि वे हरियाणा के तत्कालीन टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर और एक रियल एस्टेट कंपनी के संपर्क में थे। सीवीसी ने इस मामले में 'आगे की जांच की जरूरत' बताई।
-आलोक वर्मा पर यह भी आरोप था कि जब वह 2016 में दिल्ली पुलिस के कमिश्नर थे तो उन्होंने कस्टम डिपार्टमेंट द्वारा पकड़े गए एक सोने की तस्करी करने वाले को बचाया था। वर्मा ने कथित तौर पर इस तस्कर को पुलिस सुरक्षा में बाहर निकालने का निर्देश दिया था। सीवीसी ने जांच में इन आरोपों को 'आंशिक रूप से पुख्ता' पाया और सीबीआई की एक अन्य शाखा द्वारा इसकी जांच की सिफारिश की।
यह भी पढ़ें.....अपनी याददाश्त को बनाना है तेज, तो भोजन में करें इनका भी इस्तेमाल
-वर्मा पर यह भी आरोप थे कि उन्होंने दागी अधिकारियों को सीबीआई में लेने की कोशिश की थी। वर्मा ने कथित तौर पर 2 दागी अधिकारियों को सीबीआई में लाने की कोशिश की थी, जबकि दोनों के खिलाफ प्रतिकूल रिपोर्ट थे। सीवीसी ने इन आरोपों को 'पुख्ता' पाया।