किरण का नापाक खेल, आस्था पर भी आई

Update:2018-06-08 15:19 IST
किरण का नापाक खेल, आस्था पर भी आई

अमृतसर। वैसे तो किसी भी रिश्ते की नींव आस्था व विश्वास पर टिकी होती है, लेकिन जब आस्था व विश्वास के साथ ही विश्वासघात होने लगे तो आस्था के उस केन्द्र पर आंच आना स्वाभाविक है। खासतौर से जब यह मामला देश हित से जुड़ा हो तो अंगुली उठेगी ही। कुछ इसी तरह के हालातों का सामना इन दिनों सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था एसजीपीसी के अधिकारियों को करना पड़ रहा है। जी हां। हम बात कर रहे हैं किरण बाला की उस नापाक हरकत की जिसने न केवल अपने परिजनों के साथ विश्वासघात किया बल्कि मां की ममता का भी गला घोंट दिया। यही नहीं उसने उस जत्थे पर कभी न मिटने वाला स्याह धब्बा लगा दिया है जिससे हजारों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय सिख श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल होकर पाकिस्तान पहुंची पंजाब के होशियारपुर जिले के गांव गढ़शंकर की रहने वाली एक महिला लाहौर पहुंचते ही सिख जत्थे का साथ छोड़कर लापता हो गई और वहां एक मुस्लिम युवक मोहम्मद आजम के साथ निकाह कर लिया। किरण के इस खतरनाक मंसूबों की भनक न तो गांव गढ़शंकर में रह रहे उसके परिजनों को लगी और ना ही जत्थे के सदस्यों व नेतृत्व को। इस बात का पता तब चला जब पाकिस्तान से लौटे जत्थे के कुछ सदस्यों ने महिला के परिजनों को इस बाबत बताया।

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बताया जा रहा है कि दो बच्चों की मां किरण बाला पाकिस्तान में सिख जत्थे से अलग हो गई। किरण की तलाश में छापेमारी की जा रही थी। इसी बीच किरण ने लाहौर की जामा मस्जिद में लाहौर निवासी अपने फेसबुक फ्रेंड मोहम्मद आजम के साथ निकाह कर इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान विदेश मंत्रालय में एक अर्जी दायर कर कहा कि उसकी वीजा अवधि तीन माह के लिए बढ़ाई जाए ताकि वह अपने शौहर के साथ पाकिस्तान में रह सके।

गौरतलब है कि वैशाखी से पहले अटारी से स्पेशल ट्रेन से 1800 सिख श्रद्धालुओं का जत्था पाकिस्तान गया था। उस समय पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को जत्थे से मिलने से रोक दिया था। खैर इस मामले में खुलासे हो रहे हैं वह वाकई चौंकाने वाले हैं जो भारतीय खुफिया एंजेंसियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

एसजीपीसी पर भी उठे सवाल

सिख जत्थे के साथ गई किरण के मामले में एसजीपीसी पर भी सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में एसपीपीसी के पदािधकारी व श्री हरिमंदिर साहिब के एक मैनेजर का नाम सामने आने के बाद गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पल्ला झाड़ते हुए इसे भारतीय खुफिया एजेंसियों की नाकामी बताया और मामले की जांच के लिए कमेटी के गठन का फैसला लिया। उल्लेखनीय है कि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से जो भी श्रद्धालु जत्था पाकिस्तान भेजा जाता है उसे उस क्षेत्र के एसजीपीसी सदस्य की सिफारिश पर ही वीजा दिया जाता है। इस बीच एसजीपीसी के प्रवक्ता ने कहा कि एसजीपीसी वीजा सरकार को भेज देती है। इसकी जांच सरकार एजेंसियां करती हैं। किरण बाला का संबंध पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से था तो इसकी जांच एजेंसियों को करना चाहिए था।

मजीठिया के पीए ने किया इनकार

पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के पीए तलबगीर सिंह का कहना है कि मामले से मेरा कोई संबंध नहीं है। मैंने श्री हरिमंदिर साहिब के मैनेजर व एसजीपीसी के कर्मचारी सुलखन सिंह भंगाली से किरण बाला को पाकिस्तान भेजने की कोई सिफारिश नहीं की। भंगाली ने खुद ही मेरे नाम का गलत इस्तेमाल किया है। सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियां इस मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। इधर, बताया जाता है कि एजीपीसी इस मामले में भंगाली व तलबगीर को बचाने में लगी हुई है।

पाक में अकेली पड़ी किरण बाला

बताया जा रहा है कि पाकिस्तान में मोहम्मद आजम से निकाह कर हिंदू से मुस्लमान बनी किरण बाला अब अकेली पड़ गई है। खबरों के मुताबिक किरण का शौहर मोहम्मद सऊदी अरब में नौकरी करता है। वह निकाह के लिए ही एक माह की छुट्टी लेकर आया था और अब वो किरण को छोड़कर सऊदी अरब चला गया है।

पहले भी लापता हो चुका है जत्थे के साथ गया व्यक्ति

सिख जत्थे के साथ पाकिस्तान जाकर वहां किसी के गायब होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी अप्रैल 2015 में सिख जत्थे के साथ वैशाखी मनाने पाकिस्तान गए जिला फरीदकोट के सुनली सिंह और उसके परिवार के सदस्य पाकिस्तान में लापता हो गए थे, जिनका तीन साल बाद भी कुछ पता नहीं चला। सुनील के बारे में कहा जाता है कि जाली पते के आधार पर राशन कार्ड, वोटर कार्ड व आधार बनवाकर वह गांव सांधावा में अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहता था और मजदूरी करता था। इन्हीं कागजातों के आधार पर वीजा बनवाकर वह पाकिस्तान गया और आज तक वापस नहीं लौटा।

 

पुलिस अभी तक यह भी पता नहीं लगा पाई कि सुनील स्थायी रूप से भारत का ही रहने वाला था या फिर पाकिस्तान से वह किसी खास मकसद से भारत आया था और मौके का फायदा उठाकर पाकिस्तान चला गया। इसी तरह इस साल भी जब सिख जत्था वैशाखी मनाकर भारत लौटा उसे अपने जत्थे के दूसरे सदस्य के गायब होने का पता चला। अमृतसर जिले का रहने वाला यह युवक लाहौर से ही लापता हो गया था। खैर गनीमत रही कि करीब एक सप्ताह बाद ही उसे पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने भारत सरकार के हवाले कर दिया।

गांव निरंजपुरा के रहने वाले सुनील ने बताया कि वह फेसबुक पर फ्रेंड बने अपने लाहौर निवासी एक दोस्त से मिलने उसके घर चला गया था, लेकिन उसके दोस्त ने बाद में उसे पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों के हवाले कर दिया जिन्होंने उसे भारत वापस भेजा है। खैर जो भी हो इन तीनों ही घटनाओं ने एक तरफ एजीपीसी को कटघरे में खड़ा किया है वहीं दूसरी तरफ भारतीय खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा दिया है।

देश की सुरक्षा के लिए घातक बन रहा सोशल मीडिया

अभी कुछ दिन पहले ही वायुसेना के एक अधिकारी व अमृतसर में एक निजी कंपनी के कर्मचारी को पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं पाकिस्तान भेजने के आरोप में पकड़ा था। हालांकि यह मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ पाया था कि जालंधर पुलिस ने इंजीनियरिंग के दो कश्मीरी छात्रों को गोपनीय सूचनाएं हैक कर पाकिस्तान भेजने के आरोप में जालंधर से गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि ये दोनों युवक पाकिस्तान की किसी महिला के फेसबुक फ्रेंड हैं जो गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेज रहे हैं।

किरण के ससुर ने कहा-आईएसआई से हो सकता है संबंध

बहू की बेवफाई से आहत किरण बाला के ससुर ने कहा कि उन्हें शक है कि किरण का संबंध आईएसआई से भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी बहू अक्सर फोन पर लगी रहती थी। यह पूछे जाने पर कि वह किससे बातें करती है तो वह झगड़े पर उतारू हो जाती थी। कुछ समय से उन्हें उसका व्यवहार बदला-बदला सा लग रहा था, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि वह अपने बच्चों को छोड़कर पाकिस्तान जाकर शादी रचा लेगी। उधर पाकिस्तान से सोशल मीडिया पर किरण ने कहा कि अब वह पूरी से इस्लाम कबूल कर चुकी है और अब उसकी लाश ही भारत जाएगी। अब उसका संबंध भारत में रह रहे उसके परिजनों से नहीं है। वह अपने शौहर के साथ खुश है।

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