आंदोलन में अन्ना हजारे: आए किसानों के समर्थन में, भारत बंद में रखेंगे व्रत

नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वाहन किया है। इस दौरान अन्ना हजारे ने मौन व्रत रखने का संकल्प लिया है।

Update: 2020-12-07 12:08 GMT
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं।

नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) जारी है। देश भर के किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। वहीं किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वाहन किया है। किसानों के इस आंदोलन को ना केवल देश बल्कि विदेशों से भी समर्थन मिल रहा है। किसानों के समर्थन में अब तक कई राजनीतिक दल और संगठन उतर चुकी हैं। इस बीच अन्ना हजारे ने भी किसानों का समर्थन किया है।

अन्ना हजारे ने लिया मौन व्रत रखने का संकल्प

अन्ना हजारे ने भारत बंद के दिन किसानों के समर्थन में मौन व्रत रखने का संकल्प लिया है। बता दें कि किसान संगठनों ने कल यानी आठ दिसंबर को भारत बंद रखने का फैसला किया है। किसानों के इस फैसले को ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन दिया है। बंंद के दिन इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। किसान संगठनों के मुताबिक, भारत बंद के दौरान सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर तीन बजे तक प्रदर्शन किया जाएगा।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की कर चुके हैं अगुवाई

जानकारी के लिए आपको बता दें कि अन्ना हजारे ने साल 2011 और 2012 के बीच भ्रष्टाचार के खिलाफ इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन की अगुवाई की थी। जिसकी वजह से यूपीए सरकार की काफी ज्यादा किरकिरी हुई थी और आखिर में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार को 2014 के लोकसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा। अब हजारे किसान आंदोलन को अपना समर्थन देंगे। बंद के दौरान वो मौन व्रत रखेंगे।

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9 दिसंबर को केंद्र और किसान के बीच छठे दौर की होगी बातचीत

किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वाहन किया है तो वहीं उसके एक दिन बाद यानी नौ दिसंबर को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की बातचीत होगी। इससे पहले हुई वार्ताओं में कुछ बाच बनती दिखाई नहीं दी। बता दं कि किसान अपनी मांंगी पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना होगा, नहीं तो वो आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

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