अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive: हरिद्वार में नेताओं का सियासी घमासान

Update:2017-08-18 15:47 IST

देहरादून। पिछले हफ्ते जब हरिद्वार में आसमान से आफत की बारिश बरस रही थी और पूरा शहर तालाब बना हुआ था उसी समय शहर के अंदर सियासी तूफान भी घना हो चला था। दो हाईप्रोफाइल नेताओं की लड़ाई का खामियाजा आम जनता को ही उठाना पड़ा। स्वच्छता आंदोलन की जगह कूड़ा आंदोलन ने ले ली।

10 अगस्त को मूसलाधार बारिश के बाद पूरा हरिद्वार जलमग्न हो गया था। राज्य के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम के पास की मुख्य सडक़ पर पुल से पहले पानी भर गया। इस दौरान कई क्षेत्रों में जलभराव देखने निकले मेयर मनोज गर्ग प्रेमनगर पुल के पास पहुंचे और पुल की बगल में लगे टीन शेड को हटवाने के लिए जेसीबी मंगवा ली। नगर मजिस्ट्रेट भी वहां मौजूद थे। जलनिकासी के लिए जैसे ही सडक़ किनारे नाले के पास लगाई गई टीनशेड का हटाने का प्रयास किया तो प्रेमनगर आश्रम के सेवक और कर्मचारी उसका विरोध करने पहुंच गए।

आरोप है, कि आश्रम के कुछ सेवकों और कर्मचारियों ने मेयर पर हमला कर दिया। देखते ही देखते मेयर के हजारों समर्थक मौके पर जमा हो गए और एक खूनी संघर्ष शुरू हो गया। मेयर समर्थकों ने न सिर्फ सतपाल महाराज के खिलाफ नारे लगाए बल्कि प्रशासन पर सतपाल महाराज के आश्रम के कब्जे वाली दीवार तुड़वाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस दीवार को लेकर आस पास के इलाकों में पहले से विरोध था। जैसे ही जेसीबी दीवार तोडऩे लगी आश्रम की ओर से दोबारा पथराव होने लगा। इस बार पत्थर मेयर के खेमे से भी चले और भगदड़ मच गई।

हालात बिगड़े तो प्रशासन के तमाम आला अधिकारी हरकत में आए। मामला सुलझाने की असफल कोशिशें हुयीं। मौके पर पहुंचे एसएसपी कृष्ण कुमार ने पीएसी और कई थानों की पुलिस बुलाई और लाठियां भांजकर पुलिस ने दोनों पक्षों के लोगों को खदेड़ा।

मेयर पर हमले से गुस्साए नगर निगम कर्मचारियों ने प्रेमनगर आश्रम के मुख्य द्वार के सामने कूड़ा उड़ेल दिया। आश्रम पर कार्रवाई की मांग को लेकर अगले दिन वे हड़ताल पर चले गए और दफ्तरों में तालाबंदी कर जुलूस निकाला। पूरे शहर में गंदगी के ढेर लगे रहे। नगर निगम की सहयोगी केआरएल कंपनी के कर्मचारियों ने भी कूड़ा नहीं उठाया। आश्रम के कर्मचारी भी मेयर और उनके समर्थकों पर कार्रवाई की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठ गए। यही नहीं, आश्रम की ओर से हरिद्वार के मेयर मनोज गर्ग के साथ अन्य और लोगों के खिलाफ पुलिस में तहरीर दी गई।

सतपाल महाराज बनाम मदन कौशिक

ऊपर से तो मामला मेयर बनाम सतपाल महाराज लग रहा था लेकिन सियासी हलकों में यह बात साफ तौर पर कही जा रही थी कि यह जंग सतपाल महाराज और मदन कौशक के बीच है। हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक राज्य में कैबिनेट मंत्री तो हैं ही, राज्य सरकार के प्रवक्ता भी हैं। हालांकि कौशिक पूरे प्रकरण में पर्दे के पीछे रहे लेकिन सतपाल महाराज के आश्रम की ओर से उनके खिलाफ एफआईआर लिखवाने की बात भी कही गई।

मदन कौशिक समझौते के इरादे से प्रेमनगर आश्रम पहुंचे लेकिन उन्हें सतपाल महाराज नहीं मिले और करीब चालीस मिनट तक उन्होंने सतपाल महाराज के पीएस गुलाब सिंह व अन्य लोगों से बातचीत की तथा उनसे मुकदमा वापस लेने को कहा।

13 अगस्त को हरिद्वार में बीजेपी की जिला कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई। करीब साढ़े तीन घंटे लंबी बैठक चली और तय हुआ कि मामले की जांच अनुशासन समिति करेगी। समिति के अध्यक्ष ज्ञान सिंह नेगी और महामंत्री प्रकाश हरबौला को इस प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। वे पंद्रह दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपेंगे। सतपाल महाराज इस बैठक से संतुष्ट दिख जबकि इस बैठक में मदन कौशिक नहीं थे।

इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और सतपाल महाराज प्रेमनगर आश्रम पहुंचे। मुख्य द्वार के बाहर अनशन पर बैठे सतपाल महाराज समर्थकों को दोनों नेताओं ने जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया। अजय भट्ट ने कहा कि ये विवाद एक दुर्घटना की तरह है जो नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सतपाल महाराज का कद बहुत बड़ा है, इस घटना से महाराज की जो छवि धूमिल हुई उससे संत समाज भी आहत हुआ है। अजय भट्ट ने इस पूरे मामले के लिए अपनी तरफ से सतपाल महाराज से माफी भी मांगी।

आश्रम के सवाल पर महाराज की सफाई

इस पूरे प्रकरण में प्रेमनगर आश्रम सवालों के घेरे में आया। कैबिनेट मंत्री और आश्रम के मालिक सतपाल महाराज ने साफ किया कि उनकी संस्था ने कोई कब्जा नहीं किया है। जिस भूमि पर विवाद बताया जा रहा है वो उन्हें सिंचाई विभाग ने आवंटित की है। इस मामले की जांच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी करा चुके हैं। सतपाल महाराज ने कहा कि मेयर ने उनकी संस्था से बात की होती तो वे खुद भी दीवार गिरा देते।

 

Tags:    

Similar News