नई दिल्ली: होली से ठीक पहले सरकार को दोहरा प्रोत्साहन मिला है। क्योंकि, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) और आठ प्रमुख उद्योगों (ईसीआई) के आंकड़ों से अर्थव्यवस्था में तेजी लौटने के संकेत मिले हैं। लेकिन राजकोषीय घाटे ने खेल बिगाड़ दिया है, जो पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 113.7 फीसदी तक पहुंच गया है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में देश के विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लौटने से देश की जीडीपी की रफ्तार बढ़कर 7.2 फीसदी हो गई है, जबकि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान यह 5.2 फीसदी थी।
राष्ट्रीय आय के दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 की जीडीपी स्थिर (2011-12) कीमतों के आधार पर 130.04 लाख करोड़ रुपए रहेगी। जबकि वित्त वर्ष 2016-17 का पहला संशोधित अनुमान 121.96 लाख करोड़ रुपए था, जिसे 31 जनवरी 2018 को जारी किया गया था। वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की वृद्धि दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह 7.1 फीसदी था।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश के जीडीपी के तिमाही आंकड़ों में वृद्धि विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लौटने से आई है, जो 8.1 फीसदी रही।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने कहा, कि 'अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और विकास दर में वर्तमान तेजी यह दिखलाती है कि सरकार द्वारा किए गए सुधार के पहल का नतीजा दिखना अब शुरू हो गया है।'
उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा, कि जीडीपी की रफ्तार को तीसरी तिमाही में विनिर्माण, निर्माण और कृषि क्षेत्र का साथ मिला है, जो अर्थव्यवस्था की रंगीन तस्वीर पेश कर रहे हैं। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने कहा, 'तीसरी तिमाही में जीडीपी की 7.2 फीसदी वृद्धि दर निवेश, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में सुधार को इंगित करता है और इससे अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की अच्छी रफ्तार रहने की उम्मीद जगी है और वित्त वर्ष 2017-18 में अधिक तेजी देखने को मिलेगी।'
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि जीडीपी में महत्वपूर्ण सुधार 'उल्लेखनीय है और इस धारणा को मजबूत करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विकास की दहलीज पर है।' देश के आठ प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में जनवरी में 6.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो 2017 के दिसंबर में 4 फीसदी थी तथा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3.4 फीसदी थी।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, 'आठ प्रमुख उद्योगों (ईसीआई) का संयुक्त सूचकांक जनवरी में 133.1 रहा, जोकि साल 2017 के जनवरी की तुलना में 6.7 फीसदी अधिक है।' बयान में कहा गया, 'वित्त वर्ष 2017-18 में अप्रैल से जनवरी के दौरान संचयी विकास दर 4.3 फीसदी रही।'
ईसीआई सूचकांक में प्रमुख सेक्टरों जैसे कोयला, स्टील, सीमेंट और बिजली की गणना की जाती है तथा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में इसका भार 40.27 फीसदी है, जो कि देश के फैक्टरी उत्पादन का मापक है। हालांकि, वित्त वर्ष 2017-18 की अप्रैल-जनवरी अवधि में देश का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 113.7 फीसदी तक पहुंच गया है।
महालेखा नियंत्रक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-जनवरी की अवधि में राजकोषीय घाटा 6.77 लाख करोड़ रुपये रहा, जोकि पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 113.7 फीसदी है। समीक्षाधीन अवधि में सरकार का पूंजीगत व्यय 2.64 लाख करोड़ रुपये रहा। आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन अवधि में राजकोषीय घाटा 4.8 लाख करोड़ रुपये रहा।
इस दौरान, विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र सूचक- निक्केई इंडिया मैनुफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में गिरावट देखने को मिली और यह जनवरी में 52.4 से गिरकर 52.1 पर आ गया। हालांकि फिर भी यह सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इस सूचकांक में 50 से ऊपर का अंक तेजी का संकेत है। देश के विनिर्माण क्षेत्र में कारोबारियों गतिविधियों में फरवरी में सुधार हुआ है, लेकिन इसकी रफ्तार जनवरी से कम है।
आईएएनएस