लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हैं अरुण जेटली, जानिए कैसे करता है काम
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की हालत नाजुक बनी हुई है। अरुण जेटली को नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत नाजुक है जिसकी वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है।
नई दिल्ली: पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली की हालत नाजुक बनी हुई है। अरुण जेटली को नई दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत नाजुक है जिसकी वजह से उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है।
पिछले दिनों 9 अगस्त को उन्हें सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी के चलते एम्स भर्ती कराया गया था। उनकी हालत के बारे में लगातार एम्स की तरफ से मेडिकल बुलेटिन जारी किए जा रहे हैं। आमतौर पर किसी मरीज को तब लाइफ सपोर्ट सिस्टम की जरूरत पड़ती है, जब वो उसकी हालत बहुत नाजुक हो और शरीर के सिस्टम को सामान्य रूप से काम करने में परेशानी होने लगे।
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आइए जानते हैं क्या है लाइफ सपोर्ट सिस्टम और कैसे करता है काम
लाइफ सपोर्ट सिस्टम विज्ञान की आधुनिकतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है जिसने इंसान के जीवन को बचाने की संभावनाओं को नये आयाम दिए हैं। इस तकनीक से दुनिया भर में अब तक लाखों लोगों को कठिनतम समय में जीवन दान मिला है।
कठिनतम समय जब उनके शरीर के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया तब भी वो लाइफ सपोर्ट सिस्टम की मदद से रिकवर करने में कामयाब रहे, लेकिन इससे वापस लौटना इतना भी आसान नहीं है।
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इस समय पड़ती है जरूरत
शरीर के तीन हिस्से हृदय, मस्तिष्क या फेंफड़ों की स्थिति गंभीर होने पर इस सिस्टम की जरूरत होती है। कई बार निमोनिया, ड्रग ओवरडोज, ब्लड क्लॉट, सीओपीडी या सिस्टिक फाइब्रोसिस, फेफड़ों में इंजरी या अन्य बीमारियों की वजह से फेफड़े निम्नतम साथ देते हैं। ऐसे में इस सिस्टम की मदद से फेफड़ों को ये सपोर्ट सिस्टम मदद करता है।
वहीं कभी कर्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक होने पर भी हृदय को सहायक बनाने के लिए ये लाइफ सपोर्ट सिस्टम देना पड़ता है। ब्रेन स्ट्रोक या सिर पर चोट लगने पर भी यह सिस्टम मददगार साबित होता है।
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हृदय के मामले में सबसे पहले सीपीआर की मदद ली जाती है जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा को पूरे शरीर में पहुंचाया जा सके। लाइफ सपोर्ट सिस्टम की मदद से दिल को दवाओं या अन्य प्रणालियों से काम करने के लिए तैयार किया जाता है।
अगर देखें तो डायलिसिस भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम का खास अंग कहा जाएगा। इसके जरिये किडनी को मदद दी जाती है। जब इंसान की किडनी तकरीबन 80 फीसदी तक काम करना बंद कर देती है तो शरीर की विषाक्तता को रोकने में डायलिसिस की खास भूमिका होती है।
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इसलिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाता?
आमतौर पर जब व्यक्ति का इलाज संभव हो मगर नाजुक हालत की वजह से उसके शरीर का कोई विशेष अंग ठीक से काम न करे या पूरी तरह काम करना बंद कर दे, तो उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा जाता है। इसे वेंटिलेटर भी कहते हैं।
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इस निम्न स्थितियों में होता है
-जब व्यक्ति सांस न ले पा रहा हो या उसके फेफड़े ठीक से काम न कर रहे हों।
-जब व्यक्ति के दिल की धड़कन बहुत तेज घटे-बढ़े, उसे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट हो।
-जब व्यक्ति की किडनियां काम करना बंद कर दें।
-जब व्यक्ति के मस्तिष्क में खून की आपूर्ति कम हो जाए या उसे स्ट्रोक हो।