अब 'ऑपरेशन क्लीन मनी' के जरिए मोदी सरकार कालेधन पर लगाएगी लगाम, जानें कैसे

Update:2017-05-16 20:26 IST
अब 'ऑपरेशन क्लीन मनी' के जरिए मोदी सरकार कालेधन पर लगाएगी लगाम

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने मंगलवार (16 मई) को कालेधन और टैक्स चोरी के खिलाफ नया कदम उठाया है। इसके तहत सरकार अब इनकम टैक्स विभाग के छापों की रिपोर्ट एक वेबसाइट पर सार्वजनिक करेगी। साथ ही डिफॉल्टरों को 'हाई रिस्क' से 'वेरी लो रिस्क' कैटेगरी में बांटकर इस वेबसाइट पर उनकी लिस्ट डालेगी। वेबसाइट लॉन्च के मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया, कि 'नोटबंदी के बाद 91 लाख नए करदाताओं की पहचान की गई है।'

केंद्र सरकार की ओर से लॉन्च इस वेबसाइट का नाम है 'ऑपरेशन क्लीन मनी।' वित्त मंत्री जेटली ने वेबसाइट लॉन्च के बाद कहा, कि 'अब देश में टैक्स चोरी करने वाले सुरक्षित नहीं हैं। कई लोगों के लिए हिसाब-किताब करने का वक्त आ गया है। सरकार ईमानदार टैक्स दाताओं को राहत देना चाहती है। यह उसी दिशा में उठाया गया कदम है।'

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टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी दर्ज की गई

अरुण जेटली ने कहा, कि 'विमुद्रीकरण से डिजिटाइजेशन को काफी बढ़ावा मिला। साथ ही कैश ट्रांजैक्शन के खतरों को देखते हुए करदाताओं की संख्या और टैक्स रेवेन्यू में बढ़ोतरी दर्ज की गई।' उन्होंने कहा, कि नोटबंदी के बाद 91 लाख नए करदाता सामने आए। अभी उन्हें टैक्स रिटर्न में और बढ़ोतरी की उम्मीद है। नोटबंदी के बाद व्यक्तिगत आयकर संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

टैक्स चोरी की आदत छोड़ें

वेबसाइट लॉन्च के मौके पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा, कि 'हम चाहते हैं कि लोग टैक्स चोरी की आदत छोड़कर टैक्स भरने की आदत डालें। आयकर विभाग छापे से जुड़ी रिपोर्ट इस वेबसाइट पर डालेगा। साथ ही टैक्स डिफॉल्टर्स की पहचान करने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी भी इस वेबसाइट पर दी जाएगी।'

ऐसे करेगा काम

डिफॉल्टर्स के खिलाफ हाई रिस्क, मीडियम रिस्क, लो रिस्क और वेरी लो रिस्क जैसी श्रेणियां होंगी जिसके तहत अलग-अलग कदम उठाए जाएंगे। सूत्रों की मानें तो हाई रिस्क कैटिगरी में आने वाले लोगों और समूहों को तलाशी, जब्ती और सीधी जांच जैसी कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। जबकि, मीडियम रिस्क कैटिगरी को एसएमएस या ईमेल के जरिए सूचना भेजी जाएगी, ताकि वे सुधार के उपाय कर सकें। वहीं, लो रिस्क या वेरी लो रिस्क श्रेणी के डिफॉल्टर्स पर नजर रखी जाएगी। स्कैनिंग के तहत आने वाले व्यक्तियों या समूहों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

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