Aurangzeb Tomb : महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विहिप और बजरंग दल का तीखा तेवर,धमकी के बाद भारी पुलिस बल की तैनाती

Aurangzeb Tomb : महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर छिड़ा सियासी संग्राम और तेज हो गया है। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठनों ने छत्रपति संभाजी नगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज कर दी है;

Update:2025-03-17 14:27 IST

Aurangzeb Tomb: महाराष्ट्र में मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर छिड़ा सियासी संग्राम और तेज हो गया है। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत कई हिंदू संगठनों ने छत्रपति संभाजी नगर में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज कर दी है। भाजपा नेताओं की ओर से भी कब्र को हटाने की मांग की गई है। विहिप और बजरंग दल के प्रदर्शन के मद्देनजर औरंगजेब की कब्र पर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किए गए हैं। कब्र के इर्द-गिर्द भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

विहिप और बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि यदि कब्र को नहीं हटाया गया तो वे बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे और कब्र को हटाने के लिए कार सेवा की जाएगी। इसे लेकर महाराष्ट्र में प्रदर्शन शुरू हो गया है। दोनों संगठनों ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान की गई कार सेवा की भी याद दिलाई है। हिंदू संगठनों की इस चेतावनी के बाद स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं। महाराष्ट्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इसे लेकर सियासी बयानबाजी का दौर भी बना हुआ है।

विहिप और बजरंग दल ने बढ़ाया दबाव

महाराष्ट्र में पिछले कुछ समय से मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर खूब सियासत हो रही है। इस बीच छत्रपति संभाजी नगर के खुल्दाबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज हो गई है। विहिप और बजरंग दल ने इसके लिए राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। दोनों संगठनों का कहना है कि वे इस संबंध में राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपेंगे जिसमें कानूनी तरीके से इस कब्र को हटाने की मांग की जाएगी। दोनों संगठनों की ओर से दी गई चेतावनी में कहा गया है कि यदि राज्य सरकार कानूनी तरीके से इस दिशा में कदम उठाने में विफल साबित हुई तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन और कारसेवा की जाएगी।

बजरंग दल ने महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि यदि औरंगजेब की कब्र नहीं हटाई जाएगी तो बाबरी मस्जिद की तरह कार सेवा कर कब्र को उखाड़ फेंका जाएगा। दोनों संगठनों के नेताओं का कहना है कि इस कब्र को ध्वस्त किया जाना चाहिए क्योंकि यह औरंगजेब के शासन के दौरान हिंदू समुदाय पर किए गए अत्याचार और उत्पीड़न का प्रतीक है। यह कब्र हिंदुओं के जख्म पर नमक छिड़कने का काम करती है।

कब्र की सुरक्षा के लिए पुलिस बल की तैनाती

औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर दबाव काफी बढ़ चुका है और इसलिए महाराष्ट्र पुलिस भी सतर्क हो गई है। मकबरे की ओर जाने वाली सड़कों पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है और भारी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। पुलिस का दस्ता यहां पर 24 घंटे निगरानी में जुटा हुआ है। कब्र की ओर जाने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही है और इसके बाद ही किसी को जाने दिया जा रहा है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कब्र की सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। इस पूरे विवाद के बीच स्थानीय लोगों ने भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। उधर महाराष्ट्र के पुणे में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया। पतित पावन संगठन के कार्यकर्ताओं की ओर से किए गए इस प्रदर्शन के दौरान मुगल बादशाह औरंगजेब के पोस्टर भी जलाए गए।

औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी बयानबाजी

इस बीच औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासी बयानबाजी भी जारी है। सपा नेता अबू आजमी की ओर से औरंगजेब की तारीफ करने के बाद शुरू हुआ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने औरंगजेब को नीच और क्रूर बताया है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी की हत्या करके उनके शव के टुकड़े फेंक दिए थे। छावा फिल्म आने के बाद औरंगजेब के अत्याचार को पूरे देश ने देखा है। औरंगजेब के प्रति लोगों में भारी गुस्सा है और इसी कारण उसकी कब्र को हटाने की मांग की जा रही है।

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे और पूर्व सांसद नवनीत राणा ने भी इस कब्र को हटाने की मांग की थी।मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस मांग का समर्थन किया था। उनका कहना था कि हमें भी और सभी को ऐसा ही लगता है कि औरंगज़ेब की कब्र को ढहा दिया जाए, लेकिन कुछ काम कानून के दायरे में रहकर करना पड़ता है क्योंकि उस कब्र को संरक्षण मिला हुआ है।

उधर एनसीपी की संसद सुप्रिया सुले ने कहा कि यह किसी पार्टी का नहीं बल्कि ऐतिहासिक मामला है। राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस मामले का फैसला विशेषज्ञों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस मामले से दूर रहते हुए विशेषज्ञों को ही फैसला करने का मौका देना चाहिए।

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