कौन हैं वो पांच जज, जो 29 जनवरी से अयोध्या मामले की सुनवाई करेंगे, नहीं 4

अयोध्या मामले की सुनवाई टल गई है। अगली तारीख मिली है 29 जनवरी की। इसके बाद हल्ला मच गया तारीख पर तारीख का। सब के अपने अपने सुर हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील ने बेंच में शामिल जस्टिस यू यू ललित पर उंगली उठा दी। इसके बाद ललित ने अपने को सुनवाई से अलग कर लिया।

Update:2019-01-10 17:18 IST

लखनऊ : अयोध्या मामले की सुनवाई टल गई है। अगली तारीख मिली है 29 जनवरी की। इसके बाद हल्ला मच गया तारीख पर तारीख का। सब के अपने अपने सुर हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील ने बेंच में शामिल जस्टिस यू यू ललित पर उंगली उठा दी। इसके बाद ललित ने अपने को सुनवाई से अलग कर लिया। अगली सुनवाई से पहले नई बेंच की इंट्री होगी। फिलहाल हम आपको उन पांच जजों के बारे में बता रहे हैं, जो आज की सुनवाई करने वाले थे।

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जस्टिस रंजन गोगोई

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद 3 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने। ये इस लिए भी महत्वपूर्ण मौका था क्योंकि पहली बार नॉर्थ ईस्ट से देश का चीफ जस्टिस आया था। वर्ना तो मुक्केबाज और फुटबाल खिलाड़ी ही दिल्ली आते हैं फिलहाल आपको बता दें गोगोई के पिता केशव गोगोई असम में कांग्रेस सरकार के सीएम रह चुके हैं।

एनआरसी रजिस्टर से जुड़े मामले की सुनवाई जस्टिस रंजन गोगोई के पास ही थी।

आपको याद है, वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकारी फंड से प्रकाशित विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति और पीएम की फोटो होगी। इस निर्णय को देने वाली बेंच में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे।

2015 में जस्टिस गोगोई और जस्टिस नरीमन की बेंच के फैसले के चलते ही जाट समुदाय पिछड़ा घोषित नहीं किया जा सका।

जनवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से नाराज हो प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी इनमें जस्टिस गोगोई भी शमिल थे।

जस्टिस गोगोई के पास अपनी कार भी नहीं है, ये हम नहीं कह रहे बल्कि उन्होंने स्वयं संपत्ति घोषित की थी।

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जस्टिस शरद अरविंद बोबडे

जस्टिस बोबडे मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं देश के अगले चीफ जस्टिस बोबडे ही बन सकते हैं।

जिस बेंच ने आधार कार्ड न रखने वाले किसी भी नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता आदेश दिया था जस्टिस शरद भी उसी बेंच में शामिल थे

सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बार काउंसिल ने जस्टिस चेलमेश्वर से बात करने के लिए जस्टिस शरद को ही आगे किया था।

मई, 2018 के कर्नाटक वाले नाटक में जिस बेंच ने रात 2 बजे से सुनवाई शुरू की थी हुई और निर्णय येदियुरप्पा के पक्ष में सुनाया था। उसमें में जस्टिस बोबडे भी शामिल थे।

पटाखों को बैन करने वाली बेंच में भी शामिल थे।

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जस्टिस नूथलापती वेंकट रमन्ना

जस्टिस एनवी रमन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं।

जस्टिस रमन्ना की बेंच ने निर्णय दिया था कि जॉइंट फैमिली में एक महिला कुछ खास स्थितियों में मुखिया तो हो सकती है, लेकिन वो कर्ता नहीं हो सकती।

मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति मंदिरों के नियम के हिसाब से होगी लेकिन संविधान के प्रकाश में

किसी कंपनी पर जुर्माने की रकम कंपनी के टर्नओवर के हिसाब से होगी।

जस्टिस यूयू ललित

जस्टिस यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के छठे ऐसे वकील हैं। जो सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए हैं। 13 अगस्त 2014 को यूयू ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला। आपको बता दें, पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा के नेतृत्व वाले कोलेजियम ने उन्हें नामित किया। ललित 22 नवंबर 2022 को रिटायर होंगे, ऐसी उम्मीद है कि ललित 74 दिन के लिए चीफ जस्टिस बन सकते हैं।

ललित के पिता जस्टिस यू।आर। ललित दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। यू आर बॉम्बे हाई कोर्ट के एडिशनल जज भी रहे हैं। ललित ने सोहराबुद्दीन और तुलसीराम मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का बचाव किया। ब्लैक बक मामले में सलमान खान का बचाव किया। तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की उम्र विवाद मामले में ललित सिंह के वकील थे। टूजी घोटाले में स्पेशल प्रोसिक्यूटर थे

ललित की बेंच ने ही तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया।

जस्टिस ललित की बेंच ने ही एससी-एसटी ऐक्ट पर निर्णय लिया।

इनकी ही बेंच ने धारा 498 A के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला दिया।

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस रह चुके हैं।

समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने का फैसला डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने लिया।

9 मार्च, 2018 को जस्टिस की बेंच ने फैसला किया कि यदि बीमार आदमी चाहता है कि वो अब और जिंदा न रहे, तो उसे मरने का पूरा अधिकार है। इस फैसले में लिविंग विल को स्वीकार किया गया था

जस्टिस की बेंच ने ही सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के जाने का अधिकार दिया

अर्बन नक्सल और भीमाकोरेगांव मामले की सुनवाई वाली बेंच में शामिल चंद्रचूड ने असहमति को जीवंत लोकतंत्र का सिंबल बताया था।

ललित के बाद फिलहाल 5वें जस्टिस का नाम अभी पता नहीं है जैसे पता चलेगा आपको बताएंगे जरुर।

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