अयोध्या विवाद: अदालत में ड्रामा, क्यों फाड़ा गया नक्शा
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस अगले महीने 18 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि उससे पहले इस ऐतिहासिक मामले पर फैसला आ सकता है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर विवाद पर बुधवार को सुनवाई खत्म हो गई है। पहले हिंदू और फिर मुस्लिम पक्ष ने देश की सबसे बड़ी अदालत में अपनी-अपनी आखिरी दलीलें रखीं। आखिर में मुस्लिम पक्ष ने दलीलें रखीं।
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। चीफ जस्टिस अगले महीने 18 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि उससे पहले इस ऐतिहासिक मामले पर फैसला आ सकता है।
लगातार 40 दिन हुई सुनवाई...
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 40 दिन चली सुनवाई के आखिरी दिन बुधवार को कोर्टरूम ड्रामा देखने को मिला। मुस्लिम और हिंदू पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। बताया जा रहा है कि हंगामा तब खड़ा हो गया, जब मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील द्वारा पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया।
विकास सिंह की ओर से पेश की गई थी किताब...
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील विकास सिंह ने एक किताब 'अयोध्या रिविजिट' पेश करने की अनुमति मांगी।
अदालत में दलील पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस किताब के अध्याय 24 में लिखा है, जन्मस्थान के वायु कोण में रसोई थी। जन्मस्थान के दक्षिणी भाग में कुआं था। जन्मस्थान ठीक बीच में था।
एक बार फिर उन्होंने उसी किताब का नक्शा कोर्ट को दिखाया। वह नक्शा धवन के पास पहुंचा, जिसे धवन ने फाड़ डाला।
सीजेआई ने जताई कठोर नाराजगी...
सीजेआई रंजन गोगोई ने इस मसले पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि हम इस तरह से सुनवाई नहीं कर सकते।