बंगाल की सत्ता पर 10 साल से काबिज ममता, अब बौखलाहट के पीछे है ये बड़ा राज
वैसे तो ममता दीदी की यह बौखलाहट होना तो लाजमी है, क्योंकि एक तरफ जहां ममता दीदी अपनी विपक्षियों का सामना कर रही है, तो उनके पार्टी कुछ कद्दार नेता बगावत पर उतर गए है। टीएमसी पार्टी में अब भरोसेमंद चेहरों की कमी पाई जा रही है। वजह, मुकुल रॉय जैसे नेता के बीजेपी में शामिल जो हो गए है।
कोलकाता: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव की तैयारी जोरो शोरो से चल रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने नये-नये तकीकों से जनता को लुभाने की कोशिश कर रही है। वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की बेचैनी साफ तौर पर देखने को मिल रही है। टीएमसी के इस बैचेनी के पीछे का छिपे राज को समझा जरूरी है। बता दें कि बंगाल में विधान सभा चुनाव 2021 की तारीख का ऐलान नहीं हुआ, लेकिन इस चुनावी जंग में बीजेपी से घबड़ाई टीएमसी सरकार की बौखलाहट अभी से दिखना शुरु हो गया है।
बंगाल दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष पर हुआ था हमला
वैसे तो आपको पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष का दौरा तो याद ही होगा, बंगाल दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के ऊपर हमला हुआ, जिसमें जेपी नड्डा के गाड़ी के आगे का शीशा टूट गया था। वहीं, इस दौरे में उन्हें काला झंडा भी दिखाया गया था। इस अलावा कुछ दिन पहले हालीशहर में गृह संपर्क अभियान के दौरान बीजेपी नेता को मार-मारकर उसकी हत्या कर दी गई। बीजेपी के खिलाफ चल रहे साजिशों के पीछे और अब तक घटी सभी घटनाओं को टीएमसी पर थोपा गया हैं। ऐसी घटना घटित होने के बाद यह सवाल उठना तो लाजमी है कि क्या टीएमसी आने वाले चुनाव में हार को साफ तौर पर देख पा रही है, जिसके कारण वे हमला जैसी तमाम बचकानी हरकतें करने लगी है।
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बीजेपी से बौखलाई ममता सरकार
पहले बीजेपी अध्यक्ष पर हमला, फिर बीजेपी नेता की हत्या और अब जुबानी हमले जैसे शब्दों का प्रयोग। इन तमाम चीजों से साफ हो गया है कि बंगाल की ममता सरकार बीजेपी से बौखलाई हुई है। ऐसा आमतौर पर होता है कि यदि कोई किसी के क्षेत्र में जाकर उसे चुनौती देता है, तो उसे बर्दाश्त नहीं होता, जिसके वजह से इंसान बौखला जाता है। इसी बौखलाहट में किसी को अशोभनीय भाषा और हिंसा जैसे शब्दों का प्रयोग करने लगता है और तभी इंसान का असली रूप में सबके सामने आता है।
कद्दार नेताओं से जुझ रही है ममता सरकार
वैसे तो ममता दीदी की यह बौखलाहट होना तो लाजमी है, क्योंकि एक तरफ जहां ममता दीदी अपनी विपक्षियों का सामना कर रही है, तो उनके पार्टी कुछ कद्दार नेता बगावत पर उतर गए है। टीएमसी पार्टी में अब भरोसेमंद चेहरों की कमी पाई जा रही है। वजह, मुकुल रॉय जैसे नेता के बीजेपी में शामिल जो हो गए है। यहीं नहीं अब उनके सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी के बढ़ते कद और प्रशांत किशोर की पार्टी में ज्यादा दखलंदाजी करने से कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं। इन तमाम नकारात्मक परिस्थियों में ममता दीदी के लिए सभी भरोसेमंद साथियों को साथ बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसे विषम परिस्थित में ममता सरकार आखिर क्यों न बौखलाएं।
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10 वर्षो के बंगाल की सियासत पर छाई ममता दीदी
दरअसल, पिछले 10 वर्षो के बंगाल की सियासत पर नजर डालते हैं, तो 34 साल के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंकने वाली तृणमूल प्रमुख लगातार दो बार बड़े अंतर से चुनाव जीतकर ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की पदभार को संभाल चुकी हैं।
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