ट्रेनें रोकीं, स्कूल कॉलेज बंद, कई हाईवे ब्लॉक... इन राज्यों में दिखा भारत बंद का असर, यूपी-दिल्ली में कुछ ऐसा हाल

Bharat Bandh 2024: बसपा और सपा सहित कई प्रमुख पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है। भारत बंद का असर कई राज्यों में दिखाई पड़ रहा है। सबसे ज्यादा प्रभाव इसका बिहार और राजस्थान में दिख रहा है, जहां पर संगठनों ने जुड़े लोगों ने हाईवे ब्लॉक करने से लेकर ट्रेनें तक रोक गई हैं।

Report :  Viren Singh
Update: 2024-08-21 05:33 GMT

कई राज्यों में दिखा भारत बंद का असर (Newstrack)

Bharat Bandh 2024: देश की शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) के हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान के लिए आरक्षण के अंदर आरक्षण देने का बीते दिनों से एक बड़ा फैसला दिया था। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कीअध्यक्षता में सात सदस्ययी पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले को रद्द करते हुए दिया था, जिसमें यह आदेश था कि राज्य सरकारें नौकारी के लिए एससी और एसटी के कोटे के अंदर कोट नहीं बना सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कई दलित और आदिवासी संगठनों ने 21 अगस्त, बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया है। बसपा और सपा सहित कई प्रमुख पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन किया है। भारत बंद का असर कई राज्यों में दिखाई पड़ रहा है। सबसे ज्यादा प्रभाव इसका बिहार और राजस्थान में दिख रहा है, जहां पर संगठनों ने जुड़े लोगों ने हाईवे ब्लॉक करने से लेकर ट्रेनें तक रोक गई हैं।

यूपी और दिल्ली में नहीं कोई बंदी का असर

राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में अभी तक भारत बंद का कोई असर नहीं दिखाई पड़ा है। लखनऊ में या उसके पास आस जिलों में कहीं भी कोई विरोध प्रदर्शन और सड़कें बाधित होने की खबरें नहीं आई है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली पूरी तरह खुली हुई है। यहां पर किसी भी प्रकार की बंदी नहीं दिख रही है। सारे कारोबार और प्रतिष्ठान खुले हुए हैं। यातायात सुचारू रूप से चल रहा है। स्कूल और कॉलेज खुले हुए हैं। दिल्ली में व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों के शीर्ष संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने कहा कि आज दिल्ली में सभी 700 बाजार खुले हैं। CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि हमने 100 से ज्यादा बाजारों के एसोसिएशंस से इस विषय पर चर्चा की और सभी का कहना है कि 21 अगस्त को भारत बंद को लेकर किसी ने भी व्यापारी संगठनों से ना ही संपर्क किया है और ना ही समर्थन मांगा है इसलिए दिल्ली के सभी 700 बाजार पूरी तरह से खुले हैं। इसके अलावा सभी 56 इंडस्ट्रियल एरिया भी खुला रहेगा। यूपी में भी हर प्रकार की गतिविधियां हर दिन की तरह आज चलती हुई दिखाई दे रही है। वहीं, पंजाब में भी सभी बाजार खुले हुए हैं।

इन राज्यों में दिखा असर, ट्रेनें तक रोकी गईं 

भारत बंद का सबसे अधिक असर बिहार और राजस्थान में देखने को मिला है। यहां पर दलित संगठन से जुड़े हुए लोग सड़कों उतरकर हाईवे और रेलवे को बाधित कर विरोध जता रहे हैं। बिहार के जहानाबाद में एनएच-83 को बंद कर दिया गया है। भोजपुर में विभिन्न दलों के नेताओं ने आरा रेलवे स्टेशन पर चक्का जाम किया है। मैसूर रानी कमलापति सहरसा ट्रेन को रोककर प्रदर्शन किया जा रहा है। बिहार के अन्य जगहों पर भी समर्थक सड़कों पर उतरकर अपना सड़कें बाधित कर रहे हैं। दुकानों को बंद करवा रहे हैं। पड़ोसी राज्य झारखंड़ में भी भारत बंद का असर दिखाई पड़ा रहा है। गिरिडीह में इसका व्यापाक असर दिखाई पड़ रहा है। यहां से सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता सुबह से भारत बंद के समर्थन में सड़कों पर उतकर दुकानें बंद करवाने और यातायात बाधित कर रहे हैं। इससे आने जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं राजस्थान राज्य में भी भारत बंद का असर दिखाई पड़ा रहा है। कई जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। बच्चों की सुरक्षा को देखते राज्य सरकार ने जयपुर, दौसा, भरतपुर, गंगापुर सिटी, डीग, गुड़गांव, झुंझुनू और सवाईमाधोपुर जिलों के स्कूलों में छुट्टी घोषित की है। सवाई माधोपुर जिले के सरकारी और गैर सरकारी स्कूल, कॉलेज बंद के साथ इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं,ताकि किसी भी प्रकार की कोई गतल सूचना न फैलाई जा सके।


जानिए किसने बुलाया भारत बंद?

दरअसल, आज भारत बंद आह्वान नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने किया है। संगठन ने अपनी मांगों को लेकर एक सूची जारी की है। इसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता, SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन, सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को जारी करना, समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना और केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने की मांग शामिल है।

संगठन की मांगों की सूची

इसके अलावा NACDAOR ने एससी एसटी के कोटे के अंदर कोटा देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसला का भी कड़ा विरोध जताया है। संगठन का कहना है कि कोर्ट के सात न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला देकर उल्टा दृष्टिकोण अपनाया है, जो उनके अनुसार, ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में नौ न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी। संगठन ने केंद्र सरकार से कोर्ट से इस फैसले को खारिज करने की मांग की है, जबकि बीते दिनों प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की कैबिनेट बैठक में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विस्तृति चर्चा करते हुए इससे अपनाने से पहले भी इनकार कर चुकी है।


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