भारत में दौड़ेगी 500 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन, ये है Maglev की खासियत

सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(BHEL) ने Maglev (magnetic levitaion) ट्रेन को भारत में लाने के लिए स्विटजरलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ समझौत किया है। BHEL ने यह जानकारी दी है।

Update: 2020-09-17 15:23 GMT
भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(BHEL) ने Maglev (magnetic levitaion) ट्रेन को भारत में लाने के लिए स्विटजरलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ समझौत किया है।

लखनऊ: भारत में भी बहुत जल्द ट्रेन 500 किमी रफ्तार से दौड़ती नजर आएगी। इस ट्रेन का नाम मैग्लेव (Maglev) है। यह यूरोप की सबसे लोकप्रिय ट्रेन है। सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड(BHEL) ने Maglev (magnetic levitaion) ट्रेन को भारत में लाने के लिए स्विटजरलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ हाथ मिलाया है। BHEL ने यह जानकारी दी है।

मैग्नेटिक फील्ड की मदद से यह ट्रेन नियंत्रित होती है जिसके कारण ये पटरी की बजाए हवा में दौड़ती है और इसे 500 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है। कंपनी अपना कारोबार कई क्षेत्रों में बढ़ाना चाहती है और अर्बन ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर भी उनमें शामिल है। इसी योजना के अंर्तगत भारत में Maglev ट्रेन लाने की तैयारी कर रही है।

BHEL की तरफ से ट्रांसपोर्टेशन बिजनेस ग्रुप के हेड एसवी श्रीनिवासन और SwissRapide AG के प्रेसीडेंट और सीईओ Niklaus H Koenig ने पर दस्तखत किए। BHEL ने पीएम मोदी के 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया है।

यह भी पढ़ें...मोदी सरकार को झटका: ये केंद्रीय मंत्री देंगी इस्तीफा, ये है वजह…

SwissRapide AG के साथ हुए इस समझौते से BHEL इंटरनेशनल टेक्नोलॉजी को भारत में ले आएगा और उसका निर्माण करने में सक्षम होगा। इस कंपनी की अल्ट्रा हाई स्पीड मैग्लेव रेल सिस्टम में बड़ा नाम है। भेल बीते पांच दशकों से भारतीय रेलवे के विकास में योगदान दे रहा है।

सरकारी कंपनी भेल लंबे समय से रेलवे को इलेक्ट्रिकल एवं डीजल लोकोमोटिव्ज, इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट और प्रपल्शन सिस्टम सेट्स प्रदान करता रहा है।

यह भी पढ़ें...योगी सरकार की मंजूरी: अवैध रह रहे विदेशियों पर बड़ा फैसला, पहली बार होगा ऐसा…

गौरतलब है कि इंदौर के राजा रमन्ना प्रौधोगिकी केंद्र (RRCAT) में फरवरी 2019 में मैग्लेव ट्रेन का मॉडल तैयार हुआ था। RRCAT के वैज्ञानिक आरएन शिंदे के नेतृत्व में 50 लोगों की टीम ने इस मॉडल को तैयार किया था। 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह मॉडल तैयार हो पाया था। इसमें मैग्नेटिक फील्ड की वजह से यह ट्रेन पटरी के उपर हवा में दौड़ती हुई दिखती थी।

यह भी पढ़ें...सोने-चांदी के दाम में भारी गिरावट, इतनी कम हुई कीमत, चेक करें नया रेट

ये हुआ है समझौता

समझौते के मुताबिक दोनों कंपनियां एक दूसरे को व्यापार बढ़ाने में सहायता करेंगी। SwissRapide AG को Maglev Rail परियोजनाओं में विशेषज्ञ हैं। तो वहीं भेल बीते पांच दशकों से रेलवे के विकास में साझेदार है। कंपनी ने रेलवे को इलेक्ट्रिक और डीजल लोकोमोटिव की आपूर्ति की है। देश की पहली मेट्रो कोलकाता मेट्रो में भी भेल के प्रपल्शन सिस्टम लगे हैं।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News