नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय बोले- मौजूदा GST में कई दरें मुख्य समस्या

नीति आयोग के सदस्य और जाने-माने अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली की एक मुख्य समस्या इसकी कई दरों वाली संरचना है।

Update: 2017-06-30 14:16 GMT
नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय बोले- मौजूदा GST में कई दरें मुख्य समस्या

नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य और जाने-माने अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली की एक मुख्य समस्या इसकी कई दरों वाली संरचना है। देबरॉय के अनुसार, जीएसटी में कई दरें, विलासितापूर्ण मानी जाने वाली वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर के रूप में कर लगाने की इच्छा से उत्पन्न होती हैं।

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देबरॉय ने आज तक की ओर से आयोजित जीएसटी कॉन्क्लेव में कहा, "कृपया समझें कि ये कई सारी दरें अप्रत्यक्ष कर नीति के जरिए दूसरे छोरों तक पहुंचने की इच्छा से उत्पन्न होती हैं, और दूसरी चिंताएं राज्यों की हैं।"

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उन्होंने कहा, "और इसमें ढेर सारी वस्तुओं को बाहर रखा गया है, कई सारी वस्तुएं हैं, जिन्हें जीएसटी से बाहर रखा गया है और बहुत सारी दरें हैं।"

मौजूदा जीएसटी में कर दरें चार स्लैब में बांटी गई हैं- 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी जैसा कि जीएसटी परिषद ने तय किया है।

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देबरॉय ने कहा कि दरों के अलावा मौजूदा जीएसटी प्रणाली सही तौर पर व्यवस्थित नहीं है, लेकिन यह इस दिशा में एक कदम है।

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अर्थशास्त्री ने उस दावे को खारिज किया कि जीएसटी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 1.5 फीसदी की दर से बढ़ेगी।

देबरॉय ने कहा, "यह पूरी तरह से गलत है। इस तरह की अटकलें 13वें वित्त आयोग के आकलन पर आधारित हैं, जिसने यह आकड़ा एक आदर्श जीएसटी के लिए दिया था। हम अभी आदर्श जीएसटी के नजदीक नहीं हैं।"

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इसके अलावा देबरॉय ने दुनिया में करीब 150 देशों में जीएसटी होने के दावे को झूठा बताया।

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देबरॉय ने कहा, "यह चर्चा है कि दुनिया में 140 देशों या 160 देशों में जीएसटी है। यह गलत है। दुनिया के बहुत से देशों में वैट (मूल्य संवर्धित कर) प्रणाली है। वैट जीएसटी नहीं है। जीएसटी वाले देशों की संख्या छह-सात है, इससे ज्यादा नहीं।"

--आईएएनएस

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