बड़ा फर्जीवाड़ा: सरकारी कर्मचारी और बंगलाधारी ले रहे थे फ्री में राशन, ऐसे खुली पोल

गौर करने वाली बात ये कि खाद्य सुरक्षा सूची में एक हजार 320 सरकारी कर्मचारी अपात्र होने के बाद भी खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ ले रहे हैं जिनके पास बंगले जैसे मकान व महंगी कारें भी हैं।

Update: 2020-09-28 08:38 GMT
  उससे भी ज्यादा हैरत की बात ये कि खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़े सरकारी कर्मियों व बंगलाधारियों ने राशन कार्डों में अपना मोबाइल नंबर तक दे रखा है।

जयपुर: देश में भूख से गरीबों की मौत न हो इसके लिए मोदी सरकार लोगों को मुफ्त में राशन देने का काम कर रही है। लेकिन अभी भी बहुत से गरीब ऐसे हैं। जिनके पास सरकार की मदद नहीं पहुंच पा रही है। उलटे जो मदद गरीबों तक पहुंचनी चाहिए थी वो अमीरों के पास पहुंच रही है।

ऐसा ही एक मामला राजस्थान के धौलपुर जिले में भी सामने आया है। यहां गरीब तबके के लोग खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए रसद विभाग और नगर पालिकाओं के चक्कर लगाने के बाद भी नाम नहीं जुड़वा पा रहे हैं।

जबकि आर्थिक रूप से संपन्न लोग जिनमें बंगलाधारी और कई सरकारी कर्मचारी-रिटायर्ड कर्मचारी भी शामिल हैं। वे हर महीने गरीबों को फ्री में मिलने वाले गेहूं व दाल और चना खुद उठा रहे हैं।

राशन लेते हुए फोटो(सोशल मीडिया)

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320 सरकारी कर्मचारियों के नामों का पता चला, कई अन्य की चल रही जांच

गौर करने वाली बात ये कि खाद्य सुरक्षा सूची में एक हजार 320 सरकारी कर्मचारी अपात्र होने के बाद भी खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ ले रहे हैं जिनके पास बंगले जैसे मकान व महंगी कारें भी हैं।

इनमें रिटायर्ड कर्मचारी भी सम्मिलित हैं। उससे भी ज्यादा हैरत की बात ये कि खाद्य सुरक्षा सूची से जुड़े सरकारी कर्मियों व बंगलाधारियों ने राशन कार्डों में अपना मोबाइल नंबर तक दे रखा है।

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अनाज की फोटो(सोशल मीडिया)

रिकवरी के लिए ताबड़तोड़ एक्शन

मामला पकड़ में आने के बाद प्रशासन ने अब खाद्य सूची में जुड़े अपात्र लोगों का सर्वे कराकर उन्हें खोजना शुरू कर दिया है और जल्द ही ऐसे लोगों के नाम सूची से हटाये जाएंगे। इतना ही नहीं उनसे राशन की वसूली की जाएगी।

इस पूरे मामले पर जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल का कहना है कि सरकारी कर्मचारी जो खाद्य सुरक्षा का गैर कानूनी रूप से लाभ उठा रहे है, उनका सघन अभियान चलाकर रिकवरी किये जाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा सूची में 1320 ऐसे सरकारी कर्मचारी हैं जिन्होंने गरीबों का निवाला डकारा है। सरकारी नौकरी वाले इन लोगों की वजह से असल में जरूरतमंद गरीबों तक लाभ नहीं पहुंच पाया।

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