तो अजित पवार चल रहे इनकी राह, कर्नाटक कहानी का सिक्वल बना महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र में शनिवार सुबह भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर सामने आया है। शनिवार सुबह बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है।

Update:2019-11-23 15:53 IST

बेंगलुरु: महाराष्ट्र में शनिवार सुबह भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर सामने आया है। शनिवार सुबह बीजेपी ने एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम शपथ दिलाई। तो वहीं अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का दोबारा मुख्यमंत्री बनने पर बधाई दी है। पीएम मोदी ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस जी और अजित पवार जी को क्रमशः मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर बधाई। मुझे विश्वास है कि वे महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए लगन से काम करेंगे।

महाराष्ट्र की राजनीति...

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चलिए बात करते हैं महाराष्ट्र की राजनीति की , पिछले दिनों लगातार हे रहे उठा पटक पूरी दुनिया देख रही थी, महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को जो कुछ भी हुआ वह 13 साल पहले कर्नाटक में हो चुका है, उस राजनीतिक ड्रामा में एन धरम सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस जेडीएस की सरकार रातोंरात गिर गई और देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में जेडीएस से अलग हुए धड़े ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली।

ज्ञात हो कि यह वही बीजेपी थी जिसको वह कुछ समय पहले तक अपना दुश्मन समझती थी, आज जिस तरह लोग हैरान हैं उसी तरह की स्थिति उस समय कर्नाटक में भी पैदा हुई थी।

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पीएम एचडी देवगौड़ा...

उस समय पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने मौन धारण कर लिया था सिर्फ उनके विश्वस्त सिपहसालार ही उनकी ओर से लोगों को संक्षिप्त जवाब दे रहे थे, वे दावा कर रहे थे कि उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी ने पार्टी तोड़कर और ‘सांप्रदायिक’ बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर उनको धोखा दिया है।

इसके कुछ दिन बाद उन्होंने मुख्यमंत्री बने अपने बेटे और विद्रोही विधायकों को जेडीएस से निकाल भी दिया था, महीनों तक इस बात से आहत गौड़ा सार्वजनिक रूप से सामने आने और मीडिया से बात करने से कतराते रहे, आपको बता दें कि उनके विश्वस्त सूत्रों के अनुसार महीनों तक अकेले में वे रोते रहे।

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इन सबसे घबराए बिना, एचडी कुमारस्वामी और बीएस येदियुरप्पा सरकार ने राज्य में शपथ ली और निरंतर बदलते राजनीतिक माहौल में राज्य में एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत की।

इसके बाद इस तख़्तापलट में कांग्रेस को अपनी सरकार गंवानी पड़ी और उस समय उसने उन सभी बातों पर विश्वास किया जो देवगौड़ा ने उन्हें बताई और यहां तक कि उसने उनके प्रति संवेदना भी जताई थी।

आपको बता दें नाटक यहां तक हुआ कि मुख्यमंत्री बने एचडी कुमारस्वामी ने भी लोगों के समक्ष यह कहा कि अपने बाप को धोखा दिया, पर कुछ महीने बाद मुखौटा गिर गया।

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राजनीतिकों और जनता दोनों को यह पता चल गया कि बाप-बेटे दोनों ने मिलकर उन्हें ठगा है, बेटे के विद्रोह की स्क्रिप्ट बाप ने लिखी थी। अपने बेटे को किसी भी क़ीमत पर मुख्यमंत्री बनाने के लिए पीएम देवगौड़ा ने विस्तृत योजना बनाई थी ताकि यह ऐसा लगे कि बाप को ख़ुद उसके बेटे ने धोखा दिया है, एचडी कुमारस्वामी की सरकार कुल 20 महीने चली और इस पूरी अवधि के दौरान सरकार की कमान प्रभावी रूप से देवगौड़ा के हाथ में रही।

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जब एचडी कुमारस्वामी से उम्मीद की जा रही थी कि वह मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी येदियुरप्पा को सौंपेंगे, देवगौड़ा ने एक बार फिर लोगों को यह कहते हुए सकते में डाल दिया कि उन्होंने अपने बेटे को बीजेपी को धोखा देने को कहा, एक बार फिर कर्नाटक की सरकार गिर गई और वहां राष्ट्रपति शासन लगा, अगली बार जो विधानसभा चुनाव हुए उसमें जनता की सहानुभूति येदियुरप्पा को मिली और वह सत्ता की कुर्सी तक जा पहुंचे।

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