नई दिल्ली : 80 के दशक में देश की राजनीति में भूचाल लाने वाले बोफोर्स तोप घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ चुका है, इस घोटाले में जल्द सुनवाई के लिए भाजपा नेता अजय अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
आपको बता दें, वर्ष 1986 में 1437 करोड़ रुपये के बोफोर्स तोप डील में भारतीय अधिकारियों को 64 करोड़ रुपये घूस देने के मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है। पूर्व पीएम राजीव गाँधी की राजनैतिक करियर पर ये घोटाला बदनुमा दाग बना गया था
याचिकाकर्ता अग्रवाल ने कहा है कि सीबीआई ने इस मामले में 31 मई 2005 को दिल्ली हाईकोर्ट के दिए निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी। गौरतलब है कि साल 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट ने घोटाले में ब्रिटेन में रहने वाले हिन्दुस्तानी मूल के कारोबारी हिंदुजा भाईयों पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट के निर्णय के 90 दिनों के अंदर सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती नहीं दिए जाने और मामले को रफा-दफा किए जाने के आरोप के बाद अग्रवाल ने याचिका दाखिल कर उस फैसले को चुनौती दी है।
अग्रवाल ने कहा, 'उन्होंने ये याचिका देशहित को ध्यान में रखकर सुप्रीम कोर्ट में लगाई है क्योंकि सीबीआई ने बोफोर्स घोटाले के मामले को उस वक्त आगे नहीं बढ़ाया जबकि कोर्ट का फैसला अवैध था। इसका कारण उस समय ये बताया गया था कि कानून मंत्रालय ने इसकी इजाजत सीबीआई को नहीं दी।'
अग्रवाल का आरोप है कि घोटाले को लेकर जो उस वक्त आरोपियों और सीबीआई के बीच सांठ-गांठ हुई थी उसी के तहत लंदन में इटली के बिजनेसमैन ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट को डीफ्रीज कर दिया गया था जो इस डील में बिचैलिया था। इसी सिलसिले में उस वक्त एडिशनल सॉलिस्टर जनरल रहे जनरल बी दत्ता ने इंग्लैंड का दौरा भी किया था।
याचिकाकर्ता ने कहा, 'ऐसा कदम तब उठाया गया था जब तत्कालीन यूपीए सरकार और सीबीआई को पता था कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया गया है। अग्रवाल का आरोप है कि इस घोटाले में पूर्व पीएम राजीव गांधी, क्वात्रोच्चि, विन चड्ढा, हिंदुआ भाई और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शामिल होने के पक्के सबूत थे। इसलिए सीबीआई की मदद से कांग्रेस सरकार ने 1986 से 2014 तक इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की थी।
अग्रवाल ने सीबीआई निदेशक से इस मामले से जुड़े सारे दस्तावेज जांच ऐजेंसी को फिर उपलब्ध कराने का आग्रह किया है, जो तीस हजारी कोर्ट से मिले हैं। उन्होंने कहा, 'इस मामले की जांच होनी बहुत जरूरी है ताकि फिर से कोई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर ऐसी हरकत करने की कोशिश भी ना कर सकें।'
अग्रवाल 2014 में रायबरेली से बीजेपी के टिकट पर सोनिया गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई ने बिचौलिए क्वात्रोच्चि के बैंक अकाउंट को फिर से चालू करवा दिया लेकिन मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट तक को इसकी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही संसद की लोक लेखा समिति ने रक्षा मंत्रालय को बोफोर्स डील से जुड़ी गायब हुई फाइलों को जल्द से जल्द ढूंढने का आदेश दिया था। जिसके बाद मंत्रालय ने आधी-अधूरी फाइलें ही मुहैया कराई थी जिसपर समिति ने नाराजगी भी जताई थी।
क्या है ये बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने साल 1986 में भारतीय सेना को होवित्जर तोपों की सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया था।
कारगिल का हीरो
बोफोर्स तोपों ने वर्ष 1999 के कारगिल के युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया था। बोफोर्स तोपों ने पहाड़ की चोटियों पर बने पाकिस्तानी बंकरों को उड़ा दिया था। इस युद्ध की विजय में इनका बड़ा हाथ रहा है।