चीन पीछे हटने को तैयार नहीं, ठण्ड में सैनिक डटे रहे इसलिए शुरू किया ये बड़ा काम
सीमा विवाद को लेकर भारत से बातचीत करने के बाद चीन अपनी बातों से पलट गया है। उसने फिर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी है।
नई दिल्ली: सीमा विवाद को लेकर भारत से बातचीत करने के बाद चीन अपनी बातों से पलट गया है। उसने फिर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी है।
उसकी हरकतें सामान्य नहीं लग रही हैं। उसने पहले तो लद्दाख में करीब 40 हजार जवान तैनात कर दिए। अब खबर आ रही है कि उसने चीनी सैनिकों के लद्दाख में पड़ने वाली भीषण ठण्ड में भी डटे रहने के लिए अभी से राशन-पानी और जरूरी सामानों को जमा करना शुरू कर दिया है। इससे ये साफ हो रहा है कि चीन पीछे हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक उसने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारी हथियारों के साथ अपने करीब 40 हजार सैनिकों को तैनात करना शुरू किया है। इन सैनिकों को एयर डिफेंस सिस्टम और लंबी रेंज वाले ऑर्टिलरी हथियार जैसे हथियारों से लैस किया गया है।’
इससे ये साफ हो रहा है कि चीन सीमा पर गतिरोध कम नहीं करना चाहता है। जिसके बाद से भारत भी चौकन्ना हो गया है। उसने अपनी सेना को अलर्ट कर दिया है। चीन की हर गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
भारतीय सेना को भी राशन पानी और हर जरूरत के सामान अभी से पहुंचाए जा रहे हैं ताकि भीषण ठंड के समय उन्हें किसी तरह की कोई तकलीफ न हो। हथियारों और दूसरे उपकरणों को भी पहुंचाया जा रहा है।
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दोगुने राशन की पड़ेगी जरूरत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक हर साल लद्दाख में 30 हज़ार मैट्रिक टन राशन की जरूरत पड़ती है।लेकिन इस साल दोगुने राशन की जरूरत है, क्योंकि इन दिनों वहां हज़ारों सैनिक तैनात हैं।उन्होंने कहा, 'चीन के सैनिक जल्दी LAC से पीछे हटने को तैयार नहीं है।लिहाज़ा हमलोग लंबे वक्त के लिए तैयारियां कर रहे हैं।'
बर्फबारी में सामान पहुंचाना बेहद कठिन कठिन
बता दें कि इस इस मई से ही एलएसी के फॉरवार्ड इलाकों में भारत ने तीन गुना ज्यादा सैनिक डेप्युट कर दिए हैं। अधिकांश जगह 15 हज़ार फीट की ऊंचाई पर है। बर्फबारी के चलते नवंबर के बाद यहां पहुंचना बेहद ही कठिन हो जाएगा। अमूमन उत्तर भारत से ट्रक के जरिए यहां सामान दो रास्तों से भेजा जाता है।
पहला ज़ोजी ला पास होते हुए श्रीनगर से लद्दाख और दूसरा रास्ता है रोहतांग पास होते हुए मनाली।ये रास्ते सिर्फ मई से लेकर अक्टूबर तक ही खुले रहते हैं।वैसे सेना को सामान चड़ीगढ़ से हवाई जहाज के जरिए भी भेजा जाता है।लेकिन इतना सारा समान भेजना संभव नहीं होता।
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बातचीत की शर्तों को भी नहीं मान रहा चीन
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत और चीन के बीच सैन्य और राजनयिक वार्ताओं में जिन शर्तों पर सैनिकों को कम करने की सहमति बनी थी, चीन उनका भी पालन नहीं कर रहा है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच पिछली सैन्य वार्ता के बाद से सैनिकों को कम करने की प्रक्रिया में भी कोई विकास नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह फिंगर क्षेत्र में एक ऑब्जर्वेशन पोस्ट (निगरानी पोस्ट) तैयार करना चाहता है।
इसके साथ ही उन्होंने हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा पोस्ट एरिया में भी बड़े स्तर पर निर्माण किया है। ये दोनों क्षेत्र पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच होने वाले गतिरोध के प्रमुख क्षेत्र हैं।
फिंगर 5 एरिया से पीछे हटने को राजी नहीं चीन
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि चीनी पक्ष फिंगर 5 एरिया में भी पीछे हटने को और सिरीजाप में अपनी स्थायी जगह से पीछे हटने को भी राजी नहीं है।
बता दें कि चीन सीमा पर सैनिकों की संख्या घटाने के लिए तब राजी हुआ था जब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री से बात की थी।
उसने दिखावे के लिए कुछ स्थानों से अपने सैनिकों को कम करना भी शुरू कर दिया था। लेकिन फिर आज दोनों देश आकर वही पर खड़े हो गये हैं। जैसा दो महीने सीमा पर पहले हालात थे।
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