जेएनयू में छात्रों ने जीता जंग, हुआ ये फैसला
देश की राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में फीस बढ़ाने का जो फैसला लिया गया था, उसे वापस ले लिया गया है। HRD मंत्रालय ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। ट्वीट करते हुए लिखा गया है कि, हॉस्टल और मेस की फीस नहीं बढ़ाई जाएगी। अब अपने क्लासेस में वापस जाने का वक्त है।
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में फीस बढ़ाने का जो फैसला लिया गया था, उसे वापस ले लिया गया है। HRD मंत्रालय ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। ट्वीट करते हुए लिखा गया है कि, हॉस्टल और मेस की फीस नहीं बढ़ाई जाएगी। अब अपने क्लासेस में वापस जाने का वक्त है।
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क्यों विरोध कर रहे थे जेएनयू के छात्र?
यूनिवर्सिटी ने 23 अक्टूबर से जेएनयू कैंपस के गेट बंद करने का नया नियम लागू किया था। इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विभाग के डीन की ओर से मिले एक नोटिस के जरिए स्टूडेंट्स को ये दी गई। इस नोटिस में रूम नंबर 16, कॉमन रूम्स और एसआईएस 1 व एसआईएस टू के मेन गेट को लेकर नया नियम लागू किया गया।
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ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने प्रशासन पर कैंपस के गेट शाम 6 बजे के बाद बंद करने के नए नियम पर विरोध जताया। AISA ने कहा कि कैंपस के गेटों को शाम 6 बजे बंद कर देना आवाजाही की स्वतंत्रता को सीमित करना है।
क्या थीं जेएनयू के छात्रों की मांगें?
जेएनयू छात्र संघ की अगुवाई में सोमवार को दीक्षांत समारोह के दिन प्रदर्शन कर रहे थे। छात्र संघ की मांग थी कि फीस बढ़ाने का फैसला वापस लिया जाए। छात्र संघ ने स्टूडेंट्स से अपील करते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में जुटने और मार्च में शिरकत होने के लिए कहा गया था। छात्र संघ का कहना है कि जब स्टूडेंट्स का सस्ती शिक्षा नहीं मिल रही तो दीक्षांत समारोह की क्या जरूरत।
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स्टूडेंट्स की मांग थी कि हॉस्टल में कोई सर्विस चार्ज ना लिया जाए, ना ही हॉस्टल में कोई ड्रेस कोड लागू किया जाए। साथ ही स्टूडेंट्स ने मांग रखी थी कि हॉस्टल में आने-जाने के टाइम की पाबंदी को खत्म किया जाए।
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