Bribes in India: बिना घूस दिये कोई सरकारी काम नहीं होता, 66 फीसदी बिजनेस फर्मों का दावा

Bribes in India: 22 मई से 30 नवंबर के बीच किए गए सर्वेक्षण रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रिपोर्ट की गई कुल रिश्वत का 75 प्रतिशत कानूनी, मेट्रोलॉजी, खाद्य, दवा, स्वास्थ्य आदि सरकारी विभागों के अधिकारियों को दिया गया था।;

Update:2024-12-08 17:45 IST

बिना घूस दिये कोई सरकारी काम नहीं होता, 66 फीसदी बिजनेस फर्मों का दावा: Photo- Social Media

Bribes in India: ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म लोकल सर्कल्स के एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में बिना घूस दिये कोई सरकारी काम नहीं होता है। यह सर्वे देश के 159 जिलों में किया गया जिसमें 66 फीसद व्यवसायों से जुड़े लोगों ने सरकारी सेवाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे के दौरान व्यावसायिक फर्मों ने दावा किया कि उन्होंने आपूर्तिकर्ताओं के रूप में अर्हता प्राप्त करने, कोटेशन और ऑर्डर सुरक्षित करने और भुगतान एकत्र करने के लिए पिछले 12 महीनों में विभिन्न प्रकार की सरकारी संस्थाओं को रिश्वत दी है।

यह सर्वेक्षण 22 मई से 30 नवंबर के बीच किया गया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रिपोर्ट की गई कुल रिश्वत का 75 प्रतिशत कानूनी, मेट्रोलॉजी, खाद्य, दवा, स्वास्थ्य आदि सरकारी विभागों के अधिकारियों को दिया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "कई लोगों ने जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग को रिश्वत देने की भी सूचना दी है।"

सर्वेक्षण के दौरान 18,000 से अधिक प्रतिक्रियाएँ प्राप्त की गईं। जिसमें 54 फीसद फर्मों ने दावा किया कि उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया था, जबकि 46 प्रतिशत ने नौकरशाही प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया था।

रिश्वत देना जीवन का हिस्सा बन गया 

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी विभागों से परमिट लेने या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना जीवन का एक तरीका बना हुआ है, यहां तक कि प्राधिकरण लाइसेंस की डुप्लिकेट प्रतियां या संपत्ति के मामलों से संबंधित कुछ भी प्राप्त करने के लिए भी रिश्वत दी जाती है। सर्वेक्षण में शामिल 66 प्रतिशत व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है। केवल 16 प्रतिशत फर्में ऐसी रहीं जिन्होंने रिश्वत दिए बिना अपना काम करवाने का दावा किया और 19 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें ऐसा करने की "कोई ज़रूरत नहीं" थी।

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 12 महीनों में जिन व्यवसायों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था, जबकि 46 प्रतिशत ने समय पर काम कराने के लिए रिश्वत दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की रिश्वतखोरी जबरन वसूली के समान है जहां सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय परमिट, आपूर्तिकर्ता योग्यता, फाइलें, ऑर्डर और भुगतान नियमित रूप से रोक दिए जाते हैं।

सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आई है कि सीसीटीवी कैमरों को डिजिटाइज़ करने और बढ़ाने से सरकारी कार्यालयों में भ्रष्ट आचरण पर रोक नहीं लगी है। इसमें दावा किया गया है कि रिश्वत सीसीटीवी से दूर, बंद दरवाजे के पीछे दी जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि सरकारी ई-प्रोक्योरमेंट मार्केटप्लेस जैसी पहल भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अच्छे कदम हैं, फिर भी आपूर्तिकर्ता योग्यता, बोली हेरफेर, पूर्णता प्रमाण पत्र और भुगतान के लिए भ्रष्टाचार में शामिल होने के अवसर अभी भी मौजूद हैं।"

हालांकि सर्वेक्षण बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की तस्वीर पेश कर सकता है, लेकिन सर्वेक्षण में शामिल व्यवसायों ने दावा किया कि पिछले 12 महीनों में रिश्वत लेनदेन की संख्या और भुगतान की गई रिश्वत का कुल मूल्य कम हो गया है।

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