महिला ने खुद ही मुसीबत को किया आमंत्रित...' इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिर रेप मामले पर की विवादित टिप्पणी
एफआईआर के अनुसार, आरोपी ने रास्ते में उसके साथ अश्लील हरकतें कीं और नोएडा स्थित अपने घर के बजाय उसे गुड़गांव के एक रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया, जहां पीड़िता के अनुसार, उसके साथ दो बार बलात्कार किया गया।;
Allahabad High Court- Rule decision of Wife drinking alcohol is not cruelty ( Pic- Social- Media)
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक चर्चित फैसले में बलात्कार के आरोपी को जमानत दे दी है। यह मामला एक कॉलेज स्टूडेंट के साथ कथित दुष्कर्म से जुड़ा था। अदालत ने यह कहते हुए आरोपी को राहत दी कि यदि पीड़िता के आरोपों को सही भी माना जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि उसने स्वयं संकट को आमंत्रित किया और वह इस स्थिति के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार है।
यह फैसला न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने सुनाया। पीड़िता की ओर से दर्ज एफआईआर के अनुसार, वह अपनी तीन महिला मित्रों के साथ दिल्ली के एक बार में गई थी, जहां सभी ने शराब पी। देर रात लगभग 3 बजे तक बार में रहने के बाद, नशे की हालत में उसे किसी सहारे की ज़रूरत महसूस हुई। इसी दौरान आरोपी ने उसे कई बार अपने साथ चलने को कहा और पीड़िता ने उसके साथ जाने के लिए हामी भर दी।
एफआईआर के अनुसार, आरोपी ने रास्ते में उसके साथ अश्लील हरकतें कीं और नोएडा स्थित अपने घर के बजाय उसे गुड़गांव के एक रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया, जहां पीड़िता के अनुसार, उसके साथ दो बार बलात्कार किया गया।
हालांकि, कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भले ही पीड़िता का हाइमन फटा पाया गया हो, लेकिन डॉक्टर ने यौन शोषण की पुष्टि नहीं की। साथ ही, यह भी कहा गया कि पीड़िता एम.ए. की छात्रा है और अपने फैसलों की नैतिकता व महत्व को समझने में सक्षम है। ऐसे में उसने स्वयं आरोपी के साथ जाने का निर्णय लिया और यह मामला स्पष्ट रूप से सहमति पर आधारित प्रतीत होता है।
आरोपी की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि वह दिसंबर 2024 से जेल में बंद है, उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, और वह मामले की सुनवाई में पूरा सहयोग देगा। वहीं, राज्य सरकार की ओर से एफआईआर के आधार पर जमानत का विरोध किया गया, लेकिन आरोपी द्वारा प्रस्तुत तथ्यों का प्रत्यक्ष खंडन नहीं किया गया।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "मामले की समग्र परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, साक्ष्यों की स्थिति और दोनों पक्षों की दलीलों को देखते हुए यह जमानत याचिका स्वीकृत की जाती है।"