माया को फिर झटका, आगरा में रैली कराई, फिर BJP में शामिल हुए ब्रजेश

Update:2016-08-22 16:17 IST

नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती को यूपी विधानसभा चुनाव से पहले एक और बड़ा झटका लगा है। स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी के बाद अब पार्टी के ब्राह्मण चेहरे ब्रजेश पाठक ने भी इस्तीफा दे दिया है। ब्रजेश ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ज्वाइन कर लिया है। नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई।

ब्रजेश बीएसपी के पूर्व सासंद हैं। वह 2004 में उन्नाव से चुनाव जीते थे। इसके अलावा राज्यसभा सांसद भी रहे हैं। ब्रजेश मायावती की आगरा में हुई रैली के संयोजक भी थे। लेकिन इस रैली के एक दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। बता दें कि ब्रजेश के पिछले महीने भी पार्टी छोड़ने की खबरें आई थीं, लेकिन बाद में पाठक ने इन्हें अफवाह करार दिया था।

ब्रजेश के बहाने मौर्य का फिर माया पर निशाना

बीएसपी छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने सहारनपुर में ब्रजेश पाठक के बीएसपी छोड़ने को लेकर मायावती पर फिर निशाना साधा। मौर्य ने कहा कि बीएसपी सुप्रीमो की हठधर्मिता की वजह से ही लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मायावती कुछ चुनिंदा लोगों के कहने पर चल रही हैं। वह नहीं जानतीं कि ये लोग बीएसपी की नैया डुबो देंगे। स्वामी प्रसाद ने कहा कि आने वाले दिनों में बीएसपी में कोई नेता नहीं रहेगा और मायावती अकेली खड़ी दिखेंगी।

बीएसपी ने किया बर्खास्त?

बीएसपी की ओर से कहा गया है कि ब्रजेश पाठक को पार्टी से बर्खास्त किया गया है। एक बयान में कहा गया है कि ब्रजेश को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया गया है।

बीजेपी ज्वाइन करने के बाद क्या बोले ब्रजेश पाठक

-यूपी का विकास सिर्फ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी कर सकती है।

-पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मैं गांव-गांव घूमकर बीजेपी की सरकार बनाने के लिए काम करूंगा।

-मुझे लगा उत्तर प्रदेश गलत दिशा में जा रहा है, मुझे यूपी को बचाने है। इसलिए मैंने बीजेपी ज्वाइन की है।

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कैसे हुआ पालाबदल

बताया जा रहा है कि सोमवार को ब्रजेश पाठक की केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा से लंबी बातचीत हुई। इसके बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से ब्रजेश पाठक की बात कराई। इसके बाद तय हुआ कि वह बीजेपी ज्वाइन करेंगे।



क्यों है बीएसपी के लिए झटका?

-ब्रजेश पाठक बीएसपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा रहे हैं। वो सतीश चंद्र मिश्रा के दाहिने हाथ बताए जाते थे।

-स्वामी प्रसाद मौर्य का बीएसपी छोड़ना दलित वोट बैंक के लिहाज से मायावती के लिए बहुत बड़ा झटका था।

-अब ब्रजेश पाठक के पार्टी छोड़ने से मायावती का सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूला प्रभावित होगा।

-पारंपरिक तौर पर ब्राह्मण वोट बीजेपी के साथ माना जाता रहा है, ब्रजेश के जुड़ने से इसे मजबूती मिलेगी।

-अभी बीजेपी का मजबूत होना बीएसपी के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक है।

एक दिन पहले ही मायावती ने किया था चुनावी आगाज

रविवार को ही बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आगरा में चुनावी बिगुल फूंका था। उन्होंने सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय रैली के जरिए ये संदेश देने की कोशिश की कि बीएसपी की स्थिति मजबूत है। मायावती ने दलबदल को लेकर कहा था कि कुछ लोग जो सीट और पैसों के लालची हैं, वो पार्टी बदल रहे हैं।

पहली बार इस तरह लग रहा है मायावती को झटका

बसपा के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है कि बड़े नेता तेजी से पार्टी छोड़ रहे हैं। अब तक तो ये होता था कि मायावती अनुशासन के नाम पर कार्यकर्ताओं या नेताओं को निकाला करती थीं। बसपा में मायावती के बाद सबसे बड़े कद्दावर नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब पार्टी छोड़ी तो उसके बाद मायावती ने उन्हें निकाल दिया। बाद में बारी आई आर के चौधरी की जिनके पार्टी से जाने की किसी को भनक भी नहीं लगी। उनके जाने के बाद ही बसपा से निकाला गया और यही हुआ ब्रजेश पाठक के मामले में। ब्रजेश पाठक ने सोमवार को बसपा को बाय-बाय कहा और बीजेपी में शामिल हो गए। पाठक के बीजेपी में जाने के बाद उन्हें बसपा से निकाले जाने का फरमान जारी हुआ।

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