Budget 2018 : चुनावी बजट, गरीबों को राहत, मध्य वर्ग आहत

Update:2018-02-01 19:50 IST

नई दिल्ली : आम चुनाव (वर्ष 2019) को देखते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने अंतिम पूर्ण बजट में गरीबों, किसानों को राहत देने की कोशिश की है, लेकिन मध्य वर्ग इस बजट से आहत ही हुआ है। जेटली ने गरीबों के लिए एक बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना का प्रस्ताव किया, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया और संस्थागत कृषि ऋण में एक लाख करोड़ रुपये की वृद्धि की, तथा अवसंरचना विकास के लिए छह लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।

वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए वित्तमंत्री द्वारा बरती गई इस उदारता का भुगतान मध्य वर्ग को करना होगा। वित्तमंत्री ने तीन-चार ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे सरकार की आय तो बढ़ेगी, लेकिन मध्य वर्ग को नुकसान होगा। सरकार ने वेतनभोगी और पेंशनधारकों को कुछ रियायतें जरूर दी हैं, मगर आयकर पर सेस को तीन से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया है, तथा सभी आयातित वस्तुओं पर 10 फीसदी समाज कल्याण सरचार्ज लगा दिया है। इससे सरकार को 11,000 करोड़ रुपये की आय होगी।

वित्तमंत्री की नजर शेयरधारकों और निवेशक वर्ग पर भी है, जिन पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) पर मिलने वाली छूट हटा दी गई है। अब एक साल बाद शेयर बेचने पर एक लाख रुपये का मुनाफा होता है तो इस पर 10 फीसदी कर चुकाना होगा। अभी एक साल से कम समय में शेयर बेचने पर 15 फीसदी का अल्पकालिक पूंजी लाभ कर देना होता है। यह यथावत है। इस नए कर से सरकार को 36,000 करोड़ रुपये की आय होगी।

व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर पर दो फीसदी प्राथमिक शिक्षा सेस और एक फीसदी उच्च शिक्षा सेस की जगह चार फीसदी स्वास्थ्य और शिक्षा सेस लगाया गया है। इससे प्राप्त रकम का उपयोग गरीबी रेखा से नीचे तथा ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर किया जाएगा।

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इसी प्रकार सभी सीमा शुल्क पर 10 फीसदी समाज कल्याण सरचार्ज लगाया गया है, जो आयातित सामानों पर शिक्षा सेस की जगह लाया गया है।

जेटली ने मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क पांच फीसदी बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया। साथ ही मोबाइल फोन और टीवी के कुछ पुर्जो पर 15 फीसदी सीमा शुल्क लगाया है, ताकि 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को बढ़ावा मिल सके।

भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के 2014 के चुनावी वादे के अनुसार, खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का डेढ़ गुना कर दिया है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संस्थागत कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पहले यह 10 लाख करोड़ रुपये था।

जेटली ने कहा, "हमने इस प्रस्ताव को बाकी फसलों के लिए भी सिद्धांत रूप में लागू करने का फैसला किया है। मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि पूर्व-निर्धारित सिद्धांत के अनुसार सरकार सभी खरीफ फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य रखने का फैसला किया है। मुझे भरोसा है कि यह ऐतिहासिक निर्णय किसानों की आय दोगुना करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।"

विपक्षी दलों ने सरकार के बजट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता व पूर्व वित्तमंत्री पी. चिंदबरम ने कहा कि जेटली राजकोषीय घाटा संतुलित करने की परीक्षा में असफल रहे हैं। हालांकि भारतीय कारोबारी जगत ने बजट का स्वागत किया है।

व्यक्तिगत कर की स्लैब और दरों में कोई बदलाव किए बगर जेटली ने व्यक्तिगत करदाताओं से परिवहन और मेडिकल पुनर्भुगतान की सुविधा छीन ली है। इसके बदले 40,000 रुपये की मानक कटौती दोबारा शुरू की है, जिससे सरकार के राजस्व में 8,000 करोड़ रुपये की कमी होगी और 2.5 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा।

वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए बजट में बैंकों में जमा धन पर मिलनेवाले ब्याज पर कर छूट को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है, साथ ही उनपर किसी प्रकार का टीडीएस (ोत पर कर कटौती) नहीं काटा जाएगा। स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम पर खर्च की जानेवाली रकम पर कर छूट की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है। वहीं, निजी आयकर पर सेस को तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया गया है। इससे सरकार को व्यक्तिगत करदाताओं से 11,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे। इस सेस को अब स्वास्थ्य और शिक्षा सेस नाम दिया गया है।

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सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ बीमारियों के मामले में कर रियायत की सीमा बढ़ाकर क्रमश: 60,000 रुपये और 80,000 रुपये कर दी है। इस राहत की लागत 4,000 करोड़ रुपये होगी।

वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट कर की दर घटा कर 25 फीसदी कर दी है। यह उन कंपनियों पर लागू होगा, जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये तक है। वित्तमंत्री ने कहा कि इसके दायरे में 99 फीसदी तक कंपनियां आएंगी। इससे सरकार की कमाई में 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। देश में केवल 250 कंपनियां हैं, जिनका सालाना कारोबार 250 करोड़ रुपये से अधिक है। साथ ही कंपनियों के लिए भी आधार कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है।

रेलवे के लिए सरकार ने पूंजीगत खर्च 1,48,528 करोड़ रुपये तय किया है, जिसका बड़ा हिस्सा क्षमता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत 18,000 किलोमीटर पटरियों का दोहरीकरण, तिहरीकरण और चौहरीकरण किया जाएगा और 5,000 किलोमीटर के गेज नेटवर्क को ब्राड गेज पटरियों में बदला जाएगा। इसके बाद रेलवे का समूचा नेटवर्क ब्राड गेज हो जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कृषि, स्वास्थ्य और छोटे व्यापार को ध्यान में रखकर सभी के लिए उपयुक्त बजट पेश करने के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली की सराहना की और कहा, "यह बजट किसानों, आम नागरिकों, पर्यावरण और विकास के अनुकूल है। यह बजट भारत के 125 करोड़ लोगों की उम्मीदों और अपेक्षाओं के अनुरूप है।"

सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण सेवा नामक एक स्वास्थ्य बीमा की घोषणा की है, जिसके तहत प्रति परिवार को पांच लाख रुपये इलाज के लिए मिलेंगे। इस योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को लाने का लक्ष्य है। इसपर सरकार 4,000 करोड़ रुपये व्यय करेगी। वित्तमंत्री ने इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना करार दिया है।

वित्तमंत्री ने प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना के तहत गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराने के लक्ष्य में तीन करोड़ रुपये की वृद्धि करते हुए आठ करोड़ रुपये कर दिया है।

वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार का जोर अगले वित्त वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम आजीविका के मौके मुहैया कराना है, इसलिए आजीविका, कृषि और उससे संबंद्ध गतिविधियों तथा ग्रामीण इलाकों में अवसरंचना निर्माण पर ज्यादा खर्च किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, "वित्त वर्ष 2018-19 में, ग्रामीण इलाकों में आजीविका और अवसरंचना सृजन पर विभिन्न मंत्रालयों द्वारा कुल 14.34 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें 11.98 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय और गैर-बजटीय संसाधन शामिल हैं। इस व्यय से कृषि गतिविधियों और स्वरोजगार में रोजगार पैदा होने के अलावा 321 करोड़ मानव दिवस, 3.17 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें, 51 लाख नए ग्रामीण घर, 1.88 करोड़ शौचलाय बनाए जाएंगे, और 1.75 नए घरेलू बिजली कनेक्शन मुहैया कराए जाएंगे।"

श्रमिक कल्याण के तहत, नए कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि में सरकारी योगदान सभी सेक्टरों के लिए अगले तीन सालों तक 8.33 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है।

रोजगार और विकास को विकास को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना पर अनुमानित बजटीय और अतिरिक्त बजटीय खर्च पिछले साल के 4.94 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,97 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

वित्तमंत्री ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा का लक्ष्य जीडीपी का 3.2 फीसदी से बढ़ाकर 3.5 फीसदी कर दिया, तथा अगले वित्त वर्ष में इसे जीडीपी का तीन से 3.3 फीसदी (5.95 लाख करोड़ रुपये) तक रखने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने संकेत दिया कि सरकार अपने खातों को संतुलित रखने के लिए बाजार से और कर्ज लेगी।

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वित्त वर्ष 2018-19 में केंद्र सरकार ने विनिवेश के जरिए 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो चालू वित्त वर्ष के 72,500 रुपये के अनुमान मुकाबले करीब 10 फीसदी ज्यादा है।

जेटली ने अगले वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य 10 फीसदी बढ़ने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा, "मुझे सदन को बताने में खुशी हो रही है कि हमने पहले के बजट में तय अनुमान से ज्यादा हासिल कर लिया है। मेरा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2017-18 में 1,00,000 रुपये हासिल हो जाएंगे।"

उन्होंने कहा, "वित्त वर्ष 2018-19 में विनिवेश के जरिए 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का मेरा लक्ष्य है।"

वित्तमंत्री ने तीन सरकारी बीमा कंपनियों को मिलाकर एक कंपनी बनाने की घोषणा की। नई कंपनी को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जाएगा।

मंत्री ने भाषण की शुरुआत सरकार की उपलब्धियों के बखान से की। उन्होंने कहा, "हम अब 2,500 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं, और हम जल्द ही आठ फीसदी विकास दर हासिल करने के रास्ते पर होंगे।"

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