CAA: क्या है CAA, जानिए इसके लागू होने से देश में क्या कुछ बदलेगा

CAA: लोकसभा चुनाव को करीब आते देख भाजपा ने कमर कस ली है। राम मंदिर के बाद अब भाजपा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू कर दिया है।

Update:2024-03-11 18:51 IST

CAA Kanoon Kya Hai (Pic:Social Media)

CAA: लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले CAA को देश में लागू कर दिया जाएगा। CAA आज सोमवार यानी 11 मार्च 2024 को भारत में लागू कर दिया गया है। अब इसके लागू होने से देश में क्या असर होगा? CAA है क्या?

आखिर ये सीएए क्या है और इसका मुसलमान इतना विरोध क्यों कर रहे हैं, आइए जानते हैं...

क्या है CAA?

देश में CAA लागू करने के लिए सोमवार शाम को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसके साथ ही सीएए लागू हो गया है। तो आइए यहां जानते हैं कि क्या है CAA?

जानें CAA और NRC में अंतर 

Full View

CAA का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी। वहीं लंबे समय से भारत में शरण लेने वालों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।

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मुसलमान क्यों कर रहे हैं विरोध?

देश में सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। कई आलोचकों का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है। यही नहीं उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकते हैं।

क्या कहती है सरकार?

सरकार का यह मानना है कि सीएए केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना अधिक है। वहीं भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई और किसी तरह का खतरा नहीं है। सरकार का कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।

क्या CAA संवैधानिक है?

भारतीय संसद में सीएए को साल 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे और राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।

पूर्वोत्तर में क्यो विरोध?

पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों का मानना है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जिससे उनकी जनसांख्यिकी बदल सकती है और संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।

कैसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन?

सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे। वहीं आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।

नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित हैं उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी।

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