चौंकाने वाली रिपोर्ट: यहां के हर 5वें घर में कैंसर का एक मरीज, 35 लोगों की मौत
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां के एक गांव में कैंसर के मरीजों के बारे में पता चला है। यहां से जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं वो बेहद ही चौंकाने वाले हैं।
रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां के एक गांव में कैंसर के मरीजों के बारे में पता चला है। यहां से जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं वो बेहद ही चौंकाने वाले हैं।
गौर करने वाली बात ये है कि इस गांव में हर पांचवें घर में एक व्यक्ति कैंसर से ग्रस्त है। बीते पांच सालों में यहां 35 अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ये पूरा मामला भोजाखेड़ी गांव का है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ इस गांव में तकरीबन 200 परिवार रहते हैं। जबकि इस पूरे गांव की आबादी करीब 1900 है।
इस गांव को कैंसर ने पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले रखा है। हालात कितने भयावह हैं, इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि यहां आम से लेकर खास हर व्यक्ति कैंसर का शिकार है।
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5 सालों में 35 लोगों की मौत
ग्राम पंचायत भोजाखेड़ी में बीते 5 सालों में 35 लोगों की जान चली गई है। इसमें जिला पंचायत अध्यक्ष भी शामिल हैं। इन सभी के पीछे केवल एक ही कारण है और वो है कैंसर की बीमारी।
मामले का खुलासा इसका खुलासा उस वक्त हुआ जब आईआईएम इंदौर के 48 छात्रों का दल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में अध्ययन के लिए आया। ये सभी छात्र यहां 14 अक्टूबर को भोजाखेड़ी में रुके।
छात्रों के एक दल ने यहां पर अपनी चौपाल भी लगाई। लोगों से बातचीत में इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानकारी निकलकर सामने आई। जिसके बाद छात्रों ने अपनी रिपोर्ट जिले के अधिकारी को भी सौंप दी।
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कलेक्टर रुचिका चौहान को दी गई मामले की जानकारी
साथ ही गांव से लिए गये पानी के नमूने भी उन्हें जांच के लिए दिए। इसमें गांव में पानी में गड़बड़ी के चलते कैंसर की बीमारी होने की आशंका जताई गई है। ग्रामीणों के मुताबिक़ ट्यूबवेल और कुओं की जांच को लेकर कलेक्टर रुचिका चौहान को जानकारी दी है।
उधर इस क्षेत्र के विधायक मनोज चावला ने भी मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को भी खत लिखा है। मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन की ओर से भेजी गई स्वास्थ विभाग की टीम ने गांव में आकर जांच की। इस टीम में जिला चिकित्सालय ओर मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ शामिल थे। जिसके बाद उन्हें 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट विभाग को सौपनी है।
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