हाय रे मजबूरी! कभी करते थे ये काम, लेकिन अब बेच रहे हैं सब्जी
देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया है। इस दौरान दिल्ली, मथुरा, फरीदाबाद समेत कई शहरों और गांवों में सब्जी बेचने वालों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है।
नई दिल्ली: देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया है। इस दौरान दिल्ली, मथुरा, फरीदाबाद समेत कई शहरों और गांवों में सब्जी बेचने वालों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। लेकिन आपको बता दें कि इनमें से ऐसे कई विक्रेता हैं, जिन्होंने इससे पहले कभी सब्जियां बेची ही नहीं। पहले ये किसी और तरह के काम में माहिर थे।
पहले करते थे ये काम लेकिन अब बेच रहे सब्जी
जी हां, क्योंकि इनमें से पहले या तो कोई बढ़ई था, या कबाड़ी या फिर कोई ऑटो चलाता था। यहां तक कि इस लिस्ट में होटल के शेफ भी शामिल हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान अब इन्होंने सब्जी बेचनी शुरु कर दी है। लेकिन ऐसी क्या वजह आ गई है कि अब इन्होंने आप काम छोड़ गली-नुक्कड़ों पर सब्जियां बेचनी शुरु कर दी हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इनकी क्या वजह रही, जो इन्होंने ऐसा कदम उठाया।
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इसलिए चुना सब्जी बेचने का काम
लॉकडाउन के दौरान सब्जी बेच रहे एक व्यक्ति ने बताया कि वो पहले साड़ी की फैक्ट्री में काम किया करते थे। उन्होंने बताया कि अब वे हर रोज टेम्पो में सब्जी लादते हैं और करीब आधा दर्जन गांव में सब्जी बेचने का काम करते हैं। सब्जी विक्रेता ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले ही किश्त पर टेम्पो खरीदी थी। जिसकी किश्त हर महीने चुकानी होती है। हालांकि अभा 3 महीने छूट है लेकिन बाद में किश्ते देनी ही होगी। वहीं घर में भी खाने की व्यवस्था करने के लिए पैसा चाहिए। इसलिए अब वो रोज करीब आधा दर्जन गांव में सब्जी बेचते हैं।
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कभी थे शेफ अब बेच रहे सब्जी
पहले कभी शेफ के तौर पर काम कर रहे शेफ भी अब लॉकडाउन के दौरान सब्जियां बेच रहे हैं। एक सब्जी विक्रेता ने बताया कि वो पहले एक होटल में शेफ का काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन लागू होने की वजह से होटल बंद हो गया। ऐसे में घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए उन्होंने सब्जी बेचने का काम शुरु किया।
लोग ऐसा कह कर बोलते हैं तो अजीब लगता है
वहीं एक बढ़ई भी लॉकडाउन के दौरान सब्जी बेचने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने सब्जी बेचना का फैसला तो कर लिया लेकिन उन्हें आवाज लगानी नहीं आती। जिसे देख लोग पूछते हैं कि सब्जी बेचने नए-नए आए हो क्या। उन्होंने कहा कि जब लोग ऐसा बोलते हैं तो अजीब लगता है। अपना ठेला लेकर खड़े हो जाते हैं और जब लोग उन्हें देखते हैं तो वो खुद ही सब्जी लेने आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सब्जी बेचना भाता नहीं है लेकिन मजबूरी है तो ऐसा करना पड़ रहा।
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