Manipur Violence: मणिपुर हिंसा की जांच के लिए CBI ने SIT गठित की, डीआईजी रैंक के अधिकारी को कमान

Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने वहां कुकी, मेइती समुदाय सहित अन्य लोगों से मुलाकात की थी।

Update:2023-06-09 18:45 IST
प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)
Manipur Violence: मणिपुर में हाल में हुई हिंसा की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने डीआईजी रैंक के अधिकारी के तहत स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) का गठन किया है। डीआईजी रैंक के अधिकारी को कमान सौंपी जाएगी। सीबीआई अधिकारी ने शुक्रवार (9 जून) को बताया कि, 'हम मामले में दर्ज 6 FIR को लेकर तहकीकात करेंगे। इनमें से 5 आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy) के हैं, जबकि एक सामान्य साजिश का केस है।'

ज्ञात हो कि, मणिपुर हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने राज्य का दौरा किया था। उन्होंने वहां चार दिन लगातार बैठकें और क्षेत्र का दौरा भी किया था। शाह ने तब हिंसा की सीबीआई जांच की बात कही थी। अमित शाह 29 मई को मणिपुर गए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (CM N. Biren Singh), कुकी (Cookie Tribes in Manipur), मेइती समुदाय (Meitei Community) और अन्य लोगों के साथ अलग-अलग बैठकें की थी। शाह ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील भी की थी।

मणिपुर में क्यों भड़की थी हिंसा?

पिछले दिनों मणिपुर में भीषण हिंसा का दौर देखने को मिला था। राज्य में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला गया था। इसी मार्च के बाद अचानक हिंसक झड़पें शुरू हो गई। हिंसा में कई लोगों के घर जलाए दिए गए। घरों को आग के हवाले कर दिया गया। विभिन्न झड़पों में कम से कम 100 लोगों के मारे जाने की खबर है। हिंसा में 310 से अधिक घायल हुए। वहीं, 37450 लोग इस वक़्त विस्तःपित जिंदगी जीने को मजबूर हैं, वो 272 राहत शिविरों में रह रहे हैं।
राज्य में अभी भी इंटरनेट बंद, सुप्रीम कोर्ट ये बोली

मणिपुर में हालात चिंताजनक हो गए थे। जिसके बाद राज्य में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसी बीच, शीर्ष अदालत ने मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं से प्रतिबंध हटाने को लेकर याचिका पर 09 जून को तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और जस्टिस राजेश बिंदल (Justice Rajesh Bindal) की अवकाश पीठ ने कहा कि, 'इसी मुद्दे पर एक मामला हाई कोर्ट में भी दी गई है। हाई कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है। कार्यवाहियों के दोहराव की जरूरत क्या है? नियमित पीठ के पास जिक्र करिए।'

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